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Sandhaya Choudhury

Abstract

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Sandhaya Choudhury

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उर्मिला (लक्ष्मण की अर्धांगिनी)

उर्मिला (लक्ष्मण की अर्धांगिनी)

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उर्मिला हिंदू महा काव्य रामायण में एक चरित्र है वह जनकपुर के राजा जनक की बेटी थी और उनकी माता रानी सुनैना थी 

जीवनसाथी- लक्ष्मण

पुत्र-  अंगद चंद्र केतु

उर्मिला का परिचय बस इसी से दिया जा सकता है कि वह लक्ष्मण की अर्धांगिनी थी और अपनी पति की आज्ञा को मानकर 14 वर्ष तक उनकी राह तकती रही इसलिए रामायण में मेरे विचारों से एक पतिव्रता और धैर्य वाली अर्धांगिनी थी जिसे इतिहास कभी भूल नहीं पाएगा लेकिन यहां एक बात जरुर कहना चाहूंगी कि आखिर 14 वर्षों तक उर्मिला ने किस तरह अपने दिल को मनाया कैसे अपने पति के विरह में समय का सदुपयोग किया ।

उर्मिला निद्रा-

बताते हैं वनवास की पहली रात में जब भगवान राम और देवी सीता कुटिया में विश्राम करने चले गए तो लक्ष्मण कुटिया के बाहर एक प्रहरी के रूप में पहरा दे रहे थे तभी उनके पास निद्रा देवी प्रकट हुई थी लक्ष्मण ने निद्रा देवी से यह वरदान मांगा था कि उन्हें 14 वर्षों तक निद्रा से मुक्त कर दें निद्रा देवी ने अपनी इस इच्छा को स्वीकार करते हुए यह कहा था कि उनके हिस्से की निद्रा को किसी न किसी को लेना ही होगा तब लक्ष्मण ने निद्रा देवी से विनती की थी कि उनके हिस्से की निद्रा को उनकी पत्नी उर्मिला को दे दिया जाए कहा जाता है कि निद्रा देवी के इस वरदान के कारण ही लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला लगातार 14 वर्षों तक सोती रही और लक्ष्मण जागते रहे कहा जा सकता है कि कोई भी स्त्री 14 वर्षों तक अपने पति के बिना रहना एक आश्चर्यजनक विषय था लेकिन उर्मिला के प्रति प्यार दायित्व को निभाते हुए उन्हें याद करते हुए लक्ष्मण ने जिस बुद्धिमता से निद्रा देवी से यह वरदान मांगा यह काबिले तारीफ है अर्थात यह कहा जा सकता है कि श्रीराम के अनुज लक्ष्मण ने जिस तरह सीता मैया का आदर किया उसी तरह अपनी पत्नी सह अर्धांगिनी को भी खुद से अलग महसूस नहीं किए उसके प्रति प्यार और समर्पण के कारण ही वे रामायण में मुख्य पात्र के रूप में हमेशा याद रहेंगे भारतीय जनमानस में उसके त्याग और समर्पण का जो उदाहरण है स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गए हैं।


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