STORYMIRROR

minni mishra

Drama

3  

minni mishra

Drama

#विरह वेदना#

#विरह वेदना#

2 mins
1.2K

“माँ..तुम भी चलो न...मेरे साथ, मैं अकेले नहीं जाऊंगा।” जयंत सामान का पैकिंग करते हुए बोला।

“बेटा... यहीं ठीक है, वहाँ मुझे मन नहीं लगता है। एकबार हो के आ गई...मनोरथ पूर्ण हो गया। न मुझे अंग्रेजी आती है, न आजकल जैसे कपड़े और न ही मेकअप मुझे भाता...।वहाँ के लिए मैं बिल्कुल फिट नहीं हूँ। मुझे इसी छोटे से मकान और छोटे शहर में अपनापन लगता है।पेपर वाले, दूध वाले, सब्जी वाले और कामवाली से बातें करना और उनलोगों के साथ अपना सुख-दुःख बांटना मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। विदेश की ऊँची दुकान फीकी पकवान वाली बात मुझे नहीं सुहाती है ! जब तुम्हारी शादी हो जायेगी तभी मैं तुम दोनों के साथ जाने के लिए मन बनाऊंगी।”

“माँ... हठ मत करो, चलो मेरे साथ। वहां साथ में रहोगी तो मेरा मन निश्चिंत रहेगा। तुम्हें पता है ना...विदेश से मैं चाहकर भी यहाँ नहीं आ पाऊँगा।

“अरे.. तुम्हें चिंता किस बात की है ! देखो, पारो काकी भी गाँव से आ गई है। वो बेचारी वहां अकेली हो गई थी।मेरे साथ रहेगी तो उसे भी बेटे-बहू के प्रतारणा की यादें नहीं सतायेगी। दोनों ने मिलकर इसे बहुत सताया, इसे असहाय छोडकर दोनों शहर चले गए। इसलिए मैंने पारो काकी को अपने पास बुला ली हूँ। सबसे बड़ी खुशी की बात तो यह है कि तुमने मुझे नये जमाने का एप वाला मोबाइल चलाना जो सीखा दिया है, मानो मुझे कोरामिन का खुराक ही मिल गया।

सुन अब चिट्ठी-पतरी का जमाना अब गया। वीडियो काल करूंगी ...तुम मेरे सामने हाजिर, यहीं से बैठे-बैठे तुम्हें देखती भी रहूंगी और बातें भी होगी। तुमने मुझे मेल चेक करना भी सीखा दिया है। तुम फ़ोन पर नहीं रहोगे तो मैं मेल कर दिया करूंगी। इसलिए तो हमारे मोहल्ले वाले तुम्हें श्रवण-पुत्र होने का दर्जा मिला है। इस मोबाइल के सीख जाने से मेरे लिए अब सब कुछ आसान हो गया।सुबह-शाम भजन सुन लूँगी और देश-दुनिया का समाचार भी| इतना ही नहीं घर बैठे डॉक्टर-वैद की सलाह भी मिल जाएगी। अब तुम्हीं बताओ, इससे अधिक और क्या चाहिए मुझे। सच, लगता है जैसे दुनिया अब मेरी मुठ्ठी में सिमट कर आ गई है।”

तभी अचानक दो मोती मेरे आँखों से छलककर मोबाइल पर टपक पड़े। मोबाइल पर टपकी विरह वेदना के मोतियों को जयंत अपने रूमाल से पोंछने लगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama