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Meena Singh "Meen"

Comedy Romance Inspirational

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Meena Singh "Meen"

Comedy Romance Inspirational

वो तुम हो (पार्ट-12)

वो तुम हो (पार्ट-12)

20 mins
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प्यारे रीडर्स,

अभी तक आपने पढ़ा कि अंजलि, अपने दोस्त आयुष के साथ मयंक के द्वारा किये गए व्यवहार पर बहुत गुस्सा होती है। लेकिन जब वो इस बारे में मयंक से जाकर बात करती है तो मयंक गुस्से में अपने दिल की बातें कह जाता है। अंजलि मयंक की बातें सुनकर हैरान हो जाती है लेकिन उसे ज्यादा कुछ नहीं कहती। दूसरी तरफ आयुष मयंक के दिल का हाल समझ जाता है। वो अंजलि को भी बातों ही बातों में ये समझाने की कोशिश करता है कि मयंक अंजलि को पसंद करता है। लेकिन अंजलि उसकी बात को सीरियस नहीं लेती। आइये अब आगे पढ़ते हैं:-


मयंक आज बहुत बेचैन है क्योंकि उसने अंजलि से जो कुछ भी कहा उसके लिए ना तो टाइम सही था और ना ही उसका तरीका सही था। उसने अंजलि को फ़ोन करके अपने बर्ताव के लिए माफ़ी भी मांग ली थी लेकिन फिर भी उसकी बेचैनी कम होने का नाम नहीं ले रही थी। दूसरी तरफ राघव का हाल भी कुछ-कुछ मयंक जैसा ही था। उसे खुद पर ही बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि उसे लग रहा था कि उसके रागिनी को ना कहने की वजह से शुभम रागिनी के नज़दीक जा रहा है। वो बार-बार खुद से ये कह रहा था कि शुभम रागिनी के लिए ठीक नहीं है। लेकिन वो खुद भी तो हाँ नहीं कह सकता। वो मन ही मन खुद से कह रहा था राघव मान जा रागिनी से जाकर कह दे कि तू भी उससे प्यार करता है। लेकिन राघव ये कहने को तैयार ही नहीं था। राघव ने बेमन से बहुत थोड़ा सा खाना खाया और माँ के पूछने पर कह दिया कि आज मयंक के साथ बाहर कुछ खा लिया था तो मुझे भूख नहीं है। राघव की माँ उसकी बेचैनी की वजह जानती थी लेकिन मयंक की वजह से वो चुप थी।


राघव अपने बिस्तर पर लेटा हुआ कुछ सोच रहा था तभी उसकी माँ उसके पास आई और कहने लगी बेटा तू कुछ दिनों से बहुत परेशान लग रहा है, कोई बात है तो मुझे बता। राघव ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा नहीं माँ सब ठीक है। बेटा क्या तू किसी को पसंद करता है, राघव की माँ ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा? राघव ने अपनी नज़रें किताब में गड़ाए हुए ही कहा नहीं माँ ऐसा तो कुछ नहीं है। माँ ने कहा बेटा कोई अगर तुमसे सच्चा प्यार करता है तो तुम्हें उसकी क़द्र करनी चाहिए। राघव ने माँ की तरफ देखा और कहा माँ...............ऐसा कुछ नहीं है।


राघव की माँ मुस्कुरायी और कहने लगी बेटा माँ हूँ मैं तेरी, पूरे नौ महीने अपनी कोख में रखा है। इसीलिए जानती हूँ तू आसानी से किसी चीज़ को मानता नहीं है लेकिन बेटा प्यार भगवान की नेमत है इसे ठुकराने वाला कभी खुश नहीं रहता। अगर कोई तुम्हें सच्चे दिल से प्यार करता है तो उसके साथ ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत होती है। राघव मुस्कुराया और कहने लगा कि मुझे कैसे पता लगेगा कि वो सच्चे दिल से मुझे चाहती है? इस बार माँ फिर से मुस्कुराई और राघव का कान पकड़ते हुए कहने लगी इसका मतलब कोई लड़की है? माँ...........राघव ने थोड़ा झेंपते हुए कहा। बेटा बता ना, अपनी माँ को नहीं बतायेगा? राघव ने कहा हम्म..........रागिनी नाम है उसका। बहुत अच्छी लड़की है। उसने खुद मुझसे आकर कहा कि वो मुझे चाहती है लेकिन मैंने मना कर दिया था। ये कहते हुए राघव के चेहरे पर कुछ खो देने का भाव था, जिसे उसकी माँ साफ़-साफ़ पढ़ पा रही थी।


राघव और उसकी माँ दोनों के बीच में कुछ देर शांति छाई रही। फिर माँ ने कहा बेटा उसे मना करने की वजह से ही तुम खुश नहीं हो, मैं सही कह रही हूँ ना? राघव ने माँ की गोद में सिर रखते हुए कहा शायद................लेकिन सच में पता नहीं। माँ ने कहा बेटा जाकर उसे कह दे कि तू भी उसे चाहता है। एक लड़की कभी अपने दिल की बात कहने में पहल नहीं करती। अगर उस लड़की ने पहल की है इसका मतलब है कि वो सच में तुम्हें चाहती है। राघव माँ की बात सुन कुछ सोचने लगा था लेकिन अगले ही पल उसने कहा नहीं माँ उसे मुझसे भी अच्छा लड़का मिल जायेगा। माँ ने ये सुना तो चुपचाप वहाँ से चली गयी और राघव रागिनी के बारे में सोचता हुआ जल्दी ही सो गया।


उधर अंजलि डिनर के बाद अपने कमरे में बैठी हुई कुछ सोच रही थी। तभी आयुष का फ़ोन आया। हे प्रिंसेस क्या हाल हैं? ठीक हूँ तुम बताओ इस टाइम फ़ोन क्यों किया? प्रिंसेस मुझे थोड़ी बेचैन लग रही हैं? अंजलि ने कहा नहीं तो ऐसा तो कुछ नहीं है। आयुष ने कहा अच्छा तो एक रिंग में ही फ़ोन कैसे उठा लिया? अंजलि ने कहा ओह्ह हेल्लो फ़ोन हाथ में ही था तो उठा लिया। आयुष ने कहा बंदर के फ़ोन का इंतजार कर रही थी क्या? आयुष..................अंजलि ने थोड़ा गुस्से में कहा तो आयुष कहने लगा सॉरी प्रिंसेस, मैं तो मजाक कर रहा था। अच्छा सुनो कल दिव्या का बर्थडे है, आयुष ने चहकते हुए कह। ओह्ह वाओ तो.................तो तुम मेरे साथ चलकर कोई अच्छा सा गिफ्ट सेलेक्ट कर दो ना? किस टाइम, अंजलि ने कहा? अपने कॉलेज के बाद चल लेना, मैं तुम्हें घर भी छोड़ दूँगा। अंजलि ने कहा ओके डन! गुड नाईट कहकर आयुष ने फ़ोन रख दिया।


अंजलि का दिमाग अब भी शांत नहीं हुआ था। मयंक की वो आँखें, वो गुस्से में भरी बातें उसे रह-रहकर याद आ रही थी। गुस्से में ही सही लेकिन मयंक ने आज अंजलि को खुद की तरफ आकर्षित कर लिया था। अंजलि के होंठों पर अब उसे याद कर मुस्कुराहट तैर गयी थी। पागल कहीं का, अंजलि ने खुद से ही कहा। अभी वो सोच ही रही थी कि कहीं आयुष का अंदाज़ा सही तो नहीं है? क्या मयंक सच में मुझे पसंद करता है? उसने ऐसा क्यों कहा कि उसे आयुष अच्छा नहीं लगता? फिर उसे आयुष का भेजा हुआ वो गाना याद आया.........”तुम्हें कोई और देखे तो जलता है दिल, बड़ी मुश्किलों से फिर संभलता है दिल।” अंजलि का मूड अब कुछ-कुछ ठीक हो चुका था। उसने अपनी डायरी उठाई और मुस्कुराती हुई बालकनी में जाकर बैठ गयी थी। आज उसे शिद्दत से लग रहा था कि शायद उसकी तलाश, उसकी मंज़िल वो किताबों और डायरी वाला इश्क सच में असल में भी होता है। अपने दिल में उठ रहे इन जज्बातों को उसने एक कविता का रूप दे डाला, जो कुछ इस तरह से थी:-


उसका “इश्क” देखो मुझे इस कदर ढूँढ रहा है,

मैं दूर हूँ उससे, फिर भी वो मुझ में गूँज रहा है।

उसके सवालों का ना अब कोई जवाब सूझ रहा है,

मैं हर पल हूँ उसके लिए पहेली, जिसे वो बूझ रहा है।

उसकी दीवानगी का आलम इस कदर बढ़ रहा है,

मैं गुम हूँ उसमें और वो खुद को मुझमें ढूँढ रहा है।

वो मेरे संग मुख़्तसर ख्वाहिशों के सपने बुन रहा है,

गुलज़ार उन सपनों की ताबीर दिल मेरा गुन रहा है।

वो इक राज़ गहरा बन कर दिल में मेरे उतर रहा है,

उसके इश्क की गहराइयों में दिल मेरा धड़क रहा है।

उसके दिल की ख्वाहिशें अब मेरा जुनून बन रही हैं,

इस इश्क में फ़ना होने की इल्तिज़ा दिल मेरा कर रहा है।

उसकी आँखों, उसकी तल्खी में जो इश्क छुपा हुआ था,

उसे आज बामुश्किल ही सही दिल ये मेरा पढ़ रहा है।


अंजली ने खुले आसमान की तरफ देखते हुए कहा क्या “वो तुम हो????" उसी पल उसकी आँखों के आगे मयंक का चेहरा उभर कर आया और उसने मुस्कुराते हुए कहा मुझे यकीन नहीं हो रहा कि “वो तुम हो”...........................अंजलि मुस्कुराई और अपने बिस्तर पर आकर लेटी हुई मन ही मन कहने लगी...........

“हम तो अधूरी ख्वाहिशों की खुली किताब हुए बैठे हैं,

हमें पता भी ना चला वो हम में ही बेहिसाब हुए बैठे हैं।”

उस रात अंजलि की आँखों में नींद नहीं थी। उसे कॉलेज में अपने पहले दिन से लेकर अब तक की मयंक से हुई सारी मुलाकातें और बातें याद आ रही थी। कभी उसे मयंक की बातें याद आती और कभी उसे याद आ रही थी मयंक की वो आँखें जिन्हें अंजलि ने अपने सपनों और अपनी डायरी के पन्नों में कई बार देखा था। मयंक को इतना उसने कभी आमने-सामने होने पर भी नोटिस नहीं किया था, जितना आज वो उसके ख्यालों में था। मयंक की उस छोटी सी बेवकूफी से ही सही लेकिन अंजलि उसके बारे में सोच रही थी। इस सबसे बेखबर मयंक अपने घर पर मजे से सोया हुआ था।


अगली सुबह कॉलेज में मयंक सबसे पहले पहुँच चुका था। आज अंजलि के आते ही उससे कान पकड़ कर कल के लिए सॉरी कह दूँगा। अभी मयंक ये सोच ही रहा था कि उसे सामने से अंजलि आती हुई दिखी। आज अंजलि ने ब्लू कलर की जीन्स और उसके साथ वाइट शर्ट पहनी थी। उसके बाल खुले हुए थे जो उड़-उड़ कर उसके चेहरे को छू रहे थे। अपने कानों में ईयरफ़ोन लगाये हुए और अपने बालों को सवांरती हुई वो कॉलेज के अंदर आई। मयंक ने नोटिस किया कि वो किसी से बात कर रही है। वो चुपचाप उसके पीछे-पीछे चलने लगा था। अभी वो थोड़ी ही दूर गयी थी कि वहाँ पड़े एक पत्थर पर उसका पैर पड़ा और उसका बैलेंस बिगड़ गया। अंजलि संभल नहीं पायी और वो गिरने को हुई लेकिन तभी पीछे चल रहे मयंक ने उसे थाम लिया। मयंक और अंजलि की आँखें आपस में मिली तो अंजलि को कुछ होश ही नहीं रहा। उधर फ़ोन पर दूसरी तरफ से आयुष चिल्ला रहा था हेलो अंजलि.............हेलो तुम ठीक तो हो ना??? लेकिन मयंक की बाहों में गिरने के बाद अंजलि सब भूल गयी थी। तभी शुभम वहाँ पहुँच चुका था, उसने चुपके से अपने फ़ोन में उन दोनों की एक फोटो ली और उसके बाद सीटी बजाने लगा। मयंक ने शुभम को सामने देखा तो अंजलि को आवाज दी। अंजलि तुम ठीक हो ना?? अंजलि ने कहा हाँ........ मैं........मैं ठीक हूँ। थैंक यू कहकर वो आगे जाने लगी। मयंक उसे आवाज देने ही वाला था कि शुभम ने लपक कर उसे गले लगाते हुए कहा राघव की ना सही तेरी लव स्टोरी ही शुरू हो गयी। क्या सीन था भाई ये देख कहकर शुभम ने अपने फ़ोन में ली हुई फोटो मयंक को दिखाई तो मयंक शरमा गया था। उसने शुभम को मुस्कुराते हुए देखा और कहा जल्दी से मेरे फ़ोन में भेज और हाँ अपने फ़ोन से डिलीट कर दे। शुभम ने कहा अच्छा बदले में मुझे क्या मिलेगा? मयंक ने उसे घूरा तो शुभम ने कहा अच्छा एक कॉफ़ी ही पिला दियो भाई। मयंक ने कहा ओके डन! तभी राघव और नितिन भी उनके पास पहुँच गये थे। मयंक ने शुभम को इशारे से मना किया लेकिन शुभम कहाँ मानने वाला था। उसने वो फ़ोटो राघव और नितिन को भी दिखाई और अभी थोड़ी देर पहले शुरू हुई लव स्टोरी बड़े मजे से सुनाई। मयंक शरमा रहा था और तीनों दोस्त मिलकर उसकी टांग खिंचाई कर रहे थे।


उधर अंजलि ने देखा कि उसकी कॉल अब भी चालू है। उसने अपना ईयरफोन ठीक करते हुए कहा आयुष हेलो, तुम लाइन पर ही हो? आयुष ने कहा प्रिंसेस लाइन पर तो अब आप हो? क्या मतलब अंजलि ने चौंकते हुए कहा? मतलब ये कि हमारी प्रिंसेस को प्यार हो गया है। शट अप अंजलि ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा। आयुष ने कहा हम्म अभी जिसने गिरने से बचाया वही झेलने वाला है आपको? अंजलि ने कहा अच्छा और वो कौन था? वही हमारी प्रिंसेस का बंदर और मेरे लिए जलकुकड़ा। अंजलि चौंक कर इधर-उधर देखने लगी। कहाँ हो तुम? अंजलि ने आयुष से पूछा तो जवाब में आयुष ने कहा मैं अपने घर पर हूँ क्यों आ जाऊँ क्या? मुझे देखते ही आज वो तुम्हें सीधा प्रपोज़ ही कर देगा। वैरी फनी, अंजलि ने कहा। वैसे आ रहा हूँ शाम को गिफ्ट लेने लेकर जाऊँगा तुम्हें, उस वक़्त देखना अपने बंदर की हालत। मुझे देख कर कैसा जल-भुन जाएगा। अंजलि ने कहा ओके बाय मेरी क्लास है। बाय प्रिंसेस कहकर आयुष ने फ़ोन रख दिया। अब आयुष के दिमाग में कुछ प्लान आ चुका था और वो शाम के बारे में सोच कर ही मुस्कुरा रहा था।


अंजलि ने क्लास ली और फिर वो रागिनी से बात करने लगी। रागिनी ने कहा यार मुझे लगता है राघव को हमें परेशान नहीं करना चाहिए। उसके ऊपर जिम्मेदारियाँ हैं और फिर कहीं उसे कोई और परेशानी हो गयी तो मैं खुद को माफ़ नहीं कर पाऊँगी। अगर वो नहीं चाहता तो मुझे उसे जबरदस्ती अपनी ज़िन्दगी में लाने की ज़िद छोड़ देनी चाहिए। अंजलि ने कहा जबरदस्ती की क्या बात है? वो खुद भी तुम्हें चाहता है। उसने खुद कहा था उस दिन लाइब्रेरी में तुम्हें याद नहीं क्या? रागिनी चुप हो गयी तो अंजलि ने कहा ठीक है हम अब उसे परेशान नहीं करेंगे। रिया और नाज़िया भी रागिनी की बात से सहमत थे। थोड़ी देर बाद वहाँ राघव आया और उसने रागिनी को एक बैग दिया और कहा इसमें कुछ है देख लेना। रागिनी ने कहा क्या है इसमें? इस बात पर राघव मुस्कुराया और वहाँ से चला गया। रागिनी ने अंजलि की तरफ देखा और अंजलि ने कहा जल्दी से खोलकर देख क्या है? रिया और नाज़िया भी एकटक उस बैग की तरफ ही देखने लगे थे।


रागिनी ने बैग में से एक गिफ्ट निकाला। उसका दिल इस वक़्त बहुत तेज़ गति से धड़क रहा था। उसने एक गहरी साँस ली और उसने उस गिफ्ट की पैकिंग को खोल दिया। उसके अंदर राघव की वही डायरी थी जो रागिनी ने उस दिन राघव के घर पर देखी थी। रागिनी के चेहरे पर ख़ुशी साफ़-साफ़ देखी जा सकती थी। वहीं अंजलि के चेहरे पर हैरानी के भाव थे। वो सोच रही थी राघव ने रागिनी को गिफ्ट दिया वो भी एक डायरी, हे भगवान! क्या लड़का है ये??? लेकिन रागिनी और रिया दोनों ही खुश दिख रहे थे। हाँ नाज़िया भी थोड़ी असमंजस की स्थिति में थी क्योंकि प्यार में कोई किसी को डायरी गिफ्ट करता है ये उसने पहली बार देखा था। रागिनी ने फटाफट से डायरी को खोला और उसने आखिरी बार जहाँ तक पढ़ा था, उसके आगे के पेज पर लिखा हुआ पढ़ने लगी थी।


स्पेशल डे फॉर मी-

आज रागिनी ने सबके सामने मुझे आई लव यू कहा। दिल तो किया कि उसे अपने सीने से लगाकर कह दूँ कि मैं भी उसे बहुत चाहता हूँ। लेकिन मैं मजबूर था, उसकी ज़िन्दगी बर्बाद नहीं कर सकता। मेरे पास कुछ नहीं है उसे देने के लिए। आज दिल बहुत उदास है। ऐसा लग रहा है मैंने किसी अपने को खो दिया है। हाँ सच तो यही है मैंने उसे मना कर के उसे खो दिया है। लेकिन शायद यही उसके लिए सही है। मैं तो जी लूँगा उसी एक पल को सोच कर जब उसने मुझे आई लव यू कहा था। मेरी ज़िन्दगी का सबसे हसीन पल था वो, जिसे मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा। रागिनी आई लव यू लेकिन तुम्हें मुझसे बेहतर लड़का मिल जायेगा।

नेक्स्ट पेज:-

आज मुझे शुभम पर बहुत गुस्सा आ रहा है। वो कैसे ऐसा कर सकता है जबकि वो जानता है कि मैं रागिनी को पसंद करता हूँ। वो मेरी रागिनी के साथ घूम रहा है और आज तो उसने हद ही कर दी कहता है कि वो जाकर रागिनी को प्रोपोज करेगा। जब मैंने ये बात मयंक से कही तो उसने भी कहा अब तूने मना कर दिया तो कोई और लड़का तो आएगा ही रागिनी की ज़िन्दगी में। लेकिन सच ही तो कहा मयंक ने रागिनी की ज़िन्दगी में कोई और तो आयेगा ही और मैं भी तो यही चाहता हूँ कि उसे मुझसे भी अच्छा लड़का मिल जाए। लेकिन ना जाने क्यों शुभम को रागिनी के साथ देखकर मुझे बहुत बुरा लगता है और गुस्सा भी बहुत आता है। मैं बार-बार इस दिल से कहता हूँ कि भूल जा उसे, लेकिन ये मानता ही नहीं है और मुझसे कहता है रागिनी सिर्फ मेरी है। मेरा प्यार है वो, और वो भी तो मुझसे ही प्यार करती है। कभी-कभी सोचता हूँ कहीं वो भी शुभम को पसंद करने लगी तो, नहीं..........नहीं............वो तो सिर्फ मुझे चाहती है।

नेक्स्ट पेज:-

आज कॉलेज पहुँचा तो अंजलि ने बताया कि आज मेरी रागिनी का जन्मदिन है। वैसे तो मेरी रागिनी बहुत सुंदर है लेकिन आज.............आज तो और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। मैं तो उस पर से अपनी नज़रें ही नहीं हटा पा रहा था। कहीं उसे मेरी ही नज़र ना लग गयी हो? मैंने उसे हैप्पी बर्थडे कहा और तभी वहाँ शुभम भी आ गया। उसके आने के बाद मुझे बहुत तेज़ गुस्सा आने लगा, लेकिन मैं चुपचाप खड़ा सब देखता रहा। बर्थडे पार्टी के लिए हम एक रेस्टोरेंट में गए। वहाँ जाते हुए भी रागिनी शुभम के साथ ही गयी। मुझे बहुत बुरा लग रहा था। वहीं शुभम तो ऐसे दिखा रहा था कि जैसे रागिनी उसकी गर्लफ्रेंड हूँ। दोस्त ना होता तो कब का उसका मुँह तोड़ दिया होता। बड़ा आया मेरी रागिनी के साथ सेल्फी लेने वाला। रागिनी क्या करूँ मैं कुछ समझ नहीं आ रहा। जितना खुद को तुमसे दूर करने की सोचता हूँ, उतना ही तुम मेरे करीब आती जा रही हो। मेरे दिल में तो तुम पहले ही दिन घर कर गयी थी लेकिन अब तुम मेरे दिमाग और मेरी रूह पर भी कब्ज़ा कर चुकी हो। मुझे लगता है तुम्हें मना करके मैंने सही फैसला नहीं किया है। मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊँगा। आई रियली लव यू रागिनी।

नेक्स्ट पेज:-

रागिनी आई रियली लव यू। मुझे तुमसे बात करनी है। प्लीज क्लास के बाद आकर मुझसे मिल सकती हो क्या? ये पढ़ते ही रागिनी की आँखों में आँसू आ गए थे लेकिन उसके होंठों पर मुस्कराहट थी और चेहरे पर एक सुकून था। अंजलि ने कहा लो आज से हमने उसे परेशान नहीं करने का प्लान बनाया तो आज ही जनाब ने ये कारनामा कर दिया। ये लड़का सच में पागल है। ये सब डायरी में लिख सकता है लेकिन बेचारी हमारी दोस्त को इतने दिनों से परेशान किया हुआ है। रागिनी चुपचाप बैठी हुई थी तो अंजलि ने कहा क्या हुआ क्या सोच रही है? मिल ले जाकर उसने तुझे मिलने के लिए कहा है। अंजलि ये कहीं कोई मजाक तो नही है?


रागिनी को अब भी यकीन नहीं हो रहा था तो अंजलि ने उसे गले से लगाते हुए कहा नहीं यार ये मजाक नहीं है लेकिन उसे तुझे परेशान करने की सजा तो मिलेगी। तू रुक जरा। अंजलि ने शुभम को फ़ोन किया और कहा क्या सीन है? शुभम ने कहा किसका सीन? मैंने कुछ नहीं देखा। अंजलि ने कहा राघव आया था यहाँ तुम लोगों को तो पता होगा? क्या राघव नहीं हमें तो कुछ नहीं पता। शुभम ने कहा ये मयंक मुस्कुरा रहा है शायद इसे पता होगा। लेकिन हुआ क्या, शुभम ने परेशान होकर पूछा? अंजलि ने कहा फ़ोन दो मयंक को, ओके! कहकर शुभम ने फ़ोन मयंक की तरफ बढ़ा दिया था।


हेलो! अंजलि ने कहा ये राघव को क्या हुआ अचानक? प्यार हुआ और क्या?? मयंक ने झट से कहा तो अंजलि चुप हो गयी। हेलो अंजलि हाँ देखो तुम रागिनी को कहो कि उससे मिल ले जाकर, वो बहुत परेशान है। हम्म.... कहकर अंजलि कुछ कहने को हुई तभी मयंक बोल उठा था और मुझे भी तुमसे मिलना है। व्हाट? अंजलि ने चौंकते हुए कहा। मयंक ने कहा अरे चौंक क्यों रही हो मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। अंजलि ने फ़ोन काट दिया। रागिनी ने कहा क्या हुआ क्या कहा शुभम ने? कुछ नहीं तुम राघव से जाकर बात कर लो। हम्म........चलो कहकर रागिनी जाने लगी तो अंजलि ने कहा तुम अकेले जाकर मिलो हम सब क्या करेंगे वहाँ? रागिनी ने कहा चलो ना यार साथ में। रिया ने कहा रागिनी जा ना उससे तुझसे अकेले बात करनी होगी। हमें देखकर कहीं नर्वस हो गया तो गड़बड़ हो जायेगी। अब रागिनी अकेले ही क्लासरूम से बाहर निकल गयी।


क्लास के बाहर पहुँच कर रागिनी ने देखा राघव उसके सामने ही खड़ा था। राघव ने उसे अपने पीछे आने का इशारा किया और खुद आगे-आगे चलने लगा। रागिनी उसके पीछे चल पड़ी थी। रागिनी खुश थी लेकिन साथ ही साथ नर्वस भी बहुत थी। कॉलेज के बाहर मयंक खड़ा था। उसने राघव को अपनी बाइक की चाभी देते हुए ऑल दी बेस्ट कहा। रागिनी ने उसे देख कर एक प्यारी सी स्माइल दी। राघव ने बाइक स्टार्ट की और रागिनी को बैठने का इशारा किया। रागिनी उसके साथ बैठ गयी थी। रास्ते में दोनों ही बिलकुल चुप थे। राघव ने बाइक ले जाकर उसी पार्क के सामने रोक दी जहाँ उस रोज अंजलि ने सबको पूजा के कहकर बुलाया था।


रागिनी बाइक से उतर कर साइड में खड़ी हो गयी थी। राघव ने बाइक लॉक की और रागिनी के पास आया। रागिनी ने उसकी तरफ देखा और अपनी नज़रें नीची कर ली थी। राघव मुस्कुराया और उसने रागिनी का हाथ पकड़ लिया। रागिनी ने चौंक कर राघव की तरफ देखा और अगले ही पल अपनी पलकें झुका ली थी। राघव ने उसे धीरे से कहा जहाँ तुम्हारा प्रपोजल अधूरा रह गया था, आज मैं वहीं उसे पूरा करना चाहता हूँ। रागिनी ने कहा कहीं ये सपना तो नहीं है? राघव ने उसके हाथ पर अपनी पकड़ और मजबूत करते हुए कहा नहीं ये सपना बिलकुल नहीं है, अब चलें? राघव और रागिनी उसी जगह पर पहुँच गए, जहाँ कुछ दिन पहले रागिनी ने उसे अपने दिल की बात कही थी। राघव ने रागिनी से कहा पहली बार किसी को प्रपोज कर रहा हूँ, गलती के लिए पहले ही माफ़ी चाहता हूँ। रागिनी मुस्कुराई और राघव भी मुस्कुराते हुए उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया।

रागिनी जो मेरे दिल में तुम्हारे लिए था और है वो सब उस डायरी में लिखा हुआ था। जो कि तुमने पढ़ लिया होगा। लेकिन एक चीज़ उस डायरी में नहीं लिखी है। रागिनी ने बड़े ही ध्यान से सुना। राघव ने कहा जानती हो रागिनी मयंक जब भी कहता था कि किताबों और डायरी वाली मोहब्बत आज के टाइम में भी हुआ करती है तो मैं उसकी बात सुनकर हँस दिया करता था। लेकिन अब मुझे भी महसूस हुआ है कि ऐसा सच में होता है। मैं हमेशा से इश्क और मोहब्बत से नफरत करता आया हूँ लेकिन जब से तुमसे मिला खुद को मोहब्बत करने से रोक ही नहीं पाया। रागिनी उस दिन भी कहना चाहता था लेकिन खुद को रोक लिया था। लेकिन आज मैं तुमसे कहना चाहता हूँ, आई लव यू रागिनी! राघव ने अपनी पॉकेट से एक गुलाब निकाल कर रागिनी के सामने बढ़ा दिया। रागिनी के लिए ये पल एक सपने जैसा था क्योंकि आज सुबह ही तो उसने उम्मीद छोड़ दी थी राघव को पाने की। रागिनी भी राघव के सामने घुटनों पर बैठ गयी थी और एकटक राघव को ही निहार रही थी। विल यू मैरी मी?? राघव ने मुस्कुराते हुए पूछा तो रागिनी ने हाँ में अपना सिर हिलाया और रोते हुए उसके गले से लग गयी थी। मुझे माफ़ कर दो रागिनी मैंने तुम्हें बहुत परेशान किया है। रागिनी ने उसके होठों पर ऊँगली रखते हुए कहा मुझे भी माफ़ कर दो मैंने भी तुम्हें बहुत परेशान किया है।


तभी एक और आवाज आई मुझे भी माफ़ कर दे यार, मैंने भी तुझे बहुत परेशान किया है। ये आवाज शुभम की थी। राघव ने हैरानी से उधर देखा तो वहाँ मयंक, नितिन, शुभम, रिया, अंजलि और नाज़िया भी खड़े थे। राघव और रागिनी उन्हें वहाँ देख कर थोड़ा घबरा गए और एक-दूसरे से थोड़ी दूर खड़े होने लगे तो अंजलि ने आगे बढ़ कर उन्हें साथ खड़ा करते हुए कहा यार अब तो दोनों एक-साथ रहो बड़े पापड़ बेले हैं हमने तुम दोनों को एक साथ देखने के लिए। ये सुनकर राघव थोड़ा हैरान हुआ लेकिन रागिनी उसके होंठों पर तो हँसी थी। राघव ने कहा क्या कहा तुमने, क्या किया तुमने? वो सब तुम्हें मयंक बताएगा, कभी फुर्सत में पूछ लेना उससे। अभी तो ज्यादा टाइम नहीं है तो तुम दोनों को बहुत मुबारक हो। अंजलि ने रागिनी को गले लगाते हुए कहा मिशन सक्सेसफुल! रागिनी बहुत खुश दिख रही थी। अपना राघव कभी शुभम को तो कभी मयंक को घूर रहा था। शायद कुछ-कुछ माज़रा उसे समझ आ गया था लेकिन अभी पूरी कहानी तो वो जानता नहीं था इसलिए चुपचाप था।


उधर मयंक अपनी अंजलि पर ही नज़रें गडाए हुए खड़ा था। अंजलि रागिनी के पास खड़ी बातें कर रही थी तभी उसका फ़ोन बजा। उसने फ़ोन उठाकर अपनी लोकेशन बताई और वापिस रागिनी और रिया से बातें करने लगी थी। मयंक अंजलि के पास आया और उसने कहा हे अंजलि क्या 2 मिनट तुमसे बात कर सकता हूँ? अंजलि ने उसकी तरफ देखा और तभी वापिस उसका फ़ोन बजा। मयंक की नज़र भी अंजलि की स्क्रीन पर गयी और आयुष का नाम देखकर उसका मूड फिर से ख़राब हो गया था। आयुष थोड़ी ही देर में उन सभी के पास पहुँच गया। सबसे हेलो करते हुए वो एक बार फिर मयंक के सामने खड़ा था। हेलो मयंक आयुष ने उसके चेहरे को गौर से देखते हुए कहा जिस पर आयुष को सामने देख गुस्सा और बेचैनी नज़र आने लगी थी। आयुष ने अंजलि से कहा सो प्लान सक्सेसफुल है। हम चलें लेट नहीं होना चाहता मैं? हम्म...चलते हैं कहकर अंजलि ने सबको बाय कहा और राघव और रागिनी से कहा कल कॉलेज में मिलकर बात करूँगी। तुम दोनों साथ में बहुत प्यारे लग रहे हो। अंजलि आयुष के साथ पार्क से चली गयी और मयंक उसे जाते हुए देखता रहा।


आयुष ने अंजलि को छेड़ते हुए कहा हाँ तो प्रिंसेस क्या हाल थे बंदर के देखे क्या आपने? शट अप आयुष ऐसा कुछ नहीं है। क्या सच में.................आयुष ने आँख मारते हुए कहा और अंजलि उसे मारने के लिए उसके पीछे भाग पड़ी थी।

क्रमश:



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