RAKESH RAKESH

Drama

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RAKESH RAKESH

Drama

आम के बाग का चौकीदार

आम के बाग का चौकीदार

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इलाहाबाद के पास एक बहुत ही सुंदर गांव था। इस गांव में अलग-अलग किस्मों के आमों की फसल बहुत अच्छी और बहुत ज्यादा होती थी। सरवन कुमार इस गांव के प्रधान थे। सब उन्हें प्यार और सम्मान से बड़े बाबू कहते थे। बड़े बाबू की सैकड़ों एकड़ मे जमीन थी। और आसपास के इलाकों में सबसे ज्यादा उनके आम के पेड़ के बाग थे। वह एक सीधे-साधे सज्जन पुरुष थे। पूरे गांव और आसपास के इलाके में सब उनकी सलाह और हुक्म को मानते थे। पर बड़े बाबू पर उनकी मां का हुक्म चलता था। उनकी मां समझदार और एक ज्ञानी और ‌‌ गुणवान महिला थी। बड़े बाबू की पत्नी पर बड़े बाबू का और उनकी मां का हुक्म चलता था। बड़े बाबू के एक पुत्र सिद्धार्थ और पुत्री का नाम मीरा था। पूरे इलाके में बड़े बाबू के आम के बाग से, आमों की चोरी सबसे ज्यादा होती थी। क्योंकि चोरों को भी पता था, कि पकड़े जाने पर बड़े बाबू कोई बड़ी सजा नहीं देंगे। बड़े बाबू की मां वैसे तो जानवरों से प्रेम करती थी, पर उन्हें कुत्तों से नफरत थी। एक दिन बड़े बाबू की पुत्री मीरा एक कुत्ते के पिल्ले को अपने घर लेकर आ जाती है। बड़े बाबू की मां अपनी हवेली में कुत्ते के बच्चे को रखने के लिए कतई भी तैयार नहीं थी। इसलिए बड़े बाबू अपनी मां और पुत्री दोनों को खुश करने के लिए एक

रास्ता निकालते हैं, कि यह कुत्ते का बच्चा आम के बाग में रहेगा और मीरा को वहां आने जाने की इस कुत्ते के बच्चे की देखभाल करने की पूरी आजादी होगी। उनके इस फैसले से मां और उनकी पुत्री दोनों खुश हो जाते हैं। मीरा कुत्ते के पिल्ले का नाम भूरा रखती है। धीरे-धीरे भूरा बड़ा होकर एक बहुत ताकतवर और सुंदर चतुर कुत्ता बन जाता है। देखने में भूरा बिल्कुल चीते जैसा था। भूरा को गांव के लोग भी बहुत प्यार करने लगते हैं, क्यों क्योंकि गांव की गाय भैंस बकरीयों को गांव वालों के साथ जंगल में चराने जाता था। और जब तक गाय भैंस बकरी या

खाती रहती थी। वह नदी में नहाता रहा था। और जंगल में शिकार खेलता रहता था। शाम को गांव वालों के साथ इन गाय भैंस बकरीयों को इकट्ठा करके गांव में लाता था। फिर शाम को बच्चों के साथ टीवी देखता था। टीवी में कोई जानवर या लड़ाई झगड़े का खतरनाक सीन आता था, तो बुरा बहुत तेज तेज भोंकता था। भूरा कुत्ता सिर्फ मीरा के कहने से ही चुप होता था। बुरा इतना ताकतवर और शक्तिशाली इस वजह से भी था, क्योंकि मीरा तो उसे दूध देसी घी खाने के लिए देती ही थी, इसके अलावा गांव के लोग भी भूरा को कुछ ना कुछ खाने के लिए देते रहते थे। साथ में भूरा एक शिकारी कुत्ता भी था। शिकार खेलकर भी वह अपना पेट भर लेता था। भूरा कुत्ते की वजह से गांव में चोरों का आना भी बंद हो गया था। एक रात भूरा बड़े बाबू के आम के बाग में मैं सो रहा था, उसी समय 4-5 चोर छोटा टेंपो लेकर आ जाते हैं। और बड़े बाबू के आम के बाग से आम चोरी करने लगते हैं। भूरा कुत्ता हट्टा कट्टा शक्तिशाली तो था ही, साथ में वह चतुर भी था। भूरा सबसे पहले चोरों के टेंपो के ड्राइवर पर हमला करता है, फिर उसके बाद बाकी चोरों को चीर फाड़ के धराशाई कर देता है। ड्राइवर के घायल होने की वजह से चोर वहां से भाग नहीं पाते।


इतने में शोर-शराबा सुनकर गांव के लोग और बड़े बाबू वहां जाते हैं। और चोरों को पकड़ लेते हैं। पुलिस से पता चलता है, की इन चोरों ने कई घरों से सोने-चांदी रुपया लूटा था। और बहुत सी दुकानों को भी लूटा था। इसके अलावा एक बैंक में भी चोरी की थी। यह सब ईनामी चोर थे। इसलिए सरकार और पुलिस भूरा को उस दिन चौकीदार की उपाधि देते हैं। और पुरस्कार देकर सम्मानित करते हैं। उस दिन के बाद बड़े बाबू की मां की निगाह में भी भूरा का सम्मान बढ़ जाता है। और बड़े बाबू की मां भूरा को हवेली में रहने की इजाजत दे देती है। बड़े बाबू पहले भी भूरा को पसंद करते थे, पर इस घटना के बाद बड़े बाबू भी भूरा को बहुत ज्यादा प्यार करने लगते हैं। वह किसी भी शादी विवाह समारोह में जाते थे, तो भूरा कुत्तों को जरूर ले जाते थे। बड़े बाबू का एक नियम था, लड़कियों की शादी में कन्यादान जरूर देने का। भूरा बड़े बाबू के साथ जब शादियों में जाया करता था, तो बैंड बाजे पर नाचता था। और शादी के स्वादिष्ट खाने का डटकर आनंद लेता था। कुछ दिनों के बाद मीरा का बहुत ही इज्जत दार खानदान से रिश्ता आ जाता है। बड़े बाबू उनकी मां पत्नी मीरा की बहुत ही  शान शौकत और बड़ी धूमधाम से शादी कर देते हैं। मीरा की शादी के बाद भूरा ऐसा हो जाता है, जैसे उसके शरीर से शक्ति ही खत्म हो गई हो। भूरा की ऐसी हालत देखकर बड़े बाबू को बहुत दुख होता है। वह कुछ उपहार और खाने पीने का सामान देखकर भूरा को मीरा के पास भेज देते हैं। मीरा के पति की शहर में नौकरी थी। इस वजह से वह अपने गांव का घर छोड़कर शहर में किराए के मकान में रहता था। भूरा कुत्ते को देख कर मीरा मैं तो जैसे  जान ही आ जाती है। मीरा बिल्डिंग की पाँचवीं मंजिल पर रहती थी। इस वजह से मीरा और भूरा कुत्ते को अपने जंगल नदियां खेत खुली हवा की बहुत याद आती थी। वह रोज शाम को पार्क में घूमने जाया करते थे। पार्क में दूसरे कुत्ते भूरा को देखकर भोंका का करते थे। 


एक दिन भूरा  दूसरों के पालतू कुत्तों को घायल कर देता है। भूरा की यह शिकायत मीरा के पति के पास आती है। वह भूरा से बहुत नाराज होता है। मीरा का पति जब भी कहीं शादी पार्टी विवाह समारोह फिल्म देखने जाता था, तो भूरा को एक कमरे में बंद करके जाता था।     भूरा कुत्ता एक चीते और शेर जैसा था। उसकी आवाज भी बहुत ही भारी थी। भूरा कुत्ता कमरे में बंद भोंकता था, तो पड़ोसी मीरा के पति से शिकायत करते थे। इस वजह से मीरा का पति मीरा को बिना बताए, भूरा को नींद की गोलियां देना शुरू कर देता है। रोज नींद की गोलियां खाने से भूरा  का दिमाग कमजोर होने लगता है, और वह एक दिन पूरी तरह पागल हो जाता है। और मीरा का पति मीरा को डांट कर बुरा कुत्ते को घर से भगा देता है। एक दिन पार्क में घूमते हुए मीर को आस पड़ोस की औरतों और बच्चों से खबर मिलती है, कि बुरा कुत्ते ने एक फौजी की पत्नी को काट लिया था। इसलिए उस फौजी ने गोली से भूरा कुत्ते को मार दिया है। दूसरा बच्चा कहता है कि "भूरा कुत्ता एक दो गोली से नहीं मर रहा था, इसलिए फौजी ने उसको पूरी 6 गोली मारी थी" यह सुनते ही मीरा का दिल घबराने लगता है। वह अपने होश खो कर बेहोश होकर गिर जाती है। और मीरा दम तोड़ देती है। मीरा और भूरा कुत्ते का यह सच्चा प्यार देखकर आस-पड़ोस के लोगों और मीरा के पति की निगाह में मीरा और भूरा के प्यार का सम्मान जीवन भर के लिए घर कर जाता है।


कहानी की शिक्षा आज की दुनिया में लोगों का अपनापन खत्म हो रहा है। और संयुक्त परिवार तो बिल्कुल ही खत्म हो चुके हैं।


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