वह कौन थी

वह कौन थी

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रात के दस बजे गए थे। बाहर तेज तूफान और बारिश हो रही थी। तूफान की वजह से बिजली भी गुल थी। चारों तरफ सन्नाटा था। मरघट सी खामोशी पसरी थी। कभी-कभी कुत्ताें और बिल्लियों की रोने की आवाज़ से सन्नाटा ज़रूर टूटता था, पर किसी अनहोनी की आशंका से मन सिहर उठता था। बचपन से ही सुना था कि कुत्तों के रोने से बहुत बुरा होता है। यह मैं पिछले साल देख चुका था। पिछले साल ऐसी ही तूफानी रात के समय ऐसे ही कुत्ता बहुत रो रहा था। उस रात गुप्ता जी के पिता का निधन हो गया था। बचपन में मैंने यह भी सुना था कि ऐसी रात में भूत-प्रेत भी घूमते हैं। अभी मैं यही सोच ही रहा था कि दरवाज़े की घंटी बजी। मैंने घंटी की आवाज़ अनसुनी कर दी। बार-बार घंटी बजने लगी तो अनमना सा दरवाज़ा खोलने चला गया। दरवाज़ा खोला तो सामने प्रिया खड़ी थी। प्रिया मेरे दोस्त राहुल की बहन है। जिसे मैं मन ही मन चाहता था, पर अपने प्यार का इज़हार न कर सका था। कई साल बाद अचानक उसे देखकर मैं चौंक गया।

हकलाते हुए मैं बोला, "अरे प्रिया तुम अचानक कैसे?"

प्रिया पुराने शोख अंदाज़ में बोली, "अंदर भी आने दोगे या दरवाज़े पर ही सबकुछ पूछ लोगे।" उसके बालों से टपक रही पानी की बूंदें मोतियों की तरह लग रही थीं। मैं उन्हीं में खो गया था। "ऐ मिस्टर आपका ध्यान कहाँ है। प्रिया की आवाज़ से मेरी चेतना भंग हुई। "मैंने कहा, अंदर आओ।"

अंदर आने पर मैंने उसे नेहा के कपड़े दिए।

नेहा मेरी बहन है, जो कभी-कभार आ जाती है। कपड़े चेंज करने के बाद प्रिया आई। मैं तब तक चाय बना चुका था। चाय देखकर प्रिया ने कहा, "आज मौसम रोमांटिक है। आज हम बीयर पियेंगे।" इतनी भयानक रात, वह भी रोमांटिक, प्रिया को क्या हो गया है, मैंने मन ही मन सोचा। प्रिया ने कभी ऐसा नहीं कहा था, इससे मैं स्तब्ध था। खैर प्रिया ही दो ग्लास में बीयर लेकर आई। मैं और प्रिया बीयर पीने लगे। एक के बाद एक वह कई ग्लास बीयर गटक गई। उसका साथ देने के चक्कर में मैं भी काफी बीयर पी चुका था। हम दोनों पर नशा छा चुका था। नशे में वह मेरे सिर पर किस कर रही थी उसकी आँखें लाल हो चुकी थी। मेरा मन अनजाने भय से कांप उठा था। तभी उसके दाँत और नाखून बढ़ने लगे। उसने दाँतों को मेरी गर्दन पर गड़ा दिए। मैं चीखना चाहा, पर आवाज़ घुटी सी रह गई। मैं खुद को उसके शिकंजे से छुड़ा कर वहां से भागा। मौत मेरी आँखों के सामने नाच रही थी। अचानक फोन की घंटी बजी। राहुल का फोन था।

मैंने घबराई आवाज़ में राहुल से बोला कि "उसकी बहन प्रिया आई है और अजीब हरकत कर रही है।" राहुल अचंभित होकर बोला, "प्रिया कैसे आ सकती है। उसे मरे तो तीन साल हो चुके हैं। एक सड़क हादसे में वह हम सबको छोड़कर चली गई।" यह सुनते ही मैं सिहर पड़ा। पीछे मुड़कर देखा तो प्रिया ग़ायब थी। मैं भागता-भागता घर के मंदिर के पास पहुंच चुका था।

शायद इसलिए प्रिया या भूतनी कहिए, वह ग़ायब हो गई थी।



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