Bhunesh Chaurasia

Drama Tragedy

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Bhunesh Chaurasia

Drama Tragedy

उसका मुंह नहीं हाथ बोलता है

उसका मुंह नहीं हाथ बोलता है

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पिछले कुछ दिनों से मैं बहुत परेशान था। वजह ये थी कि कुछ लोगों को देखता था।कि वो मुंह से अधिक हाथ से बोलना अधिक पसंद करते हैं। अब हाथ से बोलने का मतलब यह नहीं कि लड़ाई झगड़ा करते हों।निसंदेह आप मेरी इन बातों को संज्ञान में लेते हुए हंसेंगे। हुआ यूं कि मेरा पड़ोसी कलुआ मेरे पास आकर बैठ गया। बिना कुछ बोले। मैं कुछ पढ़ रहा था। कलुआ बहरा नहीं है और अंधा भी नहीं है।

हां कभी कभी बैसक्खा चढ़ जाता है। बैसक्खा मतलब एक पेय पदार्थ जिसे बिहार की स्थानीय भाषा में ताड़ी कहते हैं। यह बिहार बंगाल के अधिकतर हिस्सों में ताड़ के पेड़ से निकाला जाता है। शहरी लोग इसे ताड़ का जूस कह सकते हैं। यह ताजी हो तो बहुत मीठा होता है। और यदि वासा यानि एक दो दिन पुराना हो तो खट्टा लगता है। इसे पीने के बाद शराब के जैसा नशा होता है। कलुआ पी रखा था, इस बात का पता उसके मुंह से आ रही ताड़ी के दुर्गंध से चला।

वह अब भी चुप था। और मैं पढ़ने में व्यस्त। वह कुछ कहना चाह रहा था लेकिन उसकी हिम्मत जवाब दे चुका था।सो वह चुप था। मुझे उस पर तरस आ गया।हो न हो कोई आफ़त बिपत उसके पल्ले पड़ गया हो।

इसी आशंका में किताब एक तरफ रखकर उससे मुखातिब हुआ। कहो कालू भाई कैसे आना हुआ। आप तो मुझे देख कर अक्सर अपनी नाक भौं सिकोड़ते थे फिर आज किया हुआ जो मेरे पास आकर बैठ गए।

वह ऊंघ रहा था,छूते ही एकदम से एक तरफ लुढ़क गया। वह अत्यधिक नशे में था। उसके मुंह से निकला भैया कुछ पैसा दे दो। मैंने कहा कोई विशेष बात? नहीं नहीं करते हुए नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। मैंने कहा फिर पैसे किस लिए ? उसने कहा आज नशा कुछ कम है। मन नहीं भरा है। थोड़ा और पिऊंगा। बात को टालते हुए कहा आपने खाना खाया, तभी उसका मेहरारू, पत्नी सामने आ गई। वह कुछ बोल नहीं पा रही थी। मैं कलुआ से उम्र में बड़ा हूं। लिहाज करते दूर खड़ी हो गई। घूंघट किए पल्लू उसके सर पर थी। करून स्वर में बोली भैया बचवा बीमार है।

इसे पीने से फुर्सत हो तब ना। खैर तरस आ गया तो कुछ पैसे कलुआ की पत्नी के हवाले किया। वह दवा दुकान की ओर बच्चे को साथ लेकर भागी। कलुआ अब भी चुप था। मैंने उसे पैसे नहीं दिया था सो मुझे लगा उसका दिल टूट गया है। निराश होते उठ खड़ा हुआ। उसके मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी।बस हाथ जोड़कर घर की ओर चल दिया। मुझे एहसास हो गया था। कभी कभी मुंह कुछ नहीं बोल पाता तब जुड़े हुए हाथ सबकुछ बोल जाता है।


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