Monika Sharma "mann"

Inspirational

5.0  

Monika Sharma "mann"

Inspirational

वो माई

वो माई

3 mins
451


जीवन में प्रेरणा का स्रोत तो कोई भी हो सकता है चाहे वह रेत ,हो चींटी, हो या खुद मनुष्य ही ,क्यों ना हो, मगर मेरी प्रेरणा का स्रोत एक ऐसी महिला थी ,जिसे मैं जानती भी नहीं थी ,पहचानते भी नहीं थी, मगर उसके कार्य करने की क्षमता ने मुझे अंदर तक हिला डाला।  


रमा यह सोच ही ही रही थी कि तभी उसकी बेटी अधीरा ने उसका हाथ पकड़ा "मां जरा रोटी बना दो भूख लग रही है।" मां ने कहा "हाँ हाँ बनाती हूं.अरे मैं तो आज खाना बनाना ही भूल गई, कितनी गहराई में चली गई थी।"

रामा ने जल्दी-जल्दी खाना बनाया और अधीरा को दिया । उसने अपनी डायरी में अपने जीवन के कुछ ऐसे पल संजोये हुए थे जिनमें उसने अपनी प्रेरणा के स्रोत के बारे में लिखा हुआ था।

एक पल वह था जिसमें एक कूड़ा बीनने वाली महिला जो उसे सवेरे छह बजे से कूड़ा उठाती दिखती और रात के सात बजे तक पूरे गली मोहल्लों की सफाई करते हुए ।

उसको कहीं ना कहीं दिख जाती । निरंतर कार्य करती रहती और कहां रमा घर के काम में तिलमिला जाती ।

"अरे घर का काम करो ,फिर स्कूल जाओ ,फिर स्कूल का काम करो ,फिर घर आओ, दिमाग खराब हो जाता है।"

इसके चलते रमा और रवि में लड़ाई होती। एक दिन उसने स्कूल से आराम करने के लिए छुट्टी ली। रवि को ऑफिस और अधीरा को स्कूल भेज, चाय का प्याला ले बालकनी में बैठकर अखबार पढ़ने लगी तभी उसकी नजर उस महिला  पर पड़ी जो कूड़ा बिनती थी। आज वह जहां तहां की सफाई करती दिखी।

उसने देखा वह प्लास्टिक को एक जगह रखती तथा बाकी कूड़े को दूसरे स्थान पर रखती और अपनी ठेले को धीरे-धीरे आगे कर सफाई करती चलती।

मानो ऐसा लग रहा था कि धरती चमकने वाली है ,चाय का कप खत्म किया तभी डोर बेल बजी,उसकी कामवाली बाई आ गई थी।

बाई से उसने घर का सारा काम करवाया, कपड़े धोने वाली मशीन तो उसने लगाई ही हुई थी , कपड़े बाई ने सूखा दिए थे वह आराम से बैठी हुई थी।

सारा काम होने के बाद दोपहर का खाना खाया तभी उसने देखा हवा तेज चल रही है तो वह बालकनी में कपड़े उठाने चली गई।

उसने देखा वह महिला अब दूसरी तरफ से सफाई करती हुई आ रही है उसे लगा क्या यह लगातार काम करती होगी, नहीं नहीं थोड़ा बैठ भी जाती होगी ,यह लोग तो निकम्मे होते है ।

अंदर आने के बाद उसने सोचा चलो आज मार्केट जाया जाये। तो वह मार्केट के लिए निकली गई ।

जब देर शाम वह मार्केट से आई तो अधीरा को उसके पलेस्कूल से लेते हुए आई।

उसने तब भी देखा अब वह महिला उसकी सोसाइटी के बाहर से कूड़ा साफ कर रही थी। उसने उसे पूछा " माई तुम क्या हर टाइम काम करती रहती हो" कभी आराम नहीं करती? तो उस माई ने बोला" बिटिया अगर मैं आराम करूंगी ,तो यह सफाई ना होगी। धरती मां ऐसी ही गंदी रहेगी, जिसे हम मां कहते हैं उसे गंदा कैसे कर सकते हैं, लोग पागल है तो क्या मैं भी पागल रहूं ?।।

"नहीं बिटिया ,यह मेरा काम ही नहीं यह मेरा जुनून है कि मुझे यहां के आसपास की सफाई अपनी धरती मां की सफाई अच्छे से करनी है"।

रमा ने जब यह सुना मानो उसके रोंगटे खड़े हो गए हो ।

वह तो घर के दो चार कामों में ही तिलमिला जाती है और बाकी काम तो काम वाली आकर करती है।

उस रात उसको नींद ही नहीं आई । अगले दिन रमा एक नई ऊर्जा व नई प्रेरणा के साथ उठी और उसने अपने लिए यह प्रण किया कि "काम कोई छोटा या बड़ा नहीं है काम मेरी सोच में छोटा और बड़ा है ",काम ज्यादा भी नहीं है अब से वह किसी को काम के लिए मना नहीं करती और झटपट सब कर देती।

रमा की प्रेरणा वह माई बनी और वह माई हम सब के लिए भी प्रेरणा  है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational