Sandhaya Choudhury

Drama Others

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Sandhaya Choudhury

Drama Others

अजनबी शख्स

अजनबी शख्स

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कभी-कभी कुछ घटनाएं आपको अचंभित करती है निशा के साथ ऐसा ही हुआ था यह सोचने पर मजबूर करती है कि कुछ चीजें अच्छी भी होती हैं उसका एक पक्ष बुरा भी होता है।


बात उन दिनों की है जब निशा फेसबुक पर नई नई आई थी काफी कुछ सुन रखा था फेसबुक के बारे में यही क्या अच्छा नहीं है इसमें भली औरतें नहीं आती हैं यह बहुत बुरा पक्ष होता है वगैरा-वगैरा खैर बहुत सोच-विचार के बाद निशा का अकाउंट फेसबुक पर खुल गया वह काफी खुश नजर आ रही थी। फेसबुक पर आने की देर थी मानो उसे पूरा जहां मिल गया हो अपने क्रियाकलापों को साझा करने लगी जैसे संगीत नृत्य कविताएं समाज के कार्य वगैरह वगैरह इससे निशा के दोस्त तारीफ करने लगे। सभी उसे पहचानने लगे जो नहीं पहचानते थे दूर दराज से वे भी निशा को पहचानने लगे।

निशा के कार्यकलाप हमेशा सोशल मीडिया पर छाए रहते निशा काफी खुश थी कि उसे उसे एक ऐसा मंच मिला जिससे वह अपने को खुश रख सके इन दोस्तों में एक शख्स ऐसा भी था जो निशा के हर क्रियाकलापों को लाइक करता और तारीफ के दो शब्द कहता निशा हमेशा धन्यवाद कहकर अपने फर्ज को पूरा करती। इस तरह एक साल बीत गए थे अचानक एक दिन निशा के पास एक फोन आता है वह कहता है की मैडम मैं आपसे बहुत प्रभावित हूं मैं आपके सारे क्रियाकलापों को हमेशा देखता रहता हूं मैं चाहता हूँ की कुछ गरीब बच्चों को आपके द्वारा मदद की जाए मुझे आप पर बहुत भरोसा है निशा कुछ बोलती इससे पहले ही वह पार्क में आने का निमंत्रण दे दिया। बहुत सोच विचार कर निशा पार्क में जाना तय किया। सुबह के 12:00 बज रहे थे निशा पार्क में एक कोने में खड़ी हो गई और इंतजार करने लगी उसकी सहेली भी दूर खड़ी मुस्कुरा रही थी क्या एक अजनबी की बातों में आकर निशा बेवकूफ बन रही है खैर अचानक निशा के सामने एक शख्स आ खड़ा हुआ हँसता मुस्कुराता चेहरा उसने निशा को हाथ जोड़कर नमस्ते किया अपना नाम ना बताते हुए उसने कहा मैं आपको पहचान गया लेकिन आप मुझे नहीं पहचानती हैं चुकी मैं डीपी में अपना फोटो नहीं लगाता हूं । फिर उसने एक लिफाफा निशा के हाथों में पकड़ा दिया निशा कुछ बोलती इससे पहले ही वह शख्स दूर जा चुका था निशा उसे दूर जाते हुए देखती रही निशा की सहेली दौड़ कर निशा के पास आई और लिफाफा हाथ से छीन कर उसे खोला देखा दो हज़ार के पाँच नोट झांक रहे थे। एक पर्ची पर गरीब बच्चों के अनाथालय का पता था निशा और उसकी सहेली पार्क में बहुत देर तक निःशब्द ठगी सी खड़ी रह गई।


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