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Pawanesh Thakurathi

Inspirational

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Pawanesh Thakurathi

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वह बिचारी लड़की

वह बिचारी लड़की

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सीमा पैर से विकलांग थी। यही कारण था कि लोग उसे बात-बात में बिचारी कहा करते थे, लेकिन सीमा को लोगों का बिचारी कहना और उपेक्षित दृष्टि से देखना अच्छा नहीं लगता था। इसीलिए उसने निश्चय किया कि वह जीवन में संघर्ष करेगी और जिन पैरों के कारण लोग उसे बिचारी समझते हैं, उन्हीं पैरों के कारण एक दिन लोग उसे जानेंगे। इसलिए वह हर रविवार को गांव व उसके आस-पास के ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ा करती। उसका सपना था कि वह बड़ी होकर पर्वतारोही बनेगी। शुरुआत में जब वह पहाड़ों पर चढ़ने का अभ्यास कर रही थी, तब एक दिन उसके पिता ने उससे पूछा- "तू ऐसा क्यों कर रही है बेटी ?"

     तब उसने पूर्ण आत्मविश्वास के साथ कहा- "जिंदगी घुटनों के बल नहीं जी जाती पिताजी ! जिंदगी जीने के लिए खड़ा होना पड़ता है। इसलिए मैं भी खड़े होने का प्रयास कर रही हूँ , ताकि अपने सपने को पूरा कर सकूँ। मैं बताना चाहती हूँ दुनिया को कि मैं भी जीवन में कुछ कर सकती हूँ। कुछ बन सकती हूँ। बिचारी बनकर रहना मुझे अच्छा नहीं लगता।"

और एक दिन सीमा ने सफल पर्वतारोही बनकर साबित किया कि वह बिचारी लड़की नहीं है। 



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