ढाई अक्षर प्रेम के
ढाई अक्षर प्रेम के
रियासत खत्म होने के बाद भी पांच पीढ़ियों से आज तक धर्मवीर के खानदान का मान सम्मान वही था। धर्मवीर को अपनी जान से ज्यादा अपना मान सम्मान स्वाभिमान इज्जत बहुत प्यारी थी। धर्मवीर के दो पुत्र थे कर्मवीर और रामवीर।
एक दिन धर्मवीर अपनेे आम के बाग में अकेले घूम रहा था। तो उसी समय आम के बाग में धर्मवीर की नजर एक नाबालिग लड़के और एक नाबालिक लड़की पर जाती हैै। लड़के का नाम सोनू था और लड़की का नाम मीना था। दोनों आपत्तिजनक स्थिति में थे। धर्मवीर को उनकी गंदी हरकत देखकर बहुत क्रोध आ जाता हैै। और दोनों के एक एक थप्पड़ मारकर कहता है कि "शाम को तुम्हारे परिवार वालों से शिकायत करूगा।"
वह लड़का और लड़की दोनों अपने को बहुत अपमानित महसूस करते हैंं। और शाम को बेज्जती का डर भी उनके मन में बैठ जाता है। इसलिए वह लड़का यह झूठी गांव खबर फैला देता है कि धर्मवीर मीना की जबरदस्ती आम के बाग मे इज्जत लूटने कोशिश कर रहा था। जब मैंने बचाने की कोशिश की तो मुझे और मीना को बहुत मारा नाबालिक लड़की भी उसका इस झूठ में पूरा साथ देती हैै।
धर्मवीर कि इस घिनौनी हरकत पर दोनों के परिवार वाले और पूरे गांव को बहुत गुस्सा आता हैै। दोनों के परिवार वालों के साथ पूरा गांव जाकर धर्मवीर का बहुत अपमान करते हैं। और पुलिस में रिपोर्ट लिखवा देते हैं।
धर्मवीर के बड़े बेटेे कर्मवीर को अपने पिता के अपमान पर बहुत क्रोध आता हैै। और वह कुछ आदमियों के साथ लाठी-डंडों से उस लड़के और उस लड़की के परिवार वालों पर हमला कर देता है। लेकिन सारे गांव वाले लड़के और लड़की के परिवार के साथ मिलकर कर्मवीर और उसके आदमियों को बहुत पीटते हैं।
फिर धर्मवीर का छोटा बेटा रामवीर महरम पट्टी का सम्मान एक डॉक्टर और चार मीठे आमों के टोकरे लेकर उन दोनों के परिवार के पास जाता है। पहले डॉक्टर से घायलों की पट्टी करवाता है फिर दोनों के परिवार वालों को दो-दो टोकरे मीठे आम के देता है। कुछ देर रामवीर की प्यार भरी बातें सुनकर वह लड़का और लड़की रामवीर के पैर पकड़कर माफी मांगते हैं और अपनी गलती मान लेते हैं। क्ली संदेश-ढाई अक्षर प्रेम के है, बहुत शक्तिशाली