वो तुम हो (पार्ट-15)
वो तुम हो (पार्ट-15)
प्यारे रीडर्स,
आशा करती हूँ कि आप सभी स्वस्थ होंगे। सबसे पहले आप सभी से माफी चाहूंगी कि कहानी का ये पार्ट पोस्ट करने में देरी हो गई। लेकिन अगला भाग जल्द ही पोस्ट करूँगी। अपना ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखें।
अभी तक आपने पढ़ा कि अंजलि की प्यारी दोस्त अमृता इस दुनिया से जा चुकी है। अंजलि बहुत उदास और सदमें में है। मयंक और उसकी माँ अंजलि के घर जाकर उससे मिलते हैं। अंजलि मयंक की बातें सुनकर रो पड़ती है और उसके कंधे से लगकर सो जाती है। आज अंजलि के इतने करीब होने पर मयंक अंजलि की उदासी की वजह को थोड़ा-बहुत समझ पाता है। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-
एक तरफ आयुष अपनी बहन को खो देने के सदमें में था तो वहीं दूसरी तरफ अंजलि इस बात पर यकीन ही नहीं कर पा रही थी कि उसकी प्यारी दोस्त अमृता उसे छोड़कर हमेशा के लिए इस दुनिया से जा चुकी है। अंजलि की इस हालत से जहाँ एक तरफ उसके माता-पिता परेशान हैं वहीं दूसरी तरफ मयंक भी काफी परेशान है। मयंक हर रोज अंजलि के घर जाने लगा ताकि वो अंजलि को इस सदमें से बाहर निकाल सके। लेकिन अंजलि का हाल अब भी वैसा ही था। वो मयंक के सामने रोती थी लेकिन उससे बात नहीं करती थी। वो मयंक की किसी भी बात का जवाब नहीं देती थी लेकिन अपने दुःख को मयंक के सामने आँसुओं में व्यक्त करने में उसे कोई हिचक नहीं होती थी।
एक सप्ताह बाद :-
अंजलि एक हफ्ते से ना तो कॉलेज गयी थी थी और ना ही किसी से बात कर रही थी। लेकिन आज मयंक जब अंजलि के घर पहुँचा तो वो अकेला नहीं था। उसके साथ रिया, रागिनी, नाज़िया, शुभम, नितिन और राघव भी थे। वो सभी जब अंजलि के कमरे में पहुँचे तो एक पल को अंजलि चौंक कर खड़ी हो गयी थी लेकिन अगले ही पल उसने जो कहा उसे सुनकर सब अंजलि को भरी आँखों से देखने लगे थे। तुम लोगों को मुझ पर तरस खाने की कोई जरूरत नहीं है, जाकर अपनी पढाई पर ध्यान दो। ये बातें अंजलि ने कही थी जिसे सुनकर रागिनी अंजलि के करीब आई और उसने कहा यार तेरे बिना हमसे पढ़ाई नहीं हो रही है। तू चल ना कॉलेज, प्लीज तेरे बिना बिलकुल भी मन नहीं लगता हम सबका। अंजलि ने उसे देखा और फिर मयंक से कहा इन सबको कॉलेज भेज दो, मैं ठीक हूँ। मयंक ने सुना तो कहा तो चलो फिर तुम भी तैयार हो जाओ, हम सब साथ में कॉलेज जायेंगे। शुभम ने भी कहा हाँ अंजलि चलो आज सब साथ ही कॉलेज चलते हैं।
अंजलि ने कहा नहीं अभी मैं नहीं जाऊँगी। तभी अमिताभ जी वहाँ आ गए और कहने लगे ये लो बच्चों गर्मा-गरम नाश्ता कर लो। सभी बैठकर नाश्ता करने लगे थे। करीब 2 घंटे बीत गए लेकिन अंजलि अब भी अपनी जिद पर ही टिकी हुई थी कि वो अभी कॉलेज नहीं जायेगी। उधर मयंक का दिमाग आज दुगुनी तेजी से काम कर रहा था। उसने अमिताभ जी से आयुष का फ़ोन नंबर लिया और उसे कॉल कर दिया। उधर आयुष ने फ़ोन उठाया और कहा हेलो! हेलो आयुष, मयंक बात कर रहा हूँ। कैसे हो तुम? अमृता के बारे में सुनकर दुःख हुआ। आयुष खामोश था। मयंक ने कहा आयुष तुम मुझे सुन पा रहे हो ना? दूसरी तरफ से आवाज आई, मयंक क्या अंजलि ठीक है? नहीं, वो ठीक नहीं है , मयंक ने जवाब दिया। मयंक ने आगे कहा क्या तुम यहाँ आ सकते हो? मैं अंजलि के घर पर ही हूँ, बल्कि हम सभी दोस्त यहीं हैं। आयुष ने कहा नहीं मयंक उसे संभालो प्लीज, इस हालत में मैं उसका सामना नहीं कर पाऊँगा।
मयंक को कुछ समझ नहीं आ रहा था सिवाय इसके की शायद अमृता से जुड़ा कोई गहरा राज़ है जो ये दोनों ही छुपा रहे हैं। मयंक ने कहा आयुष अगर तुम आ जाते तो क्योंकि वो तुम्हें बहुत मानती है, शायद तुम्हारी बात ना टाल सके। मैं तो एक हफ्ते से इसे समझाने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। ठीक है मैं आता हूँ कहकर आयुष ने फ़ोन रख दिया। आयुष से बात करके मयंक को अब थोड़ी सी उम्मीद जगी थी। अगले आधे ही घंटे बाद आयुष वहाँ खड़ा था। उसने बुझी हुई अंजलि को देखा और अपनी और उसकी बेबसी पर बरबस ही रो पड़ा था। अपनी आँखों के आँसू पोंछते हुए उसने उसे आवाज दी। अंजलि....…कैसी हो तुम? आयुष की आवाज सुनकर अंजलि बिस्तर से उठ खड़ी हुई थी। वो भागकर आकर आयुष के गले से लग गयी थी। दोनों एक-दूसरे के गले लगकर फूट-फूट कर तब तक रोते रहे, जब तक की उनके दिलों का सारा दर्द बह नहीं गया। उन दोनों को ऐसे रोते देख वहाँ खड़े हर चेहरे पर आँसू उतर रहे थे। मयंक भी रो पड़ा था लेकिन ये सोचकर कि इतनी जरुरी थी अमृता इन दोनों की ज़िन्दगी में, काश वो जिंदा होती।
आयुष ने अंजलि को चुप करवाया और कहा अंजलि खुद को संभालो। तुम्हें ऐसे देखकर अमृता की आत्मा को तकलीफ होगी। आयुष मुझे उसकी बहुत याद आती है, अंजलि ने रोते हुए कहा। याद तो मुझे भी आती है, ऐसा लगता है एक भाई होकर भी मैं उसके लिए कुछ भी नहीं कर पाया। लेकिन अंजलि तुम्हें कॉलेज जाना होगा और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना होगा। तुम्हें इस तरह हारना नहीं है। अंजलि अब भी रो रही थी। थोड़ी दूर खड़ा मयंक अंजलि और आयुष के रिश्ते की गहराई को समझने की कोशिश कर रहा था। उसे लग रहा था कहीं आयुष और अंजलि एक-दूसरे को चाहते तो नहीं हैं। जिस तरह आयुष के आते ही अंजलि उसके गले से लग गयी थी। वो पल मयंक की आँखों के आगे अब भी घूम रहा था। काफी देर बात करने और समझाने के बाद आखिर अंजलि कॉलेज जाने के लिए तैयार हुई। लेकिन उसने सबसे कहा मैं कल से कॉलेज आ जाऊँगी। सभी दोस्त उसके इस फैसले से काफी खुश हुए। थोड़ी देर बात करने के बाद आखिरकार सभी अपने-अपने घरों के लिए निकल गये। अब अंजलि के पास आयुष और मयंक ही बैठे थे। मयंक बहुत चुपचाप बैठा था लेकिन उसके दिमाग में काफी उथल-पुथल मची हुई थी। आयुष ने मयंक की तरफ देखा और शायद उसकी बेचैनी को भाँप गया था। उसने अंजलि से कहा अच्छा अंजलि मैं निकलता हूँ मुझे कुछ जरुरी काम है। तुम कल से कॉलेज जाओगी, और कोई बहाना नहीं। अंजलि ने सहमती में अपनी गर्दन हिला दी थी।
आयुष जाने के लिए उठा और उसने मयंक से कहा- मयंक क्या मुझे एक फेवर करोगे प्लीज? मयंक ने कहा हाँ बोलो प्लीज। मयंक तुम कल से कुछ दिन अंजलि को कॉलेज अपने साथ ही ले जाना और हो सके तो वापसी में घर भी छोड़ भी देना। वो क्या हैं ना इसकी तबियत बिलकुल ठीक नहीं है और काफी कमज़ोर भी लग रही है। तुम साथ रहोगे तो मुझे टेंशन नहीं होगी। मयंक ने हाँ में अपनी गर्दन हिलाई। आयुष अंजलि के गले मिला और कहने लगा प्रिंसेस प्लीज अपना ख्याल रखना। अंजलि ने कहा ओके, तुम भी अपना ख्याल रखना। मयंक को कुछ बहुत अजीब महसूस हो रहा था लेकिन क्या था, कैसी फीलिंग थी वो बयाँ नहीं कर सकता था। आयुष ने कहा चलें मयंक या तुम अभी रुकोगे? मयंक ने अंजलि की तरफ देखा और कहा नहीं अब अंजलि ठीक है, तो मैं भी घर निकल रहा हूँ। जैसे ही मयंक से जाने को हुआ अंजलि ने कहा मयंक सुनो जरा। मयंक पलट कर अंजलि की तरफ देखने लगा तो अंजलि ने आगे बढ़कर उसके गले लगते हुए कहा थैंक यू सो मच! मयंक को ख़ुशी तो हुई लेकिन अब भी मन में एक सवाल था जिसे पूछने की हिम्मत वो नहीं जुटा पाया था।
आयुष और मयंक दोनों अमिताभ जी और नैना जी से मिलकर वहाँ से निकल गये। आयुष और मयंक दोनों ही अंजलि के लिए परेशान दिख रहे थे ये बात शुभम और नितिन को परेशान कर रही थी। यार कहीं आयुष अपनी अंजलि को प्यार-व्यार तो नहीं करता होगा? पता नहीं यार नितिन ने कहा लेकिन याद है तुझे आयुष के आते ही अंजलि कैसे भागकर उसके गले लग गयी थी। इससे तो यही पता लगता है कि दोनों एक-दूसरे के लिए बहुत जरुरी हैं। उधर राघव, रागिनी और रिया के पास अभी घर जाने में काफी समय था तो वो जाकर एक पार्क में बैठ गए थे। उन तीनों के दिमाग में भी यही चल रहा था कहीं अंजलि और आयुष बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड तो नहीं हैं। मयंक भी अपनी ही सोच में गुम था। लेकिन आयुष और अंजलि के दिमाग में सिर्फ एक ही बात चल रही थी कि ये एसिड अटैक आखिर ख़त्म कैसे होंगे।
अगली सुबह मयंक अंजलि के घर पहुँचा। अमिताभ जी और नैना जी उसे देखकर खुश हो गये थे। उन्होंने उसे नाश्ता करने को कहा तो मयंक ने कहा कि वो नाश्ता कर के आया है। तभी अंजलि भी तैयार होकर नीचे आ गयी। अंजलि हमेशा की तरह ही आज भी बहुत खूबसूरत लग रही थी लेकिन उसके चेहरे की उदासी अब भी साफ़-साफ़ दिखाई दे रही थी। नैना जी और अमिताभ जी को गुड मोर्निंग कह कर अंजलि नाश्ता करने बैठ गई। मयंक की नज़र उसकी आँखों की उदासी पढ़ने की नाकामयाब कोशिश कर रही थी। सभी ख़ामोशी से नाश्ता कर रहे थे। अंजलि ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा मेरा हो गया, चलो मयंक देर हो रही है। हम्म..........कहकर मयंक उठा और बाहर जाने लगा। नैना जी ने उसे रोकते हुए कहा बेटा मयंक अंजलि का ख्याल रखना, वो अभी ठीक नहीं है। जी आंटी आप परेशान ना हो, मैं पूरा ख्याल रखूँगा। मयंक ने जाकर बाइक स्टार्ट की और अंजलि अमिताभ जी के साथ बाहर आई और उन्होंने कहा अंजलि बेटा जो हो चुका है उसे भूल जाओ, अपना ध्यान रखना। अंजलि ने सुना तो मुस्कुराई और कहा पापा क्या सब कुछ भुलाया जा सकता है?
अंजलि के इस सवाल का जवाब किसी के पास मौजूद नहीं था। पापा आप परेशान ना हो, मैं अपना ख्याल रखूँगी कहकर अंजलि मयंक की बाइक पर बैठ गयी और अगले ही पल वो रास्ते में थे। काफी देर तक चुप रहने के बाद मयंक ने कहा अंजलि तुम ठीक हो? हम्म..............अंजलि ने कहा। मयंक ने फिर कहा अंजलि एक बात कहूँ अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो? हम्म........एक बार फिर अंजलि ने संक्षिप्त उत्तर दिया। अंजलि तुम बहुत अच्छी हो, वरना कौन अपनी दोस्त की मौत पर यूँ आँसू बहाता है। सब भूल जाते हैं चाहे कितना भी गहरा रिश्ता हो। मैं बहुत बुरी हूँ, इस बार अंजलि ने कहा। मयंक हँस दिया और कहने लगा तुम और बुरी ऐसा हो ही नहीं सकता। कोई अपने हाथ में गंगाजल उठाकर भी कहे कि तुम बुरी हो मैं फिर भी नहीं मानूँगा। मयंक अपनी बात कहते हुए एकदम दृढ़ था। अंजलि ने कहा तुम इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हो कि मैं बुरी नहीं हूँ? मयंक ने कहा बस मेरा दिल कहता है कि तुम बहुत अच्छी हो। अंजलि मुस्कुराई और उसने कहा दिल तो गलत भी हो सकता है ना? मयंक ने कहा नहीं दिल लेफ्ट में होता है पर हमेशा राईट होता है।
इसी तरह कुछ बातें करते हुए आखिर दोनों कॉलेज पहुँच गए थे। अंजलि सब से मिली और सभी उसे कॉलेज में देख कर खुश थे। प्रिंसिपल सर ने भी अंजलि से बात की और कहा बेटा अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, जो बीत गया है उसे भूल जाओ। अंजलि ने हाँ कहा और अपनी क्लास में चली गयी थी। वो क्लास में तो थी लेकिन उसका ध्यान अब भी कहीं अतीत में ही गुम था। उसका अतीत, उसकी दोस्त अमृता का अतीत और आयुष का अतीत, ये सभी मिलकर ही एक कहानी थे जिसे अंजलि और आयुष आज भी भुला नहीं पाए थे। अंजलि खुद से ही बार-बार एक सवाल कर रही थी कि कितनी आसानी से लोग कह देते हैं सब भूल जाओ लेकिन कैसे भूल जाऊँ कि मेरी गलती की सजा अमृता ने भुगती थी। अंजलि अब तक अपने अतीत में बिलकुल खो चुकी थी।
करीब 2 साल पहले:-
हे अंजलि प्लीज जल्दी कर तू रोज लेट करवा देती है। अमृता ने अपने कंधे पर टंगा हुआ बैग एक कुर्सी पर रखते हुए कहा। तभी नैना जी बेटा अमृता नाश्ता कर लो। नहीं आंटी मैं नाश्ता कर चुकी हूँ। अंजलि अपने कमरे से आती हुई सॉरी यार आज आँख ही नहीं खुली थी। अमृता उसे घूरते हुए तेरी आँख तो रोज ही नहीं खुलती। अंजलि मुस्कुराते हुए अरे यार पहुँच जायेंगे तू टेंशन मत ले। तभी अमिताभ जी अपने ऑफिस जाने के लिए तैयार होकर आये और अंजलि ने कहा पापा गुड मोर्निंग हम लेट हैं तो पहले आप हमें हमारे स्कूल छोड़ेंगे। अमिताभ जी ने कहा अंजलि मेरी एक बहुत जरुरी मीटिंग हैं बेटा, आप दोनों आज खुद ही चले जाओ। लेकिन जिद्दी अंजलि कहाँ मानने वाली थी, उसने कहा अगर हम लेट हो गये तो हमारे स्कूल का गेट बंद हो जायेगा। आपका ऑफिस का गेट तो बंद नहीं होगा पापा प्लीज। ओके कहकर अमिताभ जी ने उसकी बात मान ली। जल्द ही दोनों स्कूल में थी।
स्कूल में दिन अच्छा बीता और दोनों वापसी में अकेले ही घर के लिए निकल पड़ी थी। तभी रास्ते में एक करीब 32 साल के युवक ने उन्हें पुकारा। दोनों ही अपनी बातों में मशगूल होकर चल रही थी तो उन्होंने उसकी आवाज नहीं सुनी थी। लेकिन अगले ही पल आगे से आते हुए एक लड़के ने उन्हें कहा आपको कोई आवाज दे रहा है। पलट कर देखने पर उन्हें अजीब लगा क्योंकि आवाज देने वाला शख्स अमृता का पड़ोसी था। अमृता ने अंजलि का हाथ पकड़ा और वापिस चलने लगी तो वो युवक उनके सामने आ गया। अमृता ने कहा देखो नमन मैंने आपको बहुत बार कहा है कि मुझे आपसे बात ही नहीं करनी। लेकिन आपको समझ क्यों नहीं आता? अंजलि को कुछ पता नहीं था तो वो चुपचाप अमृता की बात सुन रही थी। तभी उस युवक ने कहा तू अपने आपको हूरपरी समझती है क्या? मैं तुझसे नहीं इससे बात करने आया हूँ। अमृता ने सुना तो अंजलि की तरफ देखने लगी, जैसे उससे पूछ रही हो कि क्या तू जानती है इसे? अंजलि को कुछ समझ नहीं आया तो उसने अपने कंधे उचका दिये थे।
अगले ही पल वो शख्स अंजलि के सामने घुटनों के बल बैठ गया और कहने लगा मुझे तुमसे प्यार हो गया है। पहली नज़र वाला प्यार, क्या तुम मुझसे फ्रेंडशिप करोगी? अंजलि ने कहा ओह्ह भाई अपनी शक्ल देखी है और शक्ल नहीं देखी तो कोई बात नहीं लेकिन अपनी उम्र तो देखो। हटो परे पता नहीं कहाँ-कहाँ से चले आते हैं? अंजली अमृता का हाथ पकड़ आगे चलने को हुई तो उस लड़के ने अंजलि का हाथ पकड़ लिया और बेशर्मी से हँसते हुए कहने लगा “जानेमन उम्र है तो एक्सपीरियंस भी बहुत है, मजे करवाऊंगा रात-दिन।” इतना सुनना था कि अंजलि का गुस्सा फट पड़ा और उसने उसके गाल पर 2-3 थप्पड़ एक साथ ही जड़ दिए थे। चूँकि स्कूल की छुट्टी का समय था तो वहाँ भीड़ लगने लग गयी थी। उस युवक को खतरे का अंदाज़ा हुआ तो उसने गुस्से में कहा देख लूँगा तुझे और वहाँ से चला गया। अंजलि को तो गुस्सा आ रहा था लेकिन अमृता उस दिन सहम गयी थी।
पूरे रास्ते अंजलि गुस्से में बडबडाती रही लेकिन अमृता ने एक शब्द भी नहीं कहा था। दरअसल अमृता उस शख्स और उसके कारनामों के बारे में जानती थी लेकिन अंजलि इस सब से अनजान थी। उस युवक नमन ने अमृता को तब परेशान किया था जब वो कक्षा 9 में पढ़ती थी। अमृता के पापा पुलिस में थे। अमृता के शिकायत करने पर नमन को गिरफ्तार किया गया था और इस वजह से नमन की खूब धुलाई भी हुई थी। उसने डर के मारे उस दिन के बाद से उसने अमृता का पीछा नहीं किया था। लेकिन अमृता ये भी जानती थी कि नमन उस पर आते-जाते नज़र रखा करता था। अमृता उससे बहुत डरती थी। अंजली ने कहा अमृता तुझे क्या हुआ इतनी डरी हुई क्यों है? अमृता ने बस इतना कहा अंजलि उसे थप्पड़ मार कर तूने ठीक नहीं किया। अंजलि ने भी अमृता का डर भांपते हुए कहा थप्पड़ नहीं मारती तो क्या उसको किस कर लेती या फिर आई लव यू बोल देती? अमृता ने उसे गुस्से में देखा और कहा अच्छा चल घर चल बाद में बात करेंगे। वो अभी थोड़ी ही दूर गए थे कि आयुष वहाँ आ पहुँचा। आयुष को देख अमृता की जान में जान आई। दोनों उसकी बाइक पर बैठ गयी और अभी थोड़ी देर पहले जो कुछ हुआ उसके बारे में सोचने लगी।
आयुष ने कहा आज तुम दोनों कुछ ज्यादा ही शांत हो, कुछ हुआ है क्या? आयुष की आवाज से अंजलि और अमृता दोनों एक साथ ही बोल पड़े नहीं........कुछ भी तो नहीं हुआ। आयुष ने पहले अंजलि को उसके घर के बाहर छोड़ दिया और फिर खुद अमृता के साथ अपने घर की ओर चल दिया। अमृता ने सोचा कि आयुष को नमन की आज की हरकत के बारे में बता दूँ लेकिन फिर अगले ही पल वो सोचने लगी कि हो सकता है अंजलि के थप्पड़ खाकर वो अब हमारे सामने ही ना आये। अंजलि और अमृता दोनों ने ही नमन का जिक्र अपने घर में ना करना ही सही समझा और ये उन्होंने यही गलत किया। इसका एहसास उन्हें जब हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
अंजलि और अमृता अपने एग्जाम देकर एग्जाम सेंटर से बाहर आई ही थी कि उनकी नज़र नमन पर पड़ी जो कि काफी गुस्से में उन्हें ही घूर रहा था। अपनी आदत के अनुसार अंजलि हमेशा से बहुत दबंग थी और अमृता थोड़ी डर-सहमी रहने वाली शक्सियत थी। अंजलि ने अमृता को डरते हुए देखा तो नमन से कहा क्यों घूर रहे हो अंकल लगता है उस दिन के थप्पड़ से आपका काम नहीं हुआ और हमें घर पर आपकी शिकायत लगानी ही पड़ेगी। नमन बिना कुछ बोले वहाँ से गायब हो गया। अंजलि और अमृता अब आयुष का इंतजार करने लगे थे। लेकिन तभी उनके बिलकुल करीब एक बाइक आकर रुकी और अमृता कुछ देख चीख पड़ी थी। अंजलि कुछ समझ पाती इससे पहले ही अमृता उसके आगे आ गयी थी और अगले ही पल अमृता वहीं रोड पर पड़ी दर्द से चीख रही थी। वो बाइक वहाँ से आगे बढ़ चुकी थी लेकिन अंजलि ने उस शख्स का चेहरा देख लिया था, वो नमन था। अमृता को इस हालत में देखकर अंजलि के होश उड़ चुके थे और उसकी चीखें सुनकर अंजलि अपने कान बंद कर रही थी। आस-पास काफी लोग जमा हो चुके थे लेकिन मदद के लिए नहीं सिर्फ और सिर्फ तमाशा देखने के लिए।
अंजलि ने कई लोगों से मदद माँगी कि कोई अमृता को हॉस्पिटल पहुँचा दे या फिर कोई फ़ोन दे दे जिस से की अंजलि अपने और अमृता के घर पर इस हादसे की खबर दे सके लेकिन किसी ने किसी भी तरह की कोई मदद नहीं की। अंजलि अमृता को खुद ही हॉस्पिटल लेकर जाने लगी लेकिन तभी भीड़ को चीरता हुआ आयुष उसके सामने आ खड़ा हुआ। आयुष को अपने सामने देख अंजलि उससे लिपट कर रो पड़ी और उसने कहा अमृता को हॉस्पिटल ले चलो जल्दी प्लीज। अमृता अब भी दर्द से चीख रही थी। आयुष ने अमृता को देखा तो एक पल के लियी उसकी भी चीख निकलने को हो गयी थी लेकिन उसने खुद को संभाला और जल्दी ही वो हॉस्पिटल पहुँच गये। वहाँ पहुँच कर अंजलि को एडमिट किया गया लेकिनं उसकी चीखें अब भी उतनी ही तेज थी, उतनी ही दर्दभरी जिन्हें सुनकर किसी की रूह भी काँप उठे।
चूँकि ये एक पुलिस केस था तो पुलिस को तो आना ही था। पुलिस जब सामने आई तो अंजलि ने कहा अंकल उसने अमृता के ऊपर एसिड फेंक दिया और ये कहते ही अंजलि फूट-फूट कर रो पड़ी थी। अंजलि के सामने और कोई नहीं बल्कि अमृता के पापा पुलिस इंस्पेक्टर अवध सिंह खड़े थे। कौन था वो बेटा, क्या तुम उसे जानती हो? इस आवाज में पुलिस की पूछताछ के साथ-साथ एक बाप की तकलीफ भी छुपी थी। अंजलि ने कहा वो नमन नाम है उसका मुझे अमृता ने ही बताया था। अंजलि ने आज की घटना और इसके कुछ समय पहले हुई दोनों घटनाओं का खुलासा किया था। अवध जी ने तुरंत नमन को ढूँढने के लिए अपनी एक टीम भेजी और जल्द ही नमन को गिरफ्तार भी कर लिया गया। पुलिस ने जब नमन का बयान लिया तब अंजलि पुलिस स्टेशन में उसकी शिनाख्त के लिए मौजूद थी। जब नमन ने बयान में ये कहा कि वो एसिड अंजलि के ऊपर डालने के लिए लाया था और अमृता जान-बूझकर अंजलि को बचाने के लिए उसके आगे आ गयी थी। उस पल अंजलि को मानो काटो तो खून नहीं। अंजलि डर के मारे अमिताभ जी और नैना जी के पास सिमटती चली गयी थी।
