उसकी माँ अभी जिन्दा है"
उसकी माँ अभी जिन्दा है"
"मम्मा .........मुझे चॉकलेट बाला बिस्किट ही खाना है। "नीसू बस रोये जा रहा था ।
पूजा जब उसे चुप करा - करा के परेशान हो गई तो उसने चार साल के नीसू को एक चाटा मार दिया।बेचारा नीसू रोते - रोते कमरे में आ गया।
पूजा ने भी रोते - रोते अपना काम खत्म किया। और कमरे में आकर देखा तो नीसू सो गया था। खारे आसुंओ की एक परत ने उसके नर्म गालों को खुरदरा कर दिया था। कितना मासूम सा बच्चा है वो अभी उम्र ही क्या है उसकी ।अगर बच्चे अभी जिद नहीं करेंगे तो कब करेंगे।
सोते हुये नीसू को पूजा ने खुद से चिपका लिया। जिससे सोते हुये भी नीसू के मुँह से एक सिसकारी सी निकल गई।
पूजा अपने आप को कोसे जा रही थी। आखिर उसने उसपर हाथ क्यों उठाया। अगर आज वरुण होते तो उसे कितना सुनाते। जब कभी वो वरुण के सामने नीसू को जरा जोर से बोल देती थी, तो वो तुरन्त बोलते थे.....
"मेरे बेटे पर यूँ चिल्लाया न करो। भले ही मुझे कुछ कह लो पर उसे नहीं। "
और आज तो उसने हाथ उठाया था। वरुण तो उसे कभी माफ नहीं करेगा।
वरुण की याद आते ही पूजा का दिल जोर- जोर से रोने लगा।अपनी आवाज को अन्दर घोटने के प्रयास में उसकी हिचकी बंध गई और लेटना मुश्किल हो गया तो वो नीसू को साइड कर उठ कर बैठे गई।
कमरे की मधय्म रोशनी में वरुण की मुस्कराती हुई तस्वीर उसे ही देख रही थी। वो उठी और तस्वीर के सामने खड़े हो रोते हुये बोली..........
"क्यों वरुण ? आखिर क्यों तुम मुझे और नीसू को छोड़ कर चले गये?? तुमने एक बार भी नहीं सोचा कि तुम्हारे बाद हमारा क्या होगा?? हमारे बच्चे का क्या होगा??
आज तुम्हारा लाड़ला चॉकलेटी बिस्किट के लिये रो रो कर सोया है। बोलते- बोलते पूजा तस्वीर से यू चिपट गई जैसे वरुण को गले लगा रही हो। पर उसके हाथ चिकने काँच पर फिसल गये। और वो खाली हाथ फिर से अपने बैड पर आ गई।
वरुण एक कपड़ा व्यापारी था। उसके माँ बाप का तो बहुत पहले ही स्वर्गवास हो गया था । पर वो अपने भाई भाभी के साथ रहता था।अपनी बीबी और बच्चे को बहुत प्यार करता था। अपनी बीबी की हर ख्वाहिश उसके बोलते साथ ही पूरी कर देता । बेटे में तो जैसे उसकी जान बसती थी।राजकुमार था वो उनका।
पर एक हादसे ने सब कुछ बदल दिया।उसदिन अपने बेटे के तीसरे जन्मदिन की तैयारी के लिये सामान खरीदने गया था। तभी उसकी कार का एक्सीडेंट हो गया ,और वो अपने परिवार को रोता बिलखता छोड़ कर इस दुनिया से चला गया।
पूजा की तो जैसे पूरी दुनिया उजड़ गई। छै महीने तक तो वो खुद को ही नहीं संभाल पाई। पर नीसू के लिये उसने खुद को संभाला।
वो अपने पति की दुकान भी संभालना चाहती थी। पर उसके जेठ और जेठानी ने ये बोल कर उसे नहीं जाने दिया की........,,,,,,,,
"*अभी दिन ही कितने हुये है, वरुण को गये हुये। तुम्हे खुद अपने मन से सोचना चाहिये । जब तुम अभी से बाहर निकल कर काम करोगी तो लोग क्या कहेगे। तुम नीसू को संम्भालो। काम हम संभाल लेंगे। *"
जेठजी तो पहले से ही नौकरी करते थे। तो वरुण की दुकान जेठानी जी को सौप दी गई।
और उनके बच्चे और काम घर में रह कर संभालने की जिम्मेवारी पूजा को मिल गई।
पूजा की तो अब कोई इच्छा ही नहीं बची थी। पर नीसू वो तो बच्चा था। कभी भी कुछ खाने को या किसी खिलौने के लिये मचल जाता। पहले एकाध बार तो उसे उसकी पसन्द की चीज दे दी जाती। पर अब तो उसके लिये चॉकलेट और बिस्किट भी जेठानी जी बड़ी मुश्किल से लाती।
आज तो हद ही हो गई जब पूजा ने अपनी जेठानी से नीसू के लिये चॉकलेटी बिस्किट लाने को कहा जो उसे बहुत पसन्द है ।और वो बहुत जिद भी कर रहा था। तो उन्होंने गुस्से में लगभग चिल्लाते हुये कहा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
"ये सादा बिस्किट ला कर रखे है । यही खिलाया करो। पता भी है चॉकलेटी बिस्किट कितने मेहगें आते है । हम दोनों पति पत्नी मेहनत कर के इस घर को चला रहे है। इस मेंहगाई के जमाने में दो परिवार पालना आसान थोड़े ही है। चॉकलेटी बिस्किट चाहिये राजकुमार को।,,
और गुस्से में पूजा को घूरते हुये अपने कमरे में चली गई।
नीसू अपनी जिद पर अड़ा था। इसीलिये आज उसका हाथ उठ गया बच्चे पर।
तभी नीसू की धीमी सी आवाज से उसका ध्यान टूटा!वो नींद में बड़बड़ा रहा था .......... "पापा मम्मा ने मुझे मारा। !!!! पापा मम्मा ने मुझे मारा।
अपने बेटे की ये हालत देख उसका कलेजा मुँह को आ गया। और उसने एक निर्णय लिया।
सुबह वो नीसू को स्कूल भेज कर ।खुद भी दुकान जाने को तैयार हो गई। जेठानी ने जब उसे सुबह - सुबह कहीं जाने को तैयार देखा तो छूटते ही बोली.......
"कहाँ चल दी महारानी"
पूजा ने संक्षिप्त उत्तर दिया "दुकान"
सुनते ही जेठानी का पारा गरम हो गया। और जेठ जी को बुलाते हुये बोली.........
"ये जी देखो जरा इसे , ये तो हमारी नाक कटवाने पर तुली है। पति को मरे अभी एक साल ही हुआ है। और ये महारानी चल दी घूमने। "
जेठजी भी कुछ बोलने को हुये उससे पहले ही पूजा ने बोलना शुरू किया......
"घूमने नही अपने पति की दुकान संभालने जा रही हूँ। ताकि अपने बच्चे की इच्छाएं पूरी कर सकूँ। आप दो दो परिवार का बोझ उठा कर बहुत थक गई होगी ,अब आप अपना घर संभालो।नीसू के पापा नहीं तो क्या हुआ उसकी माँ अभी जिंदा है। एक माँ कभी इतनी कमजोर नही होती की वो अपने बच्चों को न पाल सके। मेरा बेटा हमेशा राजकुमार बन कर ही रहेगा । लोगों का क्या है कुछ न कुछ तो कहते ही रहेंगे। पर मेरे बच्चे के आंसू पोंछने तो नही आते न। "
कहते हुये उसने दुकान की चाबी उठा ली। और निकल गई बिना इसकी परवाह किये "की लोग क्या कहेंगे"?
एक माँ के हौसले को देख जेठानी जी अपना सा मुँह लेकर किचन में चल दी वो काम करने जो अभी तक पूजा करती थी।

