उसके हिस्से में आया

उसके हिस्से में आया

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घर ; बुहारना ; सँवारना सजाना

तुम्हारे हिस्से में आया

सजा सजाया सुथरा घर

उसके हिस्से में आया पाक कौशल

तुम्हारे हिस्से में आया स्वाद

उसके हिस्से में आया

वक़्त को पकड़ के रखना

तुम्हारे हिस्से में आया

ज़िंदगी का लुत्फ़ उठाना

उसके हिस्से में आ गईं

तुम्हारी सारी खामियाँ

तुम हुए मुक्त

ठहरा के उसे दोषी

उसके हिस्से में आई पीड़ा

तुम्हारे हिस्से में उसे पीड़ित करने का सुख

कभी सोचा है ?????

वो न होती तो

कहाँ टाँगते अपने दुःख / निराशाऐं

किसपे उतारते अपना रोष

कौन सहता रोब तुम्हारा

वो है तो तुम हो

वजूद है तुम्हारा

नहींं तो कुछ भी नहीं तुम उसके बिना

कुछ भी नहीं

उसके वज़ूद से हैं/कहकहे सरगोशियाँ

सुबह को सुहानी बनाती/चाय की प्याली

साँझ का दिया बाती/नहीं तो

खो दोगे अपनी आब/जीने की वजह

अतृप्त रह जायेगी/तुम्हारी प्यास

मोहब्बत का तड़का लगा के/कौन बघारेगा साग

कौन चुपड़ेगा तसल्ली का घी

तुम्हारे हौसले के फुलकोंं में

.........अभी भी वक़्त है

तुम्हारे पास है मौका/लौटाने के लिऐ

उसके खोये हुऐ सुख/जो तुमने छीन लिऐ

उसके भरोसे को छल के

लौटा दो दुगुने करके/उसके जीने की वजह

..........ख़ुद बनके दिखाओ

खिल जायेगी वो फूल सी

आ जायेंगे बहारों के मौसम

फिर से एक बार

 


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