STORYMIRROR

Ganesh Chandra kestwal

Inspirational Others

2  

Ganesh Chandra kestwal

Inspirational Others

वक्त की करवट

वक्त की करवट

1 min
105

ठेकेदार रतिराम को सुबह-सुबह बीड़ी की तलब लगी। उसने जेब में हाथ डाला तो ध्यान आया कि सारी बीड़ियाँ रात को ही खत्म हो चुकी थीं। उसकी तलब बढ़ती जा रही थी और वह पूर्ण-रूपेण तलब की गिरफ्त में आ गया। वह बेचैन हो रहा था। उसने कुर्ते तथा कोर्ट की सभी जेबें टटोली और फिर संदूक खोला पर बीड़ी खरीदने के लिए उसे दस रुपए नहीं मिले। वह सिर पकड़ कर चारपाई पर बैठ गया और बीते खुशहाली के दिनों को याद करने लगा। जब उसकी ठेकेदारी चरम पर थी। लक्ष्मी मानो उसकी सेवा के लिए ही भूमि पर अवतरित हुई थी। जीवन ऐशो आराम और भोग विलास में कट रहा था, वह नौकर-चाकरों, मित्रों व चाटुकारों से घिरा रहता था। और फिर वह उस वक्त को भी याद करने लगा जिसके करवट लेते ही उसके जीवन में अभाव एवं अपयश प्रारंभ हो गया था।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational