STORYMIRROR

Sangita Tripathi

Drama Tragedy

3.5  

Sangita Tripathi

Drama Tragedy

विश्वास

विश्वास

4 mins
327


नीता एक कॉन्फ्रेस अटेंड कर घर वापस चल दी। आज बहुत थक गई थी।

मन भी उचट गया था। आज वहां लोग मिसेज सिन्हा के बारे में बात कर रहे थे। बिचारी पति की अय्यासी की सजा वही भुगत रही हैं। मिस्टर सिन्हा की नई सेक्रेटरी ने उन की कम्प्लेन कर दी की वे उससे गलत सम्बन्ध रखने का दबाव बना रहे। पुलिस ने मिस्टर सिन्हा को अरेस्ट कर लिया। नई सेक्रेटरी कम उम्र की हैं यहाँ मिस्टर सिन्हा की दाल नहीं गली। इससे पहले वो कई सेक्रेटरी से मौज मस्ती कर चुके । और बदले में उन्हे प्रमोशन देते थे। पर यहाँ मात खा गये। 

मिसेज सिन्हा कल से दौड़ भाग कर रही हैं सिन्हा जी की जमानत का। कार में बैठ फ़ोन किया मिसेज सिन्हा को। कोई उनसे बात नहीं कर रहा सब ने किनारा कर लिए। मुरझाई आवाज में बोली। मुश्किल लग रहा हैं सिन्हा जी की जमानत का। ऑफिस से भी उन्हे ससपेंड कर दिया गया। 

बोझिल मन से मैं घर पहुंची। थोड़ा चौक गई नीलेश की गाड़ी नीचे खड़ी थी। चाभी से डोर खोल अंदर आई बैडरूम खुला हुआ था मेरे लिए एक दूसरा झटका तैयार था। नीलेश और बच्चों को घर में पढ़ाने वाली टीचर।  

। छी। मैं सोच ही नहीं पाई। तब तक नीलेश सभल गये नीता तुम तो देर से आने वाली थी। मेरा सर दर्द हो रहा था तो मीनू को सर दबाने को बोला था।

 क्रोध के अतिरेक मैं बोल नहीं पाई।कँहा तो मिसेज सिन्हा से सिम्पैथी हो रही थी उनकी बेबसी पर तरस आ रहा था। और मैं खुद आज उसी पीड़ा का हिस्सा बन रही हूँ। 

तभी चहकते हुए बच्चे आ गये उनके प्रफुल्लित चेहरे देख मैं कुछ बोल नहीं पाई बेटी ज्यादा समझदार थी बोली मम्मा तुम्हारी तबियत ठीक हैं। हाँ थोड़ा सर दर्द हैं। मैं सोने जा रही हूँ तुम लोग खाना खा लेना। 

मैं बैडरूम में आ फफक पड़ी। इतने दिन का विश्वास जो टूट गया। किससे अपने मन की बात करू। और क्या करू। नीलेश को छोड़ती हूँ तो बच्चों की जिंदगी बिखर जाएगी और नहीं छोड़ती तो। उनकी हिम्मत बढ़ जाएगी।. 

अगली सुबह कुछ सन्नाटे से घिरी थी। बच्चे भी स्कूल चले गये मैं अपनी चाय ले बालकनी में आ गई मैंने नीलेश को नहीं पूछा। रोज तो हमदोनो साथ ही चाय पीते थे। पर आज मैं अकेली हूँ। नीलेश भी आँखे नहीं मिला पा रहे थे। थोड़ी देर बाद फ़ील हुआ कोई समीप में आकर बैठा। देखा नीलेश थे।मैं अंदर आ गई कुछ निर्णय तो लेना ही था। मुझे घृणा हो गई। एक अच्छे पोस्ट पर कार्यरत और दो बड़े होते बच्चों का पिता भी ऐसा कर सकता हैं। सर में फिर असहनीय दर्द उठा। 

फ़ोन की घण्टी बज रही थी। महिला मण्डल से फ़ोन था आज सब मिसेज सिन्हा के यहाँ जाने वाले थे सिन्हा जी को मुर्दा बाद बोलने के लिए।। मैं उनसब की अगुआ थी। पर एक रात में मेरी जिंदगी बदल गई।. फोन उठा मैं बोल दी मैं नहीं आ पाऊँगी तबियत ज्यादा ख़राब हैं। सिन्हा जी तो पकडे गये थे पर ऐसे लोगो का क्या करें जो बड़ी सफाई से धोखा देते हैं अपने घर परिवार को।। एक औरत अपने पति, बच्चों पर अगाध विश्वास करती हैं। 

कुछ निर्णय ले मैंने घर नहीं छोड़ने का फैसला लिया। नीलेश को तो माफ़ नहीं किया। हम आज भी एक कमरे में रहते हैं पर दो छोर पर सोते है। सामाजिक रूप से आज भी हम सफल पति पत्नी हैं। पर सच्चाई हम दोनो जानते हैं। जब दिल टूट जाता हैं तो कितनी भी सिलाई करो निशान बाकी रह जाता हैं।

 लम्बा समय बीत गया। नीलेश को अब अपनी गलती समझ में आने लगी वो माफी मांगने की कोशिश करते हैं पर मेरा दिल ही पत्थर हो गया। 

कल हमारी शादी की पचासवीं बर्षगाठ थी। बच्चों ने धूम धाम से मनाई। पांच सितारा होटल में।. पार्टी के बाद फिर नीलेश बोले इतने साल बीत गये नीता। अब तो माफ कर दो। लौट आओ। मेरी गलती की सजा मैं विगत सालो से भुगत रहा हूँ हर रोज मैं मरता हूँ। तुम्हे कैसे दिखाऊंं। मैं अब भी भूल नहीं पाई। दिमाग़ कहता माफ कर दो और दिल। अपने विश्वास के टूटे टुकड़े देखता। ये किरचें बहुत चुभती हैं। बहुत जोड़ने की कोशिश करती हूँ पर नहीं जुड़ता। हिसाब -किताब में मैं शुरू से कमजोर थी


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama