विश्वासघात
विश्वासघात
आज से तुम्हारी नौकरी खत्म ,जिस थाली में खाते हो उसी में छेद करते हो ", रोहन को इस तरह जोर से बोलते देख नीता दौड़ती सी ड्राइंगरूम में आई ? "भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा , पूछो इससे ,क्या किया है इसने। " नीता हैरान सी राजू को देख रही थी ।राजू के साथ हमेशा छोटे भाई सा व्यवहार करती थी। सारा घर उसके सिर पर खुला रहता था।
रोहन का गुस्सा सातवें आसमान पर था । राजू की झुकी नजरें बता रही थी कि कुछ तो गल्त हुआ है।रोहन का गुस्सा देखकर डर लग रहा था।ऐसा रुप उसने पहली बार देखा था ।
"बस अब तुम इस घर में नहीं रहोगे । ये लो टिकट और बेग उठाओ और चलो । इस वक्त मुझसे बात मत करो ।"बड़ा छोटे भाई की तरह इसका ध्यान रखती थी ,भुगतो अब!!" नीता ने अब चुप रहना ही बेहतर समझा ।
राजू को ट्रेन में बिठा वापसी पर रोहन ने बताया कि "पिछले एक महीने से वह लगातार अलमारी से पैसे निकाल रहा था। पहले तो शक करने को मन नहीं हुआ, पर कल राशन वाले ने बताया कि आप का नौकर ब्रेंडिड सिगरेट खरीदता है । उसने विश्वास तोड़ा यह मैं नहीं सह सकता ।
जो हुआ सो तो हुआ पर एक चीज अच्छी कि इतने गुस्से के बाबजूद राजू के हाथ में इन्होंने 1000 रुपये रखकर कहा," शुक्र करो पुलिस में नहीं दे रहा हूँ,घर पहुँच फोन कर देना।"