Rashmi Sinha

Inspirational

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Rashmi Sinha

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वंश वृक्ष

वंश वृक्ष

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मदन जी जो एक समाज सुधारक के रूप में विख्यात थे, उनके नए बंगले के गृह प्रवेश था वो अपने नए बने शानदार मकान के हर कमरे को अतिथियों को गर्व से दिखा रहे थे।

अद्भुत सज्जा, नयनाभिराम कलाकारी---

बेडरूम में लगी एक आदमकद तस्वीर, जिसमें एक तांबे के बने वृक्ष में कुछ नाम थे।

साथ चल रही उनकी दो बहनें, पुत्र, पुत्र वधुएं, नाती पोते आदि व कुछ पड़ोसी व अन्य अतिथि शामिल थे।

अचानक उनके 8 वर्षीय पोते ने पूछा, दादू ये क्या है? 

ये हमारे खानदान का शजरा, यानी वंश वृक्ष है। ये देखो मेरे दादा जी का नाम सबसे ऊपर, लाला पुरुषोत्तम दास, उनके दो बेटे, फिर उनके यानी मेरे पिता के 3 बेटे मैं और 2 भाई, सबके नाम हैं।

कितना खूबसूरत है ये वंश वृक्ष।

तभी साथ चलते पोते का अबोध प्रश्न आया, पर दादू?

इसमें दादी, बुआ, या अन्य लड़कियों के नाम क्यों नहीं हैं?

क्योंकि---- सहसा ही उत्तर देते हुए उनकी जुबान रुक गई, और वो चुप हो लिए

साथ चलते अविनाश जी भी खामोश थे क्योंकि उनके मात्र 2 पुत्रियां ही थीं।

पर अगले दिन वो वंश वृक्ष वहां से उतर चुका था

और कुछ दिन बाद वहां जगमगा रहा था एक नया वंश वृक्ष, जिसमें वंश बेल के रूप में सभी महिलाओं के नाम शामिल थे।

 उनको अपनी भूल समझ आ चुकी थी, और निसन्देह वो तस्वीर अविनाश जी के लिए भी एक प्रेरणा थी।



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