मां की महक
मां की महक
सावित्री का पति अनिल आलसी कामचोर लालची पुरुष था। वह रात दिन यही सोचता रहता था कि ऐसा कौन सा कार्य है जिसको करने में मेहनत भी ना करनी पड़े और मैं बहुत सा पैसा आसानी से कमा लूं।
उसकी यह भी सोच थी की बेटे कमाई का साधन होते हैं।
अपने मकसद को पूरा करने के लिए वह सावित्री को चार बरस में तीन बार मां बना देता है। तीनों बार जब उसके घर बेटियां जन्म लेती हैं, तो वह सावित्री पर पहले से ज्यादा अत्याचार करने लगता है।
अपने परिवार के साथ जब वह खुद भी भूख और गरीबी से तंग आ जाता है। तो सावित्री पर दबाव डालने लगता है कि वह अपने माता-पिता से उसके नए व्यापार को आरंभ करने के लिए पैसा लेकर आए।
सावित्री रोज की मारपीट लड़ाई झगड़े से परेशान होकर एक दिन अपने पति के अत्याचार की सारी कहानी चिट्ठी में लिखकर चिट्ठी अपने माता-पिता को भेज देती है।
एक रात अनिल शराब पीकर सावित्री के साथ बहुत ज्यादा मारपीट करता है। और सावित्री के सर से ज्यादा खून बहने से सावित्री बेहोश हो जाती है। अनिल शराब के नशे में सोचता है कि सावित्री की मृत्यु हो गई है इसलिए वह उसी रात एक दीवार के पीछे सावित्री को जिंदा डालकर दीवार की चिनाई कर देता है।
सुबह उसके सास ससुर उसके घर आ जाते हैं। और वह उनसे झूठ बोलता है की सावित्री पड़ोस की महिला के साथ उसके गांव गई हुई है।
उस समय सावित्री सबसे छोटी बेटी घुटनों चलकर बार-बार रो-रोकर उस दीवार के पास जा रही थी। सावित्री की मां जैसे ही उसकी बेटी को गोद में उठाने जाती है, तो दीवार के एक छोटे से छेद में किसी की तेज तेज सांस लेने की आवाज आ जाती है। मां की महक महसूस करने की वजह से सावित्री की जान बच जाती है।