Rajiv Jiya Kumar

Abstract Classics Inspirational

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Rajiv Jiya Kumar

Abstract Classics Inspirational

वक्त सदैव उसका था

वक्त सदैव उसका था

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यह एक धीरे धीरे नगर में बदलते छोटे कस्बे की बानगी भर है कि मुन्नी भैया अहले सुुुबह अपनी छोटी दुकान की अंगीठी सुलगा लेते है। चाय की उनकी यह दुकान कब से चल रही है यह कोई नही बता सकता था।

मुझे दो वर्ष वहाँ रहने का अवसर प्राप्त हुुआ।

नियमित सुुुुबह टहलने का आदि था मैैं। 

प्रतिदिन टहलने के बाद एक कप चाय मुन्नी भाई के

दुुकान पर रूक पीना बहुत अन्य लोग के साथ मेेेेरी भी आदत सी बन गई।

बात बात में मैंने अपने कुछ साथियों की उपस्थिती में मुन्नी भाई से पूछ लिया-:  दुकान कब से चल रही है भैैैयाजी।

मुन्नी भाई-: पन्द्रह सोलह वर्ष हो गए है जी।

'कितने बजे दुकान खोल लेते हैैै''मैने पूछा।

आप तो रोज देेखते ही है,मैं सुबह पाँच बजे दुकान पर 

आ ही जाता हूूँ। रात नौ साढे नौ बजे तक चलता है 

यह व्यवस्था'-: उन्होंंने कहा।

हमलोग अपनी अपनी चाय पी रहे थे तभी शशि 

बोला-:बङी मेहनत करता है मुन्नी भईवा।सुबह पाँच से

रात के नौ बजे तक खड़े खड़े चाय बेेचता है।

हम सब उसकी मेहनत की बात तो करते लेकिन यह कहना न भूलते की उसका वक्त भी सुधरेगा।

सुबह की और शाम की चाय मुन्नी भाई के दुुकान पर रूक कर पीना हम करीब दस बैंकर्स का नियम से हो गया था।

ढेर सारी बात होती।

मुन्नी भाई भी उन बातो मे शामिल रहते।

हमलोग जान चुुुके थे कि मुन्नी भाई अपनी एक बेटी की शादी कर चुुुके हैैं।

उनका एक बेटा और छोटी बेटी रोज नजदीक के एक शहर मेें काॅॅॅॅलेज में पढने जाते है।

मुन्नी भाई बोले-: आज के समय में बेटा हो या बेटी पढा दो।भविष्य में उनको चाय बेेेेचना नही पड़ेेगा।

मैने कहा-: आप बिल्कुल सही कह रहे है भाई। 

उस दिन हमलोग आफिस में भी यह बात कर रहे थे किमुन्नी भाई का वक्त जरूर बदलेेेगा।

रणवीर बोला-: एकदम सही बात।बङा ही मेहनती और 

होशियार बंदा है मुन्नी भाई।उसका तो वक्त बदलेगा ही।

दो बच्चे बङी ध्यान से पढ़ाई कर रहे है।मैंने उनको जांचा है।तेज तर्रार बच्चा है दोनो।

मैं भी बोल पङाा-: ये बच्चे उनका वक्त बदलने मेें अवश्य 

सहायक होंंगे।

वह मंगलवार का दिन था, हमारी मान्यता महाराज हनुमान जी का दिन।

हम आठ दस जनेे शाम की चाय पीने के लिए मुन्नी भाई के दुुकान पर पहुँच गए। 

चाय की मांग पेेश करी गई।

मुन्नी भाई मिठाई का एक डिब्बा खोलकर हम सब के पास आए,बोले-: सर आज यह मिठाई मेरी तरफ से आप लोग खाईए। मैं चाय देता हूँ।

हम सब ने एक एक मिठाई खाई।अच्छी मिठाई थी।

चाय बन रही थी और हम सब यह कयास लगा रहे थे कि मुन्नी भाई के पढने वाले बच्चे कुुछ अच्छा कर गए हैैं तभी

यह मिठाई खिलाए गए हैं।

चाय मुन्नी भाई स्वयं लाए हम सब के लिए।

मैने पूूछा-: भाई मिठाई किस खुशी में खिलाए आपने।

उन्होंने जबाव दिया-: सर आज दिन मेें मैने अपना एक ट्रक खरीदा है।

हम सब एक दूसरे को देख रहे थे। 

ऐसा लग रहा था कि हमारा यह कहना कि इनका वक्त जरूर बदलेगा व्यर्थ कहे जा रहे थे।

व्यक्ति जो सुबह पाँच से रात के नौ बजे तक खड़े खड़े कार्य कर रहा है उसके वक्त बदलने की बात बस बकवास है क्योंकि वक्त सदैव उसका ही था।


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