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Prafulla Kumar Tripathi

Action Fantasy Inspirational

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Prafulla Kumar Tripathi

Action Fantasy Inspirational

उजड़ा हुआ दयार ..कहानी श्रृंखला (9)

उजड़ा हुआ दयार ..कहानी श्रृंखला (9)

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" किसी स्त्री में पुरुष का होना आवश्यक नहीं लेकिन पुरुष में स्त्री के होने से पुरुष के सम्पूर्ण व्यक्तित्व में चार चाँद लग जाते हैं ...."

यूनिवर्सिटी में व्याख्यान चल रहा था और मीरा का मन समीर की विदेश यात्रा में लगा हुआ था। उसे यह सोच कर मजा आ रहा था कि अब वे मेरा मोल समझ रहे होंगे जब शर्ट मिल रही होगी तो मैचिंग पैंट नहीं और पैंट मिल रही होगी तो शर्ट नहीं .......। मीरा की बी.एड.क्लासेज शुरू हो चली थीं और उन दिनों पढाई कम स्टूडेंट यूनियन की स्ट्राइक ज्यादा हुआ करती थी। एक ही साल का कोर्स था और सबसे मजेदार बात यह थी कि एक मिस्टर श्रीवास्तव उसके सहपाठी के रूप में ऐसे व्यक्ति मिल गए थे जो उनकी हर तरह से मदद करने लगे थे। हालांकि वे शादीशुदा और किसी छोटी नौकरी में थे लेकिन उनका सहयोगी रूप मीरा को उनका सानिध्य देने को विवश कर दिया था। पुरुष के कई चेहरे होते हैं और नारी के भी। नारी अपना काम कराने के लिए अगर उतारू हो जाये तो ब्रह्मा भी हथियार डाल देंगे अक्सर लोगों की यही सोच उन दिनों थी। मीरा अब साधिकार श्रीवास्तव जी की सहायता ले रही थी।

उधर समीर अमेरिका में मिसेज पुष्पा के साथ मजे में अपनी दिनचर्या चला रहा था। वीक डेज़ में वे किसी न किसी समुद्री तट पर जाया करते थे। और दिनों में अगर ऑफिस के काम से छुट्टी मिल गई तो बार-क्लब जाते। भावनात्मक रूप से और अपने मांसल शरीर से पुष्पा वह सब कुछ समीर को दे रही थी जिसकी तलाश समीर को थी। उतावलेपन के दौर में वह "आह ! कमान मीरा, यस मीरा कमान.." जाने क्या क्या बड़बड़ाता रहता था ...शायद उसकी अंतर्चेतना में उसकी पत्नी मीरा ही थी लेकिन वह संसर्ग किसी और से कर रहा था।

समीर के घरवालों की ज्यादातर खेती हल और बैल के माध्यम से हुआ करती थी। उतने उन्नत बीज और उतने उन्नत कृषि यंत्र अभी तक सुदूर गाँव में नहीं पहुंच पाए थे। इसके चलते पैदावार भी प्रभावित हुआ करती थी। गाँव में तो अब मजदूरों का भी मिलना कम होता जा रहा था। जिसे देखो लुधियाना या दिल्ली भागा जा रहा है। समीर के परदादा ने गाँव पर कोठीनुमा बड़ा घर भी बनवाया था जो अब धीरे धीरे खंडहर में तबदील होता जा रहा था। समीर को उसके पिताजी ने जब कुछ आर्थिक मदद करने कि कहा की जिससे गाँव की खेती को मॉडर्न किया जा सके तो वह सहर्ष राजी हो गया।

भानु फार्म नाम से समीर का फ़ार्म अब जाना जाने लगा था और उसके पिताजी ने कुछ और लोगों के साथ मिलकर कारपोरेट खेती करनी शुरू कर दी थी।रिलायंस से उनका करार हो गया था जितनी फसल पैदा होगी वे खरीद लिