उत्तरदायित्व का एहसास
उत्तरदायित्व का एहसास
एक समय की बात है एक राजा भरतपुर राज में राज्य करता था। लोगों में आम चर्चा थी कि राजा को अपने राज्य से प्रेम कम और जनता के धन से ज्यादा था अर्थात वह राजा कल्याणकारी राज्य का संचालन करने में असमर्थ था। वह अपने प्रजा से सिर्फ इसलिए जुड़ता था कि उनसे ज्यादा से ज्यादा मात्रा में कर के रुप में धन एकत्रित कर सके और अपनी जिंदगी में एशो आराम से गुजारा कर सके। परन्तु राजा पद के ताकत के आगोश में वह यह भूल गया था कि कर के रूप में जो धन वो प्राप्त करता है वह प्रजा का है और उसे राजस्व का कुछ भाग राज्य के प्रजा कल्याण एवं विकास पे भी खर्च करना चाहिए।
एक दिन वह रात में सोया था उसने स्वप्न देखा कि वह एक घनघोर जंगल में शिकार खेलते खेलते भटक गया है। वह प्यास से तड़पता रहता है तब उसी जंगल से लकड़ी का बन्डल माथे पे लिए एक बुजुर्ग गुजर रहा होता है, प्यास से तड़प रहे व्यक्ति को अपने पास रखे पानी के बोतल से प्यास बुझाता है, इतने में राजा का अचानक नींद खुल जाता है वह बहुत ही शर्मिंदा होता है वह सोचता है जब वह प्यास था तो वो बुजुर्ग ने बिना उससे पूछे उसे पानी पिलाया, क्यों नहीं वो राजा है तो अपने प्रजा के लिए जगह जगह विश्राम स्थल, कुआँ का निर्माण और गरीब लोगों को आर्थिक रूप से मदद करें। और रात की उस स्वप्न ने उसे अपने उत्तरदायित्व का एहसास दिला दिया।