अंजलि रह-रह कर यही सोच रही थी कि अगर अमृता उसके आगे नहीं आती तो आज जो हालत अमृता की है वो हालत खुद उसकी होती। अंजली आत्मग्लानि से भर चुकी थी क्योंकि कहीं ना कहीं अमृता की इस हालत का जिम्मेदार वो खुद को मानने लगी थी। अमृता ने अपनी दोस्ती बखूबी निभायी थी और अब बारी अंजलि की थी। अंजलि ने अदालत में जाकर नमन के खिलाफ गवाही दी और नमन को सजा हो गयी। लेकिन अंजलि खुद को ये नहीं समझा पायी थी कि अमृता की इस हालत की जिम्मेदार वो नहीं बल्कि नमन था। अंजलि रोज अमृता के पास जाती और बेहोश पड़ी अमृता को देखकर रोती और फिर वापिस आ जाती। अमृता ने कुछ दिनों बाद थोड़ी सी प्रतिक्रिया दी लेकिन उसका चेहरा इस कदर ख़राब हो चुका था जिसे देखने की हिम्मत किसी में नहीं थी। लेकिन जब करीब चार महीनों बाद एक दिन अमृता ने अपना चेहरा देखा तो जैसे उसकी ज़िन्दगी वहीं थम गयी। उस दिन के बाद से अपने आखिरी समय तक अमृता ने एक कभी ना टूटने वाला मौन व्रत धारण कर लिया था। अंजलि की आँखों से आँसू बहकर उसकी किताब पर आ टपका। रागिनी ने देखा तो वो अंजलि को लेकर क्लास के बाहर चली गयी।
अंजलि खुद को सम्भालों यार, तुम तो इतनी हिम्मत वाली हो तुम कैसे टूट सकती हो? अंजलि इस बात पर खुद के आँसू पोछने लगी और उसने रागिनी से कहा मुझे अभी घर जाना है। रागिनी ने कहा ठीक है तुम रुको मैं आती हूँ। रागिनी ने मयंक को फ़ोन किया और अंजलि की हालत के बारे में बताया। मयंक भागता हुआ वहाँ पहुँचा जहाँ अंजलि बैठी अब भी रो रही थी। मयंक ने कहा अंजलि चलो हम घर चल रहे हैं। अंजलि उठी और मयंक के आगे-आगे चलने लगी थी। मयंक ने रागिनी से अंजलि का बैग लिया और खुद भी उसके पीछे चल पड़ा। बाइक लेकर मयंक जैसे ही अंजली के सामने आया, अंजलि ने कहा मयंक अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो बाइक मैं चला सकती हूँ? मयंक ने कहा तुम्हें बाइक चलानी आती है? ह्म्म्म.....कहकर अंजलि मयंक की तरफ देखने लगी। मयंक ने उसे कहा ठीक है लेकिन थोड़ा ध्यान से चलाना। अंजलि ने बाइक स्टार्ट की और मयंक उसके पीछे बैठ गया। अंजलि अपनी ही धुन में बाइक चलाये जा रही थी। मयंक ने कहा अंजलि ये शायद हम गलत रोड पर आ गये हैं। ये सुनकर अंजलि की तन्द्रा टूटी और उसने जवाब दिया नहीं हम कुछ देर एक जगह पर जा रहे हैं। मयंक ने अब कोई सवाल नहीं किया।
अंजलि ने बाइक ले जाकर एक पार्क के बाहर रोक दी और मयंक से उतरने को कहा। मयंक वहाँ उतरकर उस पार्क को देखने लगा। अंजलि ने बाइक लॉक की और खुद पार्क के गेट की तरफ बढ़ गयी। मयंक भी उसके पीछे चल पड़ा। अंजली को जाने क्या याद आया और उसने पीछे मुड़कर मयंक से कहा तुम्हें देर तो नहीं हो जायेगी? मयंक ने कहा नहीं अभी तो काफी टाइम है। अंजलि ने जब ये सुना तो वापिस चलने लगी और जाकर एक बेंच के पास रुक गयी। मयंक उसे परेशान देख रहा था लेकिन उसने कोई सवाल ना करना ही उचित समझा। अंजली खुद ही मयंक को बताने लगी कि इस बेंच पर मैं और अमृता अक्सर आकर बैठते थे। ये कहकर वो उस बेंच की उस जगह पर हाथ फिराने लगी जहाँ शायद अमृता बैठती थी। अंजलि की आँखों से बहकर फिर आँसू की कुछ बूँदें उसके गालों पर आ गयी थी। उसके बाद अंजलि उसी बेंच पर बैठ गयी और कभी झूले की तरफ देखती तो कभी मयंक की तरफ।
अंजलि ने कहा मयंक तुम्हें पता है मेरी अमृता बहुत डरती थी। एक बार टीवी में एक एसिड अटैक का सीन देखकर उसने कहा था यार कितना दर्द हुआ होगा उस लड़की को? मयंक क्या तुम बता सकते हो कितना दर्द हुआ होगा मेरी अमृता को? मयंक ने अपनी गर्दन झुका ली थी क्योंकि अंजलि के इस सवाल का जवाब मयंक के पास भी नहीं था। मयंक ने कहा अंजलि मैं नहीं जानता आखिर क्या हुआ था तुम्हारे और अमृता के साथ जो तुम्हें इन हालातों का सामना करना पड़ा। लेकिन सच यही है कि अमृता जा चुकी है और तुम्हें जीना होगा। मैं नहीं जीना चाहती मयंक, वो मेरी वजह से ही..................कहते-कहते अंजलि एक बार फिर रो पड़ी थी। मयंक ने कहा नहीं अंजलि तुम्हारी वजह से कुछ नहीं हुआ है? इस सबके लिए वो लड़का जिम्मेदार है, उसकी गन्दी सोच जिम्मेदार है। लेकिन वो मुझ पर एसिड डालने आया था। मयंक ने सुना तो उसके पैरों तले से जैसे जमीन ही निकल गयी थी। उसने कहा क्या तुम पर एसिड डालने आया था लेकिन क्यों? मयंक के इस सवाल पर अंजलि रोती आँखों के साथ मुस्कुराई और कहने लगी उसे मुझसे प्यार हो गया था। उस 32 साल के आदमी को मुझसे ....16 साल की लड़की से प्यार हो गया था। मैंने मना कर दिया तो उसने मुझसे बड़ी ही बेशर्मी से अपनी बात कही। मैंने गुस्से में उससे थप्पड़ मार दिया और फिर वो एसिड लेकर आ गया। हमारे स्कूल के बाहर, वो मुझ पर एसिड डालने आया था लेकिन अमृता...................मेरी अमृता ने.............................आज शायद अमृता की जगह मैं मर चुकी होती। अंजली का दर्द उसकी तकलीफ से आज मयंक बखूबी वाकिफ हो चुका था। उसे कुछ नहीं सूझा उस पल तो उसने रोती हुई अंजलि को अपने सीने से लगा लिया था। अंजली भी उसके सीने से लगी काफी देर तक सुबकती रही। मयंक ने ही कहा अंजलि टाइम काफी हो गया है हमें घर चलना चाहिए।
अगले कुछ मिनटों बाद अंजलि अपने घर के बाहर खड़ी थी। मयंक ने उसे कहा बाय अंजलि और प्लीज अपना ख्याल रखना। तुम्हें इस तरह तकलीफ में देखना हम सबके लिए बहुत तकलीफदेह है। प्लीज अपना ध्यान रखो। मयंक जैसे ही जाने को हुआ अंजलि ने उसे कहा घर के अंदर चलो कॉफ़ी पीकर जाना। मयंक ने सुना तो मुस्कुरा दिया था, उसने कहा फिर कभी अंजलि। हम्म............ओके कहकर अंजलि अंदर चली गयी और मयंक अपने घर पहुँच गया। आज अंजलि और मयंक दोनों ही अलग-अलग होकर भी एक साथ थे। अंजलि को मयंक से अपना दर्द बयां करने के बाद एक सुकून महसूस हो रहा था। वहीं मयंक को अंजलि ने आज कहीं न कहीं ये महसूस करवाया था कि वो अंजलि के लिए ख़ास है। मयंक खुश था और उसने अंजलि को याद करते हुए कहा:-
“वादा रहा चुरा लूँगा हर एक,
आँसू तेरी आँखों से एक दिन,
सच है अब तो मेरी ये दुनिया,
कुछ बेतरतीब-सी है तेरे बिन।”
दूसरी तरफ अंजलि आज पहले के मुकाबले थोड़ी सहज थी। हालाँकि उसने अमिताभ जी या नैना जी से कोई बातचीत नहीं की थी लेकिन कुछ ख़ास था जो उसने आज किया था। जी हाँ हमारी अंजलि आज अपनी डायरी और कलम के साथ अपनी बालकनी में बैठी थी। तो आइये हम सब पढ़ते हैं कि अंजलि ने आज क्या लिखा है:-
जाने क्यों पत्थर से हो चुके हैं सभी जज़्बात अब मेरे,
यकीं है तुम्हारी समझ से परे हैं ये हालात अब मेरे।
बिखरा हुआ है कुछ भीतर, समेट रही हूँ बार-बार,
जानती हूँ सहल नहीं, हैं मुश्किल सवालात अब मेरे।
उम्मीद नहीं अब किसी से, देखो खुद से ही उलझ पड़े हैं,
मुल्तवी कर दिए सपने, मयस्सर नहीं ख्यालात अब मेरे।
सोचती हूँ उस फलक को छूने की तदबीर हो कोई तो,
इल्तिज़ा, इख्तिलाफ़ बेमानी, कज़ा से दिन-रात अब मेरे।
जो संभालता था हर पल मुझे, खूबसूरत वो ख्याल था,
ये कैसे बेतरतीब से मुज़म्हिल खाहिशात हैं अब मेरे।
आसमां के उस चाँद से है मुझे शिकायत जाने क्यों?
जबकि उसी के जैसे घटते-बढ़ते मामलात हैं अब मेरे।
ऐ “मीन” तू दुआ कर, अपने दिल को ना यूँ छुआ कर,
घायल वो इस कदर है जैसे जख्मी हैं अल्फाज़ अब मेरे।
क्रमशः

