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Meena Singh "Meen"

Comedy Romance

3  

Meena Singh "Meen"

Comedy Romance

वो तुम हो (पार्ट-13)

वो तुम हो (पार्ट-13)

19 mins
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प्यारे रीडर्स,

अभी तक आपने पढ़ा कि राघव कुछ अपने दिल के हाथों मजबूर होकर और कुछ अपनी माँ से बात करने के बाद आखिरकार रागिनी से अपने दिल की बात कह देता है। राघव और रागिनी अब एक साथ हो चुके थे और ये देखकर उनके सभी दोस्त बहुत खुश थे। अंजलि और मयंक भी अपने प्लान के कामयाब होने पर बहुत खुश थे। मयंक अंजलि से कुछ बात करने की कोशिश करता है तभी आयुष वहाँ आता है और अंजलि को अपने साथ लेकर चला जाता है। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-


अंजलि आयुष के साथ चली जाती है और मयंक ये देखकर बहुत उदास हो जाता हैं। शुभम मयंक के पास आता है और उसकी उदासी देखकर कहता है यार ये आयुष मुझे कुछ ठीक नहीं लगता। तू भाभी को प्रपोज कर दे कहीं ऐसा ना हो की तुझसे पहले वो उन्हें उड़ा ले जाए। शुभम की बात सुनकर मयंक ने उसे घूरा लेकिन अगले ही पल उसने कहा तू सही कह रहा है यार लेकिन मुझे लगता है कि अंजलि भी उसे पसंद करती है। शुभम ने सुना तो कहा तू पागल है क्या? ये देख कहकर उसने अंजलि और मयंक की वो फोटो दिखाई जो उसने तब खींची थी जब अंजलि गिरने वाली थी और मयंक ने उसे संभाल लिया था। मयंक उस फोटो को देख कर मुस्कुराया तो शुभम ने उसे छेड़ना शुरू कर दिया था।


उधर मार्केट में आयुष ने दिव्या के लिए गिफ्ट लिया और उसने अंजलि को कहा तुम भी मयंक के लिए कुछ गिफ्ट ले लो। अंजलि ने कहा क्यों उसका भी बर्थडे है क्या? आयुष ने कहा अरे तुम्हारे मिशन में उसने भी तो साथ दिया था तो एक थैंक यू गिफ्ट तो बेचारे बंदर को भी मिलना चाहिए। अंजलि ने उसे घूरा और कहा बात तो सही है तुम्हारी लेकिन ऐसे तो तुमने भी मेरी मदद की है तो फिर तो तुम्हें भी गिफ्ट मिलना चाहिए क्यों? आयुष ने कहा वाओ प्रिंसेस यू आर सो काइंड। मेरी खुशनसीबी होगी लेकिन आपका बंदर चिढ़ जाएगा। अंजलि ने कहा आयुष प्लीज बार-बार ऐसे मत कहा करो उसे पता लग गया तो उसे अच्छा नहीं लगेगा। आयुष अब बहुत जोर से हँसा तो अंजलि ने कहा कोई जोक सुनाया मैंने जो इतनी जोर से हँसी आई है? आयुष ने कहा उससे पहले तो तुम्हें बुरा लग रहा है। वैसे बंदर नहीं है लड़का तो स्मार्ट है और दिखने में शाहरुख़ खान है। अंजलि अब कुछ सोचने लगी थी आयुष ने देखा तो मुस्कुराया और कहने लगा वैसे तुम उसे बंदर क्यों कहती हो?


अंजलि ने कहा पता नहीं मुझे तो अच्छे से कुछ भी याद नहीं लेकिन मयंक की फैमिली और मेरी फैमिली काफी क्लोज हैं। बचपन में कुछ टाइम हम साथ खेले हैं क्योंकि मयंक की फैमिली हमारे पड़ोस में ही रहती थी और मॉम डैड कहते हैं तभी मैं उसे बंदर कहती थी। और वो तुम्हें क्या कहता था? नकचढ़ी बिल्ली अंजलि एक्साइटमेंट में बोल गयी। ये सुनकर आयुष का हँस-हँस कर बुरा हाल हो गया था। अब अंजलि खुद को ही कोस रही थी कि ये बात इसे क्यों बता दी अब ये मुझे जीने नहीं देगा। आयुष ने कहा प्रिंसेस सब ठीक है लेकिन बंदर और बिल्ली की जोड़ी............इस बार वो फिर जोर से हँस पड़ा था और अंजलि ने अपनी सैंडल हाथ में लेते हुए कहा आयुष के बच्चे इस बार तू गया। भागते-भागते आयुष सामने से आती हुई लड़की से टकरा गया और बिना देखे ही उसे सॉरी कहने लगा। आयुष तुम यहाँ? अरे दिव्या हाय! हैप्पी बर्थडे। तभी अंजलि भी हाथ में सैंडल लिए वहाँ पहुँच गयी। दिव्या ने एक बार अंजलि की तरफ देखा और फिर एक बार आयुष की तरफ। अंजलि ने अपनी सैंडल वापिस पहन ली थी लेकिन दिव्या अंजलि के तरफ देखती ही रही थी। दिव्या के मुकाबले अंजलि बहुत खूबसूरत थी। एक पल को दिव्या उसे देखकर सोचने लगी थी कि ये कितनी सुंदर है।


वहीं दूसरी तरफ अंजलि आयुष से इशारे से पूछ रही थी कि ये कौन है? आयुष ने कहा हे अंजलि ये दिव्या है और दिव्या ये अंजलि है। दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और हेलो कहा। अंजलि दिव्या को देखकर बहुत खुश हुई थी लेकिन दिव्या को अंजलि से मिलकर कोई खास ख़ुशी नहीं हुई थी। तभी वहाँ विवेक पहुँच गया, आई एम् सॉरी दिव्या मैं थोड़ा लेट हो गया। आयुष जो कि दिव्या को देखकर खुश हुआ था, विवेक को देखकर उसके चेहरे की सारी ख़ुशी गायब हो गई थी। दिव्या और विवेक आपस में झगड़ रहे थे और अंजलि आयुष के चेहरे को देख कर सारा माजरा समझ चुकी थी। अंजलि के दिमाग में अब थोड़ी खुराफात आ चुकी थी। वो आयुष के करीब आई और उसका हाथ पकड़ कर उसने थोड़ा जोर से कहा बेबी ये तुम्हारी फ्रेंड का बॉयफ्रेंड है क्या? देखो तो दोनों कैसे झगड़ रहे हैं। प्लीज बेबी चलो यहाँ से मुझे लड़ाई-झगड़ा पसंद नहीं है।


अंजलि के इस बर्ताव से आयुष बेचारा हैरान हो रहा था लेकिन दिव्या उसे तो गुस्सा आ चुका था। उसने आयुष से कहा ये तुम्हारी गर्लफ्रेंड है ना? तुमने मुझे आज तक बताया भी नहीं कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है। आयुष कुछ बोलने को हुआ तभी अंजलि कहने लगी आयुष बेबी प्लीज लेट्स गो ना! मुझे बहुत बुरा लग रहा है तुम्हारी फ्रेंड के लिए कैसे लड़के से प्यार करती है। देखो तो इसे मना भी नहीं रहा, और लड़ाई कर के दूर जाकर खड़ा हो गया हैं। आगे अंजलि ने कहा दिव्या बाय और हो सके तो किसी अच्छे लड़के से फ्रेंडशिप करो। वो तुम्हारी रिस्पेक्ट नहीं करता और जो लड़का किसी लड़की की रिस्पेक्ट नहीं करता वो कभी सच्चा प्यार नहीं करता। एक्सक्यूस मी, दिव्या ने गुस्से में कहा तो अंजलि ने कहा नाऊ यू एक्सक्यूस मी प्लीज। लेट्स गो बेबी, कितने बोरिंग कपल हैं ये लोग। ये कहकर अंजलि आयुष को खींचती हुई वहाँ से ले गयी। दिव्या गुस्से में अंजलि को घूर रही थी। आयुष बेचारा कुछ कहने और समझने की हालत में ही नहीं रहा था। वो बस जाते हुए मुड़कर दिव्या को देख रहा था जो कि लगभग खा जाने वाली नज़रों से आयुष को देख रही थी। उनके जाने के बाद विवेक दिव्या को सॉरी कहने आया लेकिन दिव्या उसकी बात सुने बिना ही गुस्से में वहाँ से चली गयी। वहाँ से निकल कर अंजलि ने आयुष से कहा यार वो लड़का तो बिलकुल भी अच्छा नहीं है। तुम्हारी दोस्त क्या पागल है? आयुष कुछ कहने को हुआ तभी अंजलि ने कहा वैसे है तो पागल ही कोई सही दिमाग की लड़की उसके जैसा बॉयफ्रेंड नहीं बनाएगी।


आयुष ने कहा अंजलि ये सब क्या था? आज उसका बर्थडे है यार उसका सारा मूड ख़राब हो गया होगा। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। अंजलि ने कहा सीरियसली, तुम्हें लगता है मैंने कुछ गलत किया है? इसका मतलब है तुम दिव्या से प्यार ही नहीं करते वरना कैसे उसको इतना बड़ा गलत फैसला लेने से पहले समझाते नहीं। आयुष ने कहा मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ। अंजलि ने कहा आयुष मैं जानती हूँ लेकिन दिव्या नहीं जानती। उसे बताना होगा कि तुम उसे सबसे ज्यादा चाहते हो। आयुष ने कहा रहने दो अंजलि वो खुश है उसके साथ। कोई खुश नहीं है वो, इस बार अंजलि ने थोड़े गुस्से से कहा। आयुष ने कहा तुम्हें कैसे पता कि वो खुश नहीं है? क्योंकि मैं एक लड़की हूँ और बेहतर समझ सकती हूँ। ओह्ह रियली आयुष ने कहा, तो तुम्हें आज तक मयंक की फीलिंग क्यों नहीं समझ आई। वो भी तो तुम्हें बहुत चाहता है। अंजलि ने अब उसे गुस्से में देखा तो आयुष ने कहा ऐसे क्या घूर रही हो? सब जानता हूँ मैं वो कितना पसंद करता है तुम्हें और तुम............तुम भी उसे पसंद करती हो।


अंजलि ने कहा हाँ तो क्या चाहते हो तुम? आयुष ने कहा जाकर बताओ उसे। क्यों मैं क्यों बताऊँ वो भी तो बता सकता है मुझे और वैसे भी लड़के ही पहल करते हैं। मैं नहीं कहने वाली उसे पहले। आयुष मुस्कुराया और कहने लगा वैसे सही नाम रखा है मयंक ने तुम्हारा नकचढ़ी बिल्ली........हाँ वही हो तुम। अंजलि मुस्कुरायी और उसने कहा तुम्हें पता है मयंक ने कितनी बार मुझसे कहा है कि “वो तुम हो”! आयुष ने कहा मतलब...........वो तुम हो। तुम नहीं समझोगे जाने दो।

अब ये बताओ दिव्या की बर्थडे पार्टी में जा रहे हो? आयुष ने कहा नहीं गया तो घर आ जाएगी मुझे लेने, जाना तो पड़ेगा। वैसे तुमने जो अभी किया है उसके बाद मेरा जाने का मन नहीं है। अंजलि ने कहा शट अप मैं जो करती हूँ, सोच-समझ कर करती हूँ। कितने बजे है पार्टी? आयुष ने कहा 8 बजे के करीब। अंजलि ने कहा मुझे भी ले चलो ना बेबी, प्लीज। आयुष ने कहा क्या...............तुम वहाँ क्या करोगी? बेबी प्लीज, तुम्हें कुछ दिखाना है मुझे। क्या दिखाना है आयुष ने हैरान होकर अंजलि से पूछा। यही की दिव्या भी तुम्हें चाहती है। व्हाट???? आयुष ने कहा पागल हो गयी हो क्या? अंजलि ने कहा देखा मैंने कैसे जल-भुन रही थी तुम्हें मेरे साथ देखकर। ऐसा तभी होता है जब कोई आपसे प्यार करता है। फ़िज़ूल की फिलोसोफी मत करो अब चलो तुम्हें घर छोड़ देता हूँ। अंजलि ने कहा अच्छा एक काम करते हैं, आज बर्थडे पार्टी में लेकर चलो मैं साबित कर दूँगी कि दिव्या भी तुम्हें चाहती है। बिलकुल नहीं आयुष ने सधे शब्दों में जवाब दिया। अंजलि ने कहा प्लीज...........लेकिन आयुष ने कहा नहीं अंजलि प्लीज तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगी।


अंजलि ने बात नहीं बनती देखी तो उसने कहा अच्छा एक काम करते हैं? आयुष ने उसकी तरफ देखते हुई अपनी भौंहें ऊपर चढ़ाते हुए कहा क्या? अगर मेरा ये सोचना गलत हुआ कि दिव्या भी तुम्हें चाहती है तो ..........क्या तो....आयुष ने पूछा? तो मैं मयंक को प्रपोज कर दूँगी? क्या????? इस बार आयुष हैरान हो चुका था। क्या सच में उसने सीरियस होते हुए पूछा? अंजलि ने कहा जानती हूँ इसकी नौबत नहीं आएगी लेकिन अगर मैं गलत हुई तो करना तो पड़ेगा ही? ओके देन डन! लेकिन तुम पार्टी में कैसे जाओगी? आई मीन अंकल आंटी जाने देंगे तुम्हें? अंजलि ने कहा तुम बस जब मैं कहूँ मुझे पिक करने आ जाना और हाँ घर से थोड़ा दूर खड़े होना। आयुष ने कहा आर यू सीरियस??? यस आई एम डैम सीरियस। अच्छा अब चलो जल्दी ज्यादा टाइम नहीं है 8 बजने में। आयुष ने अंजलि को उसके घर के बाहर छोड़ दिया और खुद अपने घर के लिए निकल गया था।


अंजलि घर के अंदर घुसी तो नैना जी उसे घूर रही थी। मॉम क्या हुआ ऐसे गुस्से में क्यों हो? नैना जी ने कोई जवाब नहीं दिया और किचन में चली गयी थी। अंजलि ने अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाये और जाकर नैना जी के गले से लिपटते हुए कहने लगी आई लव यू नैना! बदमाश माँ का नाम लेती है कहकर नैना जी बेलन लेकर अंजलि की तरफ भागी। अंजलि भागते हुए बैठक में पहुँच गयी थी और तभी अमिताभ जी भी वहाँ पहुँच गए थे। अरे भाई ये क्या हो रहा है? डैड मॉम बहुत गुस्सा हो रही थी कह रही थी कि शर्मा जी कभी मुझे आई लव यू नहीं कहते? अमिताभ जी ने अंजलि के कान पकड़ते हुए कहा तो हमारी श्रीमती जी को तुम परेशान कर रही हो। नैना जी ने कहा बहुत बिगाड़ रखा है आपने इसे। कुछ भी बोलती है। अमिताभ जी ने कहा तो क्या हुआ भाई एक ही तो बिटिया है हमारी। अब इकलौती लड़की भी बिगड़ी हुई नहीं होगी तो लोग बातें बनायेंगे। कहेंगे कि बताओ अकेली लड़की थी फिर भी बिगड़ी नहीं। ये सुनकर नैना जी ने अपना माथा पीट लिया और बड़बड़ाती हुई रसोई में वापिस चली गयी। अमिताभ जी ने कहा अंजलि बुरी बात है मेरी नैना को यूँ परेशान मत किया करो। मेरी नैना....... ओहो डैड............फुल लट्टू हो आप भी मॉम पर। अमिताभ जी ने कहा भाई फुल ही होना चाहिए वरना कहानी ख़राब हो जाती है।

डैड में चेंज करके आती हूँ बहुत भूख लगी है। अंजली जाने लगी तो अमिताभ जी ने कहा अरे राघव और रागिनी वाले प्लान का क्या हुआ? अंजलि ने सुना तो पलट कर वापिस आई और कहा डैड आज ही राघव ने अपने दिल की बात कह दी है दोनों अब एक साथ हैं। बहुत बढ़िया तो आपका मिशन आख़िरकार सक्सेसफुल रहा? यस डैड कहकर अंजलि अपने पापा के गले लगती हुई कहने लगी बस अभी आई। अंजलि अपने कमरे में गयी और उसने आयुष को फ़ोन किया। हेलो, कितनी देर में आ रहे हो मुझे लेने? अंजलि आर यू सीरियस, क्या तुम सच में वहाँ चलोगी? और नहीं तो क्या? अब जल्दी बताओ कितनी देर में आ रहे हो?


आयुष कहता है अंजलि.......फटाफट आओ। ओके कहकर आयुष ने फ़ोन काट दिया। इधर अंजलि डिनर के लिए नीचे गई और जल्दी-जल्दी में थोड़ा-सा खाना खाकर वापिस अपने कमरे में जाने लगी। अमिताभ जी ने कहा अंजलि क्या बात है इतनी जल्दी में क्यों हो? पापा एक प्रोजेक्ट तैयार करना है बस इसलिए और प्लीज अब मुझे कुछ नहीं चाहिए तो कोई डिस्टर्ब मत करना। ओके बेटा, एस यू विश। गुड नाईट माँ, गुड नाईट पापा, कहकर अंजलि अपने कमरे में चली गयी। उसने फटाफट से एक ड्रेस पहना और तैयार हो गयी। खुद को शीशे में देखकर कहने लगी वाओ अंजलि यू लुक जस्ट वाओ! तभी अंजलि का फ़ोन बजा, दूसरी तरफ आयुष था। अंजलि आ जाओ मैं तुम्हारे घर के सामने वाले घर के पास खड़ा हूँ। ओके मैं आती हूँ कहकर अंजलि ने फ़ोन काट दिया है और चुपचाप अपने घर से बाहर निकल कर आयुष के पास पहुँच गयी थी। बाइक पर बैठते हुए उसने कहा जल्दी चलो। आयुष ने चुपचाप बाइक चला दी और करीब 10 मिनट बाद वो दोनों दिव्या की पार्टी में पहुँच चुके थे।


पार्टी देखने में ही बहुत शानदार लग रही थी। दिव्या बड़ी बेसब्री से किसी का इंतजार कर रही थी। जैसे ही उसने आयुष को देखा उसके चेहरे पर ख़ुशी साफ़-साफ़ दिखाई दे रही थी। हैप्पी बर्थडे दिव्या, आयुष ने दिव्या को गले लगाते हुए कहा। थैंक यू कहकर जैसे ही दिव्या अलग हुई उसकी नज़र वहीं पास खड़ी अंजलि पर पड़ी। अंजलि ने ब्लैक कलर का बहुत ही सुंदर लॉन्ग ड्रेस पहना हुआ था। खुले बाल और मैचिंग इअरिंग में वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। मेकअप के नाम पर उसके चेहरे पर बस हलकी लिपस्टिक और आँखों में काजल लगाया हुआ था। दिव्या ने उसे देखा तो उसके चेहरे की ख़ुशी लगभग गायब हो गयी थी। उसने घूरकर आयुष को देखा, तब तक अंजलि आकर आयुष के बगल में खड़ी हो गयी। हाय दिव्या, हैप्पी बर्थडे! अंजलि ने आयुष का हाथ पकड़ते हुए कहा वैसे दिव्या तुम बहुत सुंदर लग रही हो। थैंक यू कहकर दिव्या फीकी तरह से मुस्कुरा दी। आयुष ने उसे अपना लाया हुआ गिफ्ट दिया और दिव्या बहुत खुश हो गयी। तभी विवेक भी वहाँ पहुँच चुका था। उसने भी दिव्या को बर्थडे विश किया और उसे अपना लाया हुआ गुलदस्ता और गिफ्ट दिया। अंजलि ने नोटिस किया इस दौरान भी दिव्या का ध्यान सिर्फ और सिर्फ आयुष पर ही था। अंजलि ने कहा हे आयुष पार्टी में जरा भी रौनक नहीं लग रही है। ये कहते हुए अंजलि म्यूजिक की तरफ गयी और माइक लेते हुए एक अनाउंसमेंट की। हेलो फ्रेंड्स, जैसा की आप सभी जानते हैं की आज दिव्या का बर्थडे है। लेकिन ये पार्टी थोड़ी बोरिंग लग रही है तो मैं आयुष जो कि बहुत अच्छा गाते हैं उनसे रिक्वेस्ट करुँगी कि हमारी बर्थडे गर्ल के लिए कुछ अपनी आवाज में सुनाएँ। आयुष ने सुना तो अंजलि से मना करने लगा। लेकिन तभी दिव्या ने कहा आयुष प्लीज सुना दो ना कुछ। दिव्या की बात आयुष टाल ही नहीं पाया। उसने अंजलि से माइक लिया और दिव्या की तरफ देख कर मुस्कराया और उसने गाना शुरू किया। अंजलि जान बूझकर आयुष के करीब खड़ी थी।

बार-बार दिल ये आये, बार-बार दिल ये गाये,

तू जिए हज़ारों साल ये मेरी है आरज़ू,

हैप्पी बर्थडे टू यू, हैप्पी बर्थडे टू यू! हैप्पी बर्थडे टू यू!

सभी आयुष के साथ मिलकर गाने लगे हैप्पी बर्थडे टू यू, दिव्या हैप्पी बर्थडे टू यू!

सभी तालियाँ बजा कर हैप्पी बर्थडे कहने लगे। दिव्या बहुत खुश हुई और आयुष की तरफ थैंक यू कहने के लिए बढ़ी ही थी कि अंजलि ने बढ़कर आयुष को गले लगा लिया और फिर जान-बूझकर उसके गाल पर एक किस कर लिया। आयुष की आँखें बड़ी-बड़ी हो चुकी थी और साथ ही दिव्या का मुँह खुला रह गया था। आयुष ने अंजलि को गुस्से में घूरते हुए कहा क्या कर रही हो तुम अंजलि? आयुष ने दिव्या की तरफ देखा जिसे विवेक कुछ कह रहा था लेकिन दिव्या का सारा ध्यान आयुष और अंजलि पर था। तभी दिव्या वहाँ से कहीं चली गयी। आयुष अंजलि पर बहुत नाराज़ हो रहा था लेकिन अंजलि तो बहुत ज्यादा खुश थी क्योंकि उसका काम तो हो चुका था। आयुष ने कहा उसे बुरा लगा है अंजलि तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था? आज उसका बर्थडे है।


अंजलि ने कहा अच्छा लेकिन उसे बुरा क्यों लगा? आयुष ने कहा मुझे क्या पता लेकिन देखो वो पार्टी छोड़कर अंदर चली गयी है। अंजलि ने कहा जस्ट चिल्ल उसका बॉयफ्रेंड जाकर उसे मना लेगा। लेकिन आयुष बार-बार उधर देख रहा था जिधर दिव्या गयी थी। अंजलि ने कहा जाओ जाकर बात करो। मैं क्या बात करूँ, अरे जाकर बात करो, पूछो आखिर उसे बुरा क्यों लग रहा है, अंजलि ने आयुष से गुस्से में कहा। तभी आयुष ने देखा विवेक वहाँ से निकल कर जा रहा था। आयुष ने उसे रोकना चाहा तो विवेक आयुष का हाथ झटककर वहाँ से चला गया। आयुष ने अंजलि से कहा अब इसे क्या हुआ? अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा ब्रेकअप! व्हाट??? आयुष ने हैरान होकर कहा। अंजलि ने उसे आँख मारी और कहा जाओ उसे तुम्हारी जरूरत है।


आयुष अब दिव्या के पास पहुँचा। दिव्या ने उसे बिना देखे ही कहा विवेक तुम फिर आ गये, जाओ यहाँ से और दोबारा मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना। आयुष ने कहा दिव्या..........मैं हूँ। दिव्या ने पलट कर देखा और अपने आँसू साफ़ करने लगी। दिव्या तुम रो रही हो आयुष ने आगे बढ़ते हुए कहा। दूर रहो तुम मुझसे और तुम्हें क्या फर्क पड़ता है कि मैं खुश हूँ या परेशान हूँ। आयुष ने कहा दिव्या ये तुम क्या कह रही हो मुझे फर्क पड़ता है। तुम मेरी दोस्त हो। सिर्फ दोस्त ही तो हूँ तुम जाओ अपनी गर्लफ्रेंड के पास। आयुष ने सुना तो चुप हो गया। दिव्या ने उसे चुप देखा तो उसे और गुस्सा आ गया और वो आयुष पर चीखने लगी क्यों किया आयुष तुमने ऐसा? आयुष हैरान परेशान सा दिव्या को इतने गुस्से में देख रहा था लेकिन वो समझ नहीं पा रहा था कि आखिर दिव्या क्या कहना चाहती है? दिव्या ने आगे कहा कुछ बोलोगे या हमेशा की तरह चुपचाप ही रहोगे?


आयुष ने कहा क्या बोलूँ दिव्या तुम प्लीज शांत हो जाओ और मुझे बताओ कि विवेक से तुम्हारा झगड़ा क्यों हो गया? तुम तो उससे प्यार करती हो ना फिर ऐसा क्या हुआ? दिव्या ने कहा नहीं करती मैं उससे प्यार, समझे तुम। आयुष ने कहा क्या..........क्या मतलब तुमने ही तो मुझसे कहा था कि तुम उससे प्यार करती हो? हाँ कहा था लेकिन इसलिए कहा था कि तुम मुझे खोने के डर से ही शायद अपने दिल की बात मुझसे कह दोगे। आयुष के अब होश उड़ चुके थे और उसने दिव्या को देखते हुए कहा क्या कहा तुमने अभी? दिव्या अब भी रो रही थी। आयुष ने कहा दिव्या क्या तुम विवेक से नहीं मुझसे प्यार करती हो? दिव्या ने रोते हुए हाँ में अपनी गर्दन हिलाई।

आयुष के दिल को सुकून आ चुका था उसने दिव्या के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए कहा दिव्या तुमने मुझसे कभी कहा क्यों नहीं? मैं कैसे कहती आयुष मैं एक लड़की हूँ। मैंने जब से प्यार को समझा सिर्फ तुमसे ही प्यार किया है और मुझे हमेशा लगता था कि तुम भी मुझसे प्यार करते हो। लेकिन तुम तो उस अंजलि से प्यार करते हो और वैसे भी वो तो मुझसे ज्यादा खूबसूरत है। आयुष मुस्कुरा दिया लेकिन दिव्या ने नहीं देखा। दिव्या आगे कहती रही कि मैंने सोचा ऐसे तो तुम मुझसे कभी नहीं कहोगे शायद किसी और लड़के के साथ देखकर ही तुम मुझसे अपने प्यार का इजहार कर दो। इसीलिए मैंने विवेक की मदद ली लेकिन तुम्हें कहाँ से कोई फर्क पड़ता क्योंकि तुम तो मुझसे प्यार ही नहीं करते थे। आयुष मन ही मन बहुत खुश हो रहा था और अंजलि और उसकी उसकी पारखी नज़रों का तो वो कायल हो चुका था। अंजलि ने दिव्या से हुई पहली मुलाकात में ही कह दिया था कि दिव्या विवेक से नहीं आयुष से प्यार करती है लेकिन आयुष ने उसकी बात को अनसुना कर दिया था। आयुष अपने ख्यालों से बाहर आया और उसने दिव्या के आँसू पोंछे। दिव्या मेरी बात ध्यान से सुनो। दिव्या ने आयुष की तरफ देखा और सुबकते हुए कहा अब क्या बचा है कहने को? आई लव यू दिव्या................आयुष ने दिव्या की आँखों में देखते हुए कहा। दिव्या हैरानी और असमंजस की स्थिति में कहने लगी क्या.............क्या......... कहा तुमने?


आयुष ने दिव्या के करीब होते हुए उसका चेहरा अपने हाथों में थाम लिया और कहा आई लव यू दिव्या! दिव्या की आँखें बड़ी हो चुकी थी और वो यकीन ही नहीं कर पा रही थी कि आयुष उसे प्रपोज कर रहा है। तुम सच कह रहे हो आयुष, उसने धीरे से कहा तो आयुष ने अपनी पलकें झपका दी थी। लेकिन वो अंजलि?????? दिव्या ने आयुष को घूरते हुए कहा। वो मेरी दोस्त है। दिव्या को यकीन ही नहीं हुआ और उसने कहा सिर्फ दोस्त हैं???? आयुष ने कहा हाँ और मैं तो तुम्हें शायद खो ही चुका था लेकिन उसी ने मुझसे कहा कि तुम विवेक से नहीं मुझसे प्यार करती हो। उसने जानबूझकर खुद को मेरी गर्लफ्रेंड बताया और आज भी जबरदस्ती मेरे साथ आई ताकि तुम अपने दिल की बात मुझसे कह सको। दिव्या सब कुछ हैरानी से सुन रही थी। ओह्ह आयुष मुझे लगा मैंने अपनी गलती की वजह से तुम्हें खो दिया है। मैं बस ये चाहती थी कि तुम मुझे पहले प्रोपोज करो और इसलिए मैं ये सब करती गयी। आयुष ने कहा कोई बात नहीं लेकिन बाहर चलो मुझे अंजलि को थैंक यू कहना है। मुझे भी दिव्या ने मुस्कुराते हुए कहा और दोनों बाहर जा पहुँचे।


बाहर अंजलि माइक लेकर कुछ कह रही थी और सभी बड़े ध्यान से उसे सुन रहे थे। आयुष और दिव्या भी खड़े होकर उसे सुनने लगे थे। इस वक़्त अंजलि थोड़ा अलग बर्ताव कर रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वो नशे में हो। लेकिन इस वक़्त वो वहाँ मौजूद सभी लड़कियों में सबसे ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। हर किसी की नज़रें उस पर टिकी हुई थी। लड़के तो टकटकी लगाये उसे ही देख रहे थे। आयुष ने कहा दिव्या शायद इसने ड्रिंक कर ली है। दिव्या ने कहा चुप रहो वो कुछ कह रही है। दिव्या आयुष की बाँहें थामे वहाँ खड़ी थी और आयुष बहुत खुश था क्योंकि उसका प्यार आज उसके इतने करीब था। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा होगा लेकिन उसकी दिव्या तो खुद उसे इतना चाहती थी। ये सब सोचकर आयुष मुस्कुराये जा रहा था।


लेकिन अंजलि खुले आसमान के नीचे मौजूद थी। आसमान में बिखरे हुए तारे और पूरा हुआ चाँद, जमीन पर बिखरी हुई चाँदनी सभी अंजलि के दिल को एक एहसास से भर रहे थे। इस वक़्त उसकी डायरी नहीं थी उसके पास लेकिन वो कुछ बुन रही थी, जिसे वहाँ मौजूद हर शख्स के साथ आज ये कायनात भी महसूस कर रही थी। तो आइये पढ़ते हैं कि अंजलि ने क्या बुना था :-

चाँदनी रात हो, हो झील का किनारा,

थामे हाथों में हाथ चलती हूँ मैं तुम्हारा।

बेहद खुशगवार, यकीनन खुशनुमा-सा,

एहसास है मुझे ऐसा ही होगा वो नज़ारा।

धड़कनें यक़ीनन कर रही होंगी गुफ्तगू,

शब्दों की जगह बोलती होंगी हँसी आरज़ू,

तुम करीब होगे तो होश का ना नाम होगा,

आँखें करेंगी बातें ना जुबां का काम होगा।

उसकी आँखों में ढूँढना चाहती हूँ मोहब्बत,

उसके दिल में देखना चाहती हूँ वही उल्फत,

जिन्हें पढ़ती आई हूँ किताबों और डायरी में,

मेरी ही जिक्र हो उसकी गुमनाम शायरी में।

उसकी आँखें बाँध ले मेरे मन की गहराईयों को,

उसकी गर्म साँसें खत्म कर दें मेरी तनहाइयों को,

उसकी बाँहों की कैद में मुझे फिर होश ना रहे,

मैं चाहता हूँ जिसे “वो तुम हो” वो बस यही कहे।

हाय! कितना प्यारा वो एहसास-ए-इश्क होगा,

मेरे सपनों की ताबीर वो शख्स जब करीब होगा,

मिल जायेगी मुझे और मेरी रूह को वही मोहब्बत,

जिसके बाद इस दिल को ना कुछ भी अजीज़ होगा।

अंजलि की इस कविता को सभी इतने ध्यान से सुन रहे थे। दिव्या ने कहा हाय कितनी प्यारी है ये और इसकी कविता भी। आयुष ने अपने फ़ोन में अंजलि की अभी बनायीं वीडियो को सेव करते हुए कहा तुम्हें पता है ये काम वो सबसे छुपकर करती है। सिवाय मेरे कोई नहीं जानता कि वो कवितायें लिखती है। दिव्या ने आयुष की तरफ देखा और कहा तुम सच में उससे प्यार तो नहीं करते ना??? आयुष ने कहा नहीं और वो............दिव्या ने पूछा तो आयुष ने कहा वो जिससे प्यार करती है उसे भी नहीं पता और तो और खुद अंजलि को ही नहीं पता कि वो उससे प्यार करती है। दिव्या को कुछ समझ नहीं आया और वो वापिस अंजलि की तरफ देखने लगी थी। तभी अंजलि दिव्या के पास आई।

क्रमश:



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