केमिस्ट वाला
केमिस्ट वाला
आकाश रोज की तरह अपनी दुकान खोल कर अपने छोटे से मंदिर की पूजा कर ग्राहकों का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद बिट्टू दौड़ता हुआ आया और कहने लगा अंकल जी नानी की तबीयत फिर से खराब हो गई है दवा दे दो। आकाश उसे प्यार से चपत लगाते हुए दवाई की शीशी बिट्टू को दे दिया यह काम वह सालों से कर रहा था उसे पता था कि नानी को कौन सी दवाई जरूरी होती है आकाश बिट्टू को जाते हुए देखता रहा और सोचता रहा कि ऐसा भी एक दिन उसके लिए बहुत भारी गुजरा था।
हर समय की तरह बिट्टू उस दिन भी दवाई लेने दुकान पर आया था, हल्की बारिश हो रही थी आकाश उस दिन दुकान में अपने दोस्त के साथ शतरंज खेल रहा था दुकान उस समय बिल्कुल खाली थी, खेल में वह इतना मगन था की हमेशा की तरह रखी हुई एक ही जगह पर दवाई की शीशी बिना पढ़े बिट्टू को दे दी और खेल में मगन हो गया। जब खेल खत्म हुआ दुकान बढ़ाने लगा अचानक उसकी नजर रैक पर पड़ी तो देखा दवाई की शीशी तो थी लेकिन बगल में तेजाब की शीशी नहीं थी उसे काटो तो खून जमीन पर धमम से बैठ गया। अभी होश ही संभाल रहा था कि बिट्टू दौड़ता हुआ आया और आकाश से कहने लगा अंकल अंकल आपने जो वह शीशी दी थी वह बारिश में मैं फिसल कर गिर पड़ा और दवाई की शीशी टूट गई आकाश को मानो जान में जान आ गई।
वह पसीने पोंछते हुए कंपकंपाते हाथों से दवाई की शीशी अच्छी तरह से पढ़ कर बिट्टू के हाथ में दे दी और कहा इस बार नहीं गिराना संभल कर जाना बिट्टू सर हिलाता हुआ वहां से जा रहा था आकाश बुत बनकर उसे जाते हुए देखता रहा ।
