वो तुम हो (पार्ट-16)
वो तुम हो (पार्ट-16)
प्यारे रीडर्स,
अभी तक आपने पढ़ा कि अंजलि मयंक के सामने अपने अतीत के उस पन्ने को खोल चुकी थी जिसकी वजह से वो हर पल एक तकलीफ में होती थी। मयंक अंजलि की आँखों के उस सूनेपन को समझ चुका था। उसने खुद से अंजलि को खुश रखने का वादा किया था। वहीं दूसरी तरफ अंजलि के दिल में अब सुकून था। उसने अपने बरसों से समेटे हुए दर्द को आज मयंक के सामने कहकर मयंक को उसकी अहमियत समझाई थी। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-
अंजलि अपनी लिखी कविता को पढ़ती है। उसे खुद की लिखी इस कविता में भी उसकी बेबसी नज़र आ रही होती है। अपनी लिखी कविता को कई बार पढ़ने के बाद अंजलि ने अपनी डायरी को बंद करके रख दिया और आँखें बंद करके कुछ सोचने लगी थी। लेकिन जब अंजलि ने अपनी आँखें बंद की तो उसे मुस्कुराता हुआ मयंक दिखाई दिया। अंजलि मुस्कुराई और कहने लगी थैंक यू बंदर...................अंजलि ने एक नज़र चाँद को देखा और फिर अपने कमरे में आकर सो गयी।
अगली सुबह मयंक बहुत हड़बड़ी में सारे काम करने में लगा था। अनुराधा जी ने उसे ऐसा करते देखा तो सोचने लगी आज इसे क्या हुआ है? मयंक बेटा तुम इतनी जल्दी में क्यों हो, अनुराधा जी ने कहा? मॉम वो मुझे कॉलेज जाना है, मयंक ने बिना देखे ही जवाब दिया। अनुराधा जी ने हँसते हुए कहा वो तो तुम रोज ही जाते हो, लेकिन आज इतनी जल्दी में क्यों हो? अभी तो बहुत टाइम है। मयंक ने कहा नो मॉम टाइम नहीं है, मैं लेट हो चुका हूँ। लेट..........................अनुराधा जी ने घड़ी देखते हुए कहा। मयंक ने कहा मॉम आप भी लेट हो जायेंगी, जाकर तैयार हो जायें। पहले तू बता क्या आज तू अपनी “वो तुम हो” को प्रपोज तो नहीं करने वाला? मॉम....................मयंक ने अनुराधा जी को देखते हुए कहा। क्या मॉम????????????अनुराधा जी ने भी पलट कर कहा। अभी वो ठीक नहीं है मॉम, इस बार मयंक ने सीरियस होकर कहा। ह्म्म्म.............बात हुई थी मेरी नैना से बताया था उन्होंने, और तुम्हारी तो बहुत तारीफ कर रही थी। मयंक को ये सुनकर अच्छा लगा और उसने कहा मॉम अभी टाइम लगेगा उसे पहले वाली अंजलि बनाकर ही प्रपोज करूँगा। अनुराधा जी ने कहा समझती हूँ बेटा, खुश रहो हमेशा। अब जाओ भी जल्दी वो इंतजार कर रही होगी। मेरी बहु को इंतजार करवाया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। मयंक मुस्कुराया और अनुराधा जी के गले लगते हुए कहने लगा मॉम यू आर सो स्वीट, बाय मॉम, कहकर मयंक चला गया। मयंक बहुत तेज़ी से बाइक चलाकर अंजलि के घर पहुँचा। सामने नैना जी और अमिताभ जी नाश्ता करने बैठे थे। उन्होंने मयंक को भी नाश्ता करने को कहा, तो मयंक ने ये कहकर मना कर दिया कि वो नाश्ता कर चुका है। लेकिन नैना जी के ज़िद करने पर मयंक नाश्ता करने के लिए बैठ गया। वो नाश्ता करते हुए भी सीढ़ियों की तरफ देख रहा था। लेकिन अंजलि अब तक नीचे नहीं आई थी। नैना जी मयंक की बेचैनी को भाँप गयी थी और कुछ सोचकर वो मन ही मन बहुत खुश भी हो रही थी।
अमिताभ जी ने मयंक से कहा बेटा कुछ खा क्यों नहीं रहे हो? मयंक थोड़ा परेशान होते हुए वो अंकल कॉलेज के लिए देर हो रही है तो.............................उसकी बात समझते हुए अमिताभ जी ने अंजलि को पुकारते हुए कहा अंजलि कितना टाइम लगेगा? गुड मॉर्निंग पापा कहते हुए अंजलि सीढ़ियों से उतरती हुई आ रही थी। मयंक की नज़र जब अंजलि पर पड़ी तो वो एक पल के लिए सब भूल गया और उसने कहा हाँ “वो तुम हो।” अमिताभ जी ने सुना तो कहने लगे बेटा क्या कहा आपने? मयंक ने अब थोड़ा झेंपते हुए कहा नहीं अंकल कुछ भी तो नहीं कहा...................नहीं बेटा अभी आपने कुछ कहा था? मयंक ने कहा ये नाश्ता......................नाश्ता बहुत टेस्टी है यही तो कहा था। आंटी जी आपने नाश्ता बहुत अच्छा बनाया है। नैना जी ने कहा अच्छा.........तो फिर थोड़ा और खाओ। मयंक ने कहा नहीं आंटी पेट भर गया है। चले अंजलि???? मयंक ने अंजलि की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए कहा।
अंजलि ने कहा हम्म................चलते हैं, मैं बस चाय पी लूँ। मयंक ने कहा नाश्ता भी कर लो। नहीं भूख नहीं है अंजलि ने कहा। नैना जी ने उसे कहा बेटा थोड़ा सा कुछ तो खा लो, तुम्हें सारा दिन बाहर रहना है। लेकिन अंजलि ने कहा नो मॉम मुझे बिल्कुल भूख नहीं प्लीज ज़िद मत करें। अंजलि ने चाय पी और मयंक के साथ कॉलेज के लिए निकल गयी थी। रास्ते में दोनों ही चुपचाप थे। कॉलेज आ गया तो मयंक ने बाइक रोक दी। मयंक ने कहा अंजलि कॉलेज आ गया, हम्म.........अंजलि की तन्द्रा टूटी तो वो बाइक से उतर कर कॉलेज के अंदर चली गयी थी। मयंक अंजलि की इस हालत से बहुत परेशान था, लेकिन उसे कैसे पहले वाली अंजलि मिलेगी ये भी सोच रहा था। मयंक जैसे ही कॉलेज के अंदर गया उसे सामने ही नितिन और शुभम खड़े मिल गए। शुभम ने कहा भाई तू भी चलेगा न पिकनिक के लिए मैने तेरा और भाभी....मेरा मतलब अंजलि का नाम भी लिखवा दिया है? कैसी पिकनिक, मयंक ने कुछ खास दिलचस्पी ना दिखाते हुए सवाल किया? नितिन ने कहा यार कॉलेज की तरफ से जयपुर का दो दिन का ट्रिप है फर्स्ट इयर और सेकंड इयर साथ में। मुझे नहीं जाना यार, कहकर मयंक दूसरी तरफ देखने लगा जहाँ अंजलि रिया और रागिनी के साथ खड़ी थी।
शुभम की नज़र पड़ी तो कहने लगा अरे भाभी भी तो चलेगी, चल ना मजा आएगा। मयंक ने कहा अंजलि....................मुझे नहीं लगता वो जायेगी। नितिन ने कहा हम्म हालत तो उसकी ऐसी ही है लेकिन कोशिश करते हैं क्या पता उसके लिए भी ये ट्रिप अच्छा हो? मयंक को आईडिया अच्छा लगा। तभी राघव ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा यार मयंक तू परेशान मत हो। रागिनी अंजलि को चलने के लिए मना लेगी, मैं अभी उससे यही बात करके आया हूँ। आखिर अंजलि की वजह से मैं और रागिनी एक साथ हैं, और हमारा फ़र्ज़ बनता है कि उसे इस सदमें से बाहर निकाले, ताकि वो फिर से वही अंजलि बन जाए.............झाँसी की रानी! मयंक से सुना तो राघव के गले लग गया। लेकिन शुभम ने उसे छेड़ते हुए कहा राघव संभल कर, कहीं अभी तुझे ही कहने लगे “वो तुम हो”। नितिन ने शुभम के हलके से मारते हुए कहा छुपकर, चल क्लास में पढ़ ले कुछ वरना अपने पापा का बिज़नेस कैसे संभालेगा? हाँ भाई, आखिर अपने पापा का बिज़नेस मुझे ही तो डुबाना है, शुभम ने आँख मारते हुए कहा। उसकी बात सुनकर तीनों ही उसे घूरने लगे तो शुभम क्लास की तरफ भाग गया।
मयंक ने देखा अंजलि और उसकी फ्रेंड्स भी क्लास की तरफ जा रहे थे। मयंक भी अब अपनी क्लास की तरफ चला गया। क्लास अटेंड करने के बाद राघव ने मयंक से कहा यार रागिनी को माँ से मिलवाना है लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही। मयंक उसकी बात सुन मुस्कुराया और उसने कहा तू लेकर जा रागिनी को माँ कुछ नहीं कहेगी, बल्कि खुश हो जायेगी। सच में राघव ने खुश होते हुए कहा। मयंक ने कहा हाँ और अगर माँ कुछ कहे तो मुझे बुला लेना। हम्म.........राघव ने कुछ सोचते हुए कहा। मयंक मन ही मन ये सोच कर मुस्कुरा रहा था कि राघव की प्रतिक्रिया क्या होगी, जब उसे पता लगेगा कि माँ तो रागिनी को पहले से ही मिल चुकी हैं।
मयंक अंजलि का इंतजार कर रहा था तभी उसने आयुष को देखा जो प्रिंसिपल के कमरे की तरफ जा रहा था। ये यहाँ क्या कर रहा है सोचकर मयंक भी उसके पीछे गया। मयंक ने देखा कि अंजलि भी प्रिंसिपल रूम में मौजूद है। ये तुमने क्या किया आयुष और कैसे किया, प्रिंसिपल ने पूछा? आयुष ने कहा सर मैंने कुछ नहीं किया, ये सब तो मेरी प्रिंसेस ने किया है। प्रिंसिपल सर ने कहा वेलडन अंजलि! थैंक यू सर, अंजलि ने कहा। प्रिंसिपल रूम के बाहर खड़ा मयंक सब कुछ सुन पा रहा था लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। प्रिंसिपल सर ने आगे पूछा तो आयुष बेटा शादी का क्या प्लान है? अंजलि और आयुष ने एक-दूसरे की तरफ देखा और फिर आयुष मुस्कुराते हुए कहने लगा सर अभी तो कुछ सोचा नहीं है लेकिन आप जब कहेंगे मैं शादी के लिए तैयार हूँ। प्रिंसिपल सर ने कहा हम्म............तुमने तो दिल खुश कर दिया। प्रिंसिपल सर ने अपनी बाँहें फैलाते हुए कहा। आयुष उनके सीने से लग गया फिर उन्होंने अंजलि को भी इशारे से बुलाया तो वो भी मुस्कुरा कर उनके सीने से लग गयी। मेरे प्यारे बच्चों तुम लोग हमेशा खुश रहो। बाहर खड़ा मयंक अब कुछ भी सोचने-समझने की हालत में नहीं था। वो वहाँ से चला गया।
बाहर बाइक के पास खड़ा मयंक अभी जो कुछ उसने सुना उसे समझने की कोशिश कर रहा था। क्या आयुष और अंजलि सच में एक-दूसरे से प्यार करते हैं? क्या वो दोनों शादी करने वाले हैं? प्रिंसिपल सर ये सब क्या कह रहे थे। अपने ही ख्यालों की उधेड़बुन में खड़ा मयंक कुछ भी समझ नहीं पा रहा था। तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा तो वो अपने विचारों की दुनिया से बाहर आया। हे मयंक कैसे हो यार? मयंक ने पलट कर देखा तो पीछे आयुष खड़ा था। मयंक को उसे देखते ही गुस्सा आया लेकिन उसने बहुत ही शालीनता से जवाब दिया ठीक हूँ। अंजलि भी तब तक वहाँ आ चुकी थी। रिया और नाज़िया खड़ी रागिनी का इंतजार कर रही थी। अंजलि ने कहा क्या हुआ तुम लोगों को घर नहीं जाना? रिया ने कहा वो रागिनी का वेट कर रही हूँ। अंजलि ने कॉलेज में नज़र दौड़ाई तो थोड़ी ही दूर पर राघव और रागिनी एक साथ खड़े थे। वो रहे लव बर्ड्स, नाज़िया ने मुस्कुराते हुए कहा। अंजलि के चेहरे पर भी उन दोनों को साथ देखकर स्माइल आ चुकी थी।
मयंक ने अंजलि को मुस्कुराते हुए देखा तो सब भूल गया। आयुष ने कहा मयंक कल मिलते हैं पिकनिक पर। मयंक ने सुना तो कहा पिकनिक पर तुम कैसे आ सकते हो? आयुष मुस्कुराया तो मयंक अपनी कही बात पर थोड़ा झेंप गया और उसने कहा मेरा मतलब तुम तो कॉलेज के स्टूडेंट नहीं हो। क्या आउटसाइडर भी आ सकते हैं? आयुष कुछ कहने को हुआ तभी अंजलि ने कहा वो मैंने ही प्रिंसिपल सर से परमिशन ली है और उन्होंने कहा है कि आयुष आ सकता है। मयंक ने कहा तुम भी चलोगी ना? अंजलि ने कहा हाँ बिलकुल जयपुर तो मुझे भी देखना है। मयंक मन ही मन सोचने लगा जरुर अंजलि आयुष की वजह से ही पिकनिक पर जाने को तैयार हुई है। आयुष मयंक के हाव-भाव देखकर लगातार मुस्कुरा रहा था। उसने जान-बूझकर अंजलि से कहा ओके प्रिंसेस मैं चलता हूँ, कहो तो तुम्हें घर ड्राप कर दूँ? वैसे तो मयंक भी तुम्हें छोड़ ही देगा। मयंक को ये सुनकर अच्छा नहीं लगा और वो अंजलि की तरफ देखने लगा। अंजलि ने कहा नहीं आयुष तुम जाओ मैं मयंक के साथ ही चली जाऊँगी। मयंक ने सुना तो उसके चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ चुके थे। आयुष ने जान-बूझकर सड़ी सी शक्ल बनाते हुए कहा ओके प्रिंसेस तो फिर मैं चलता हूँ।
आयुष के जाने के बाद अगले दिन टाइम पर पहुँचने का बोलकर सभी अपने-अपने घर निकल गए। मयंक अंजलि को उसके घर छोड़कर जाने को हुआ तो अंजलि ने कहा मयंक तुम भी कल टाइम से आ जाना। मयंक ने कहा हाँ बिलकुल मैं टाइम पर आ जाऊँगा। अब मयंक ने डरते-डरते कहा अंजलि एक बात पूछनी थी? हाँ पूछो, अंजलि ने कहा तो मयंक ने कहा वो आयुष क्यों आया था कॉलेज? वो प्रिंसिपल सर ने बुलाया था उसे शादी की बात करने। किसकी शादी, मयंक ने फिर से सवाल किया? अंजलि ने कहा अरे आयुष की शादी, और किसकी? कितना मजा आएगा ना? मैं तो बहुत खुश हूँ, आयुष दूल्हा बनकर कितना स्मार्ट लगेगा? मयंक अंजलि को लगातार नोटिस कर रहा था। तभी अंजलि ने कहा काश अमृता.....................मयंक ने कहा अंजलि तुम अंदर जाओ अब कल मिलते हैं। मयंक ने बाइक स्टार्ट की और सारे रास्ते सिर्फ यही सोचता रहा कि शायद आयुष और अंजलि एक-दूसरे को प्यार करते हैं और बहुत जल्दी शादी भी करने वाले हैं।
डिनर टेबल पर आज अंजलि बहुत खुश थी और उसे खुश देखकर नैना जी और अमिताभ जी के चेहरे पर भी ख़ुशी थी। अमिताभ जी ने पूछा बेटा पिकनिक पर कौन-कौन जा रहा है? अंजलि ने कहा सभी दोस्त हैं, मजा आएगा। नैना जी ने कहा मयंक भी जाएगा? हम्म.......वो भी जाएगा अंजलि ने खाते-खाते ही जवाब दिया। फिर तो चिंता की कोई बात नहीं नैना जी ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा। अंजलि ने कहा मेरे लिए चिंता करने की कोई जरुरत नहीं हैं मॉम, वो नहीं भी जाता तो भी मैं अपना ख्याल रख लेती। अंजलि ने अपना खाना ख़त्म किया और अपने कमरे में चली गयी। अमिताभ जी और नैना जी भी खाना ख़त्म कर अपने-अपने कमरे में चले गए। नैना जी ने कहा चलो शुक्र है भगवान का कि हमारी अंजलि अब पहले से बेहतर है। अमिताभ जी ने कहा मेरी बहादुर बेटी है, और समझदार भी। नैना जी ने कहा हम्म.. वो तो है।
