अपने सपने है।
अपने सपने है।
यह कहानी एक ऐसे परिवार की जो तीस सदस्यों की थी। जिसमें माँ और बाप सहित उनके तीन बेटे, तीन बहु, चार बहनें, चार दामाद और सभी के दो-दो बच्चे थे। सभी बड़े ही प्यार से रहा करते थे। किसी को कोई परेशानी हो, सभी हाजिर रहते थे, शरीरिक मदद हो, आर्थिक मदद हो सभी एकजुट हो कर एक दूसरे को सहायता करते थे।
समय धीरे धीरे बीतता गया, एक दिन ऐसा भी जब वह परिवार संयुक्त परिवार ना होकर एकल परिवार हो गया। सभी एक दूसरे की शक्ल देखना तक धृणा समझने लगे थे। एक दिन की बात है छोटी बहन रेलवे स्टेशन जा रही थी अपने बच्चे के साथ तभी पीछे से आ रही एक तेज रफ्तार कार ने धक्का मार कर भाग गया, फिर क्या था उसी हालत पे उसके साथ रहे उसके पति ने उसे हॉस्पिटल ले जाकर एडमिट कराया एवं करीब एक महीने तक लगभग उनका इलाज चलते रहा लेकिन कोई भी उनसे मिलने नही आया। वही पहले अब तक सभी परिवार के सदस्य हॉस्पिटल में रहते और एक दूसरे से सभी प्रकार के सहयोग करते दिखते, लेकिन बदले हालात ने उन्हें एक दूसरा से इस विपरीत परिस्थितियों में भी दूर कर दिया। इसी तरह जब समय अनुकूल था तो सपने अपने थे और अब अपने सपने है।