"वो लौट आया"एक
"वो लौट आया"एक
एक ऐसा गांव था, जहां बिजली पानी विद्यालय स्वस्थ्य सड़क परिवहन कुछ भी सुविधा नहीं थी। इस गांव से गाड़ी मोटर चलने वाला रोड भी 8 किलोमीटर दूर था। खेती की भूमि बिना सिंचाई के बंजर भूमि जैसी हो गई थी। पूरे गांव की खेती की भूमि पर खरपतवार उगा हुआ था। गांव में किसी भी राजनीतिक पार्टी का उम्मीदवार चुनाव के समय वोट मांगने नहीं आता था। क्योंकि गांव के सारे मर्द बड़े-बड़े शहरों में मेहनत मजदूरी करने गए हुए थे। और पूरे गांव की महिलाएं अंधविश्वासी थी। परिवार के सदस्यों के बिना और सुख सुविधाओं के बिना अपने जीवन से निराश हो चुकी थी। इसलिए वह मतदान करने भी नहीं जाती थी। कोई भी माता पिता अपनी बेटी की शादी भी इस गांव में नहीं करना चाहता था। इस गांव के युवक राजेंद्र की ज्योति नाम की लड़की से शादी होती हैै। वह भी शादी के बाद बड़े शहर कमाने चला जाता है। ज्योति गांव की महिलाओं और अपने जीवन में सुधार के लिए एक योजना बनाती है। गांव की महिलाओं के अंधविश्वास का लाभ उठाकर गांव की महिलाओं से कहती है कि "मैं एक ऐसे सिद्ध साधु को जानती हूं, अगर हम उनसे गांव में बहुत बड़ा यज्ञ कराएं तो इस गांव में ना कोई कभी बीमार होगा और ना कोई मरेगा। पर इसके लिए बहुत से धन की आवश्यकता होगी। अगर पूरे गांव की महिलाएं मुझे एक ₹1 रोज 4 साल तक इकट्ठा करने के लिए थे, तो मैं वह पैसा अपने पास इकट्ठा करके सिद्ध साधु से यज्ञ करवा दूंगी।" उस गांव मेें दो हजार घर थे। सारी महिलाएं उसका का कहना मान लेती हैै। और ज्योति सारा पैसा इकट्ठा करके गांव की खेती की जमीन पर अरहर की दाल की खेती करती है। क्योंकि अरहर की दाल बिना सिंचाई के वर्षा के पानी से भी हो जाती है। राज्य में सबसे ज्यादा अरहर की खेती होने की वजह से राज्य के मुख्यमंत्री उस गांव का विकास कर देते हैं। और गांव के सारे मर्द मजदूर से किसान बन जाते हैंं। और अपने गांव में अपने परिवार के साथ रहने लगते हैंं।