उधर मयंक जितना सोचता उतना ही उलझता जा रहा था। वो अब भी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करे? अनुराधा जी कमरे में आई और मयंक के लिए कपड़े निकालने लगी। बेटा कितने दिन का ट्रिप है? मयंक ने कोई जवाब नहीं दिया तो अनुराधा जी ने कहा क्या बात है बेटा कुछ परेशान हो क्या? मयंक ने कहा नहीं मॉम, ऐसी तो कोई बात नहीं। अनुराधा जी ने कहा बेटा तेरी शक्ल बता रही है कि तू किसी बात से परेशान है? मुझे नहीं बताएगा? मयंक ने कहा मॉम मुझे लगता है अंजलि....................हाँ बेटा क्या अंजलि अब ठीक है? नहीं मॉम वो बात नहीं, मुझे लगता है अंजलि किसी और को प्यार करती है। अनुराधा जी ने सुना तो कहा अच्छा.............लेकिन ये तुझे किसने कहा? मयंक ने कहा मॉम किसी ने कहा नहीं बस मुझे लगता है। अनुराधा जी ने कहा बेटा तुमने अभी तक अंजलि से अपने दिल की बात कही भी नहीं है। मयंक ने कहा मॉम सही टाइम नहीं मिला और अब कहना चाहता हूँ तो ऐसा लग रहा है कि शायद वो पहले से ही किसी को पसंद करती है।
अनुराधा जी ने कुछ सोचकर कहा बेटा अब तुम कल जब पिकनिक पर जाओगे तो बातोंबातों में अंजलि से ये कन्फर्म करो कि जो तुम सोच रहे हो वो सही है या तुम्हारी ग़लतफहमी? उन्होंने कहा बाकी परेशान मत हो बेटा जो होगा वो अच्छा होगा। मयंक ने कहा आप सही कह रही हैं मॉम। अनुराधा जी ने कहा तेरा सारा सामान पैक हो चुका है और ध्यान से देख लियो कुछ जरुरी सामान छूट ना जाये। गुड नाईट बेटा, कहकर अनुराधा जी कमरे से चली गयी। लेकिन मयंक उसे तो नींद ही नहीं आ रही थी। आखिरकार उसने सोचा की कल पिकनिक पर अंजलि से अपने दिल की बात कह दूँगा। उसका जो भी जवाब होगा, देखा जाएगा।
अगली सुबह मयंक बाइक लेकर जैसे ही अंजलि के घर पहुँचा तो उसने देखा वहाँ आयुष की बाइक भी खड़ी थी। मयंक बाइक खड़ी कर के घर के अंदर पहुँचा तो आयुष वही बैठा नाश्ता कर रहा था। उसे देखते ही मयंक के चेहरे का रंग उड़ चुका था लेकिन आयुष उसके चेहरे पर एक स्माइल आ चुकी थी। अंजलि अभी तक आई नहीं थी और नैना जी, अमिताभ जी, आयुष और मयंक नाश्ते की टेबल पर बैठे थे। नैना जी लगातार हिदायतें दे रही थी कि अच्छे से जाना और अच्छे से घूमना और जल्दी वापिस आ जाना। तभी अंजलि ऊपर से आती हुई दिखी। मयंक ने उसे देखा तो उसकी नज़र हमेशा की तरह उस पर ही जा टिकी थी। अंजलि आकर सभी को गुड मॉर्निंग कहती हुई कुर्सी पर आ बैठी थी।
तभी उसका फोन बजा उधर रागिनी थी। वो लोग कॉलेज पहुँच चुकी थी और अंजलि से पूछ रही थी कि वो कितनी देर में पहुँचेगी? अंजलि ने कहा बस 10 मिनट में पहुँचती हूँ। वो खड़ी हुई और उसने कहा ओके चलो हम लेट हो चुके हैं। मगर नाश्ता...........नैना जी ने कहा तो अंजलि ने एक सैंडविच हाथ में लेते हुए कहा ये रहा नाश्ता रास्ते में ही कहा लूँगी। तीनों वहाँ से निकल गए, लेकिन इस बार अंजलि आयुष की बाइक पर बैठी थी। मयंक ये देख उदास हो गया था। जल्दी ही वो तीनों कॉलेज पहुँच गए थे। जहाँ राघव, रागिनी, नाज़िया, रिया, शुभम, नितिन पहले ही पहुँच चुके थे। सभी पिकनिक के लिए बहुत एक्साइटेड थे। करीब 10 बजे प्रिंसिपल सर और उनकी बेटी दिव्या भी वहाँ पहुँच चुके थे। अंजलि को देखते ही दिव्या आकर उसके गले मिल गयी। आयुष ने कहा दिव्या तुम इतनी लेट कैसे हो गई? दिव्या ने कहा पापा की वजह से, उनके कोई फ्रेंड सुबह-सुबह घर पर आ गए थे।
ओह्ह..............अंजलि ने कहा, टाइम तो हो चुका हैं। चलो बस में चलकर बैठते हैं। सभी खुश होते हुए बस में चढ़ गए। राघव और रागिनी दोनों एक साथ बैठ गए। रिया और नाज़िया एक साथ एक सीट पर बैठ गए। नितिन और शुभम भी एक साथ बैठ कर गप्पे मारने लगे थे। अंजलि और दिव्या एक साथ बैठकर बातें करने लगे। आयुष अभी नीचे ही खड़ा था और किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था। थोड़ी दूर पड़ खड़ा मयंक ये सोच रहा था कि ये अंजलि के साथ कौन है? आखिरकार बस का टाइम हो चुका था और स्पोर्ट्स टीचर मिस्टर अनुभव राठोर ने सभी को बस में बैठने की आखिरी अनाउंसमेंट की और सभी बचे हुए स्टूडेंट्स और टीचर बस में बैठ आकर गए। इत्तेफाक था या किस्मत की आयुष और मयंक एक साथ एक ही सीट पर बैठे थे। दोनों ही चुपचाप थे लेकिन ये भी सच था कि दोनों ही एक-दूसरे से बातें करना चाहते थे। लेकिन कोई भी पहले बात करने को तैयार नहीं था या यूँ कहे कि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर बात क्या करें? खैर शुभम की अनाउंसमेंट से उनकी तन्द्रा टूटी।
शुभम ने कहा चलो सभी अन्ताक्षरी खेलते हैं, बहुत मजा आएगा लेकिन कुछ स्टूडेंट्स ने उसके आईडिया को इगनोर करते हुए कहा बोरिंग गेम है। तभी दिव्या ने अपनी सीट पर खड़े होते हुए कहा जिन लोगों को अन्ताक्षरी बोरिंग लगता है वो एक तरफ शिफ्ट हो जाएँ और जिन्हें बोरिंग नहीं लगता वो एक तरफ आ जाएँ। इतना कहना था कि सभी कहने लगे कि हमें तो बोरिंग नहीं लगता। दिव्या ने देखा कुल मिलकर 5-6 स्टूडेंट्स थे जिन्हें अन्ताक्षरी बोरिंग लगता था।
दिव्या ने अंजलि की तरफ देखा और कहा हम दोनों एक ही टीम में रहेंगे ओके। अब टीम बाँटने की बारी आई तो एक टीम बॉयज की थी और दूसरी टीम गर्ल्स की थी।
पहला गाना शुभम ने गाया और इस तरह से अन्ताक्षरी का आगाज़ हुआ। तो आइये हम भी इनके साथ अन्ताक्षरी खेलते हैं और इस अन्ताक्षरी का अंजाम जानते हैं।
शुभम- (राघव की तरफ देखते हुए)
मरीज-ए-इश्क हूँ मैं, कर दे दवा..........,
तलब है तू तू है नशा, गुलाम है दिल ये तेरा,
खुल के जरा जी लूँ तुझे आजा मेरी साँसों में आ .....
मरीज-ए-इश्क हूँ मैं, कर दे दवा.........
हाथ दिल पे तू रख दे जरा....
गर्ल्स में से पहले गया नाज़िया ने:-
राज़ आँखें तेरी सब बयां कर रही,
सुन रहा दिल तेरी खामोशियाँ,
कुछ कहो ना कहो, पास मेरे रहो,
इश्क की कैसी हैं ये गहराइयाँ............
बॉयज में से इस बार गाया आयुष ने-
यम्मा-यम्मा, यम्मा-यम्मा,
ये खूबसूरत समां,
बस आज की रात है ज़िन्दगी,
फिर हम कहाँ तुम कहाँ।
अब बारी थी गर्ल्स की और इस बार गाया अंजलि ने:-
हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िन्दगी,
छाँव है कभी, कभी है धूप ज़िन्दगी,
हर पल यहाँ जी भर जियो,
जो है समां कल हो ना हो........................
अंजलि के दिल की उदासी उसके गाने में साफ़-साफ़ झलक रही थी। जिसे आयुष, दिव्या और मयंक अच्छी तरह समझ रहे थे।
इस बार लड़के “ह” अक्षर से गाना सोच ही रहे थे कि तभी उनके स्पोर्ट्स टीचर ने गाना शुरू कर दिया था:
हमें तुमसे हुआ है प्यार हम क्या करें,
आप ही बताएं हम क्या करें....................
आपसे भी हँसी हैं आपकी ये अदाएं,
हम इस अदा पे क्यों ना मरें....................
वाह सर वाह शुभम ने कहा क्या गाना गया है आपने? वैसे सर आपको किससे प्यार हुआ है? शुभम के इस सवाल पर स्पोर्ट्स टीचर ने उसे घूर कर देखा और बाकी सभी जोर से हँसने लगे। सभी को हँसता देख स्पोर्ट्स टीचर और शुभम भी हँस पड़े थे।
अब बारी थी गर्ल्स की “र” अक्षर से काफी देर सोचने के बाद बॉयज टीम काउंट करने लगी तभी रागिनी ने गाना शुरू कर दिया और सभी लडकियाँ उसके साथ गाने लगी। गाना कुछ इस तरह था:-
रंगीला रे...........................ओ...........
तेरे रंग में यूँ रंगा है मेरा मन, हम्म.............
छलिया रे ना बुझे है किसी जल से ये अगन......हम्म...
रंगीला रे.......................... बस भाई इसके आगे नहीं आता। रागिनी ने कहा तो सभी हँस पड़े और रागिनी झेंप गयी।
अगला गाना गाया नितिन ने ..............
रुक जा ए दिल दीवाने पूछूं तो मैं जरा..............
अरे लड़की है या है जादू खुशबू है या नशा...
पास वो आये तो छू के मैं देखूँ जरा...................
वाह नितिन इतना रोमांटिक गाना................शुभम ने उसे छेड़ते हुए कहा और हलके से कोहनी मारी क्योंकि नितिन का ध्यान सिर्फ सामने वाली सीट पर बैठी रिया पर था। नितिन ने कहा गा दिया मैंने अब गर्ल्स की बारी अगेन “र” से................
दिव्या चिल्लाई याद आ गया........चलो लड़कियों सुर लगाओ मेरे साथ...............
राम चाहे लीला, लीला चाहे राम,
इन दोनों के लव में दुनिया क्या काम.....
इनका तो फंडा है सिंपल सा यार,
गोली मारो तो पंगा, आँख मारो तो प्यार..............
दिव्या ने बॉयज से कहा गाओ “र” से............., आयुष ने कहा फिर से “र” से अरे यार ये “र” तो पीछे ही पड़ गया है, सोचो लड़को जल्दी से इज्ज़त का सवाल है।
सभी सोचने लगे.............. मयंक जो अब तक चुपचाप बैठा था उसने गाना शुरू किया....................
रूहानी सी इक शाम होगी,
हलकी तेरी उसमें आवाज होगी,
रूहानी सी इक शाम होगी,
हलकी तेरी उसमें आवाज होगी,
तू ना जाये कभी, ऐतबार करूँ...........
तू ना जाये कभी, खुदा से ये ही कहूँ......................
मैं जो भी हूँ जैसा हूँ, तुझमें रहता खोता हूँ,
तू मेरा आज है, मेरा कल है,
मेरी ज़िन्दगी की दुआ ...............
तू दुआ है , तू ही है मेरा करम,
तुझपे ही शुरू, तुझपे ही ख़तम.................
मयंक की आवाज और उसके इस गाने ने उस पल इक समां बाँध दिया था और शायद किसी का दिल भी...........................अंजलि एकटक मयंक को गाते हुए देख रही थी।
क्रमश:

