वो पहली सी मोहब्बत
वो पहली सी मोहब्बत
रूचि बहुत अच्छी नृत्यागनां थी। सारा कालेज उसका बड़ा फ़ैन था और कालेज के लड़के तो उसके दिवाने ।लेकिन रूची को केवल अपने “मन में जो चाह “पल रही थी “उसी में रूची थी । कि उसे तो अपनी नृत्य-कला का डंका पूरी दुनिया में बजाना है और इसमें उसका एक स्वार्थ भी छिपा हुआ है ।
चौंक गये ना , सब चौंक जाते है जब वो खुद को सबके सामने “स्वार्थी “ कह इन्ट्रोडक्शन देती है । उसका एक सपना है कि वो इतनी कामयाब हो कि वो अपने ही बलबूते पर ग़रीब लड़कियों की मदद कर उन्हें उनके पैरों पर खड़ा कर सके ।पहला प्यार ? अरे नृत्य ही उसका पहला प्यार है ।कालेज में सब रूची से डरते थे वहीं सिद्धार्थ उसे मन ही मन बहुत पसंद करने लगा लेकिन उसने कभी रूची को ज़ाहिर नही होने दिया ।जहाँ रूची को पढ़ाई में या नोट्स लेने में कोई हैल्प चाहिये होती तो वो करता । और चुपचाप दूर रहकर उसे नृत्य अभ्यास करते घटों देखता रहता ।उस दिन अचानक बारिश होने लगी।सब भीगते हुऐ कालेज आ रहे थे।रूची भी अपनी स्कूटी पर आ रही थी अचानक दूसरी साईड से तेज़ी से आ रही कार ने रूची को टक्कर मारी।स्कूटी दूर तक घिसटती गई और रूची बहुत बुरी तरह ज़ख़्मी और बेहोश हो गई । उसकी टाँगो पर बहुत गहरी चोट आई ।पूरे दो दिन बाद जब होश आया तो उसने खुद को होस्पिटल में पाया । उसे पहचानते में कुछ वक़्त लगा। माँ -पापा , रिश्तेदार , कालेज के दोस्त आसपास सब खड़े थे । रूची को समझ नही आ रहा था कि क्या हुआ है बस उसे टांगों में असहनीय पीड़ा हो रही थी । थोड़ा चैतन्य हुई तो माँ ने सब बताया कि तुम्हारा एक्सीडैन्ट हुआ है और सिद्धार्थ तुम्हें तुरन्त होस्पिटल लाया।माँ ने बताया कि कैसे सिद्धार्थ उसकी इतनी केयर कर रहा है पर रूची कुछ नही सुन रही थी कि माँ क्या बोल रही है । उसका ध्यान अपनी टाँगो की और था कि वहाँ उसे इतना दर्द क्यूँ हो रहा है । जब माँ से रूची ने पूछा कि तो माँ -पापा बात को घुमा कुछ और बातें करने लगे कि रूची का ध्यान दूसरी तरफ़ लग जाये । रूची चीख़ पड़ी - माँ बताओ आख़िर क्या हुआ है मुझे?सब चुप चारों और एकदम दर्द से भरा सन्नाटा फैल गया।रूची सबकी और देखने लगी अचानक उसने अपनी पैरों के उपर से चादर हटाई और ज़ोर से चीख़ पड़ी नही , नही .... नही ये नही हो सकता।रूची अपनी एक टाँग कटी देखकर बेहोश हो गई।डॉ ने सबको रूम से बाहर कर दिया और रूची को नींद का इन्जेक्शन दिया कि रूची ये सदमा सहन नही कर पा रही थी ।सारे सपने उसकी आखोँ के आगे चूर -२ हो गये । रूची को पूरा जीवन निरर्थक लग रहा था अब वो जीना ही नही चाहती थी । रूची की ऐसी हालत देख कर रूची के माता-पिता भी बुरी तरह टूट गये थे।और सिद्धार्थ वो तो रूची की ऐसी हालत देख कर खुद को इतना बेबस समझ उसका दिल फटा जा रहा था लेकिन फिर भी सिद्धार्थ ने सबसे अपने आँसू छिपा लिये क्यूँकि वो रूची से बेहद प्यार करता था और फिर रूची के घर वालो को संभाल कर ऐसे सान्तवना दे रहा था जैसे कोई उनका अपना बेटा हो।पूरा वक़्त सिद्धार्थ ही रूची को संबल दे रहा था और उसके होंठों की हसीं वापिस लाने के लिये क्या कुछ नही कर रहा था।आख़िर सिद्धार्थ ने यक़ीं दिला दिया कि वो अब अपंग नही रहेगी। वो पहले जैसा चल भी सकती है और हाँ अपने पहले प्यार को जरूर पूरा करेगी।ये मेरा तुमसे वादा है।सिद्धार्थ ने अपने अथाह प्यार और केयर से रूची को इतनी हिम्मत दी कि आज रूची फिर से अपने पैरों पर चलकर दुनिया मे अपनी कला का लोहा मनवाने और अपने सपने को साकार करने हेतु विदेश जा रही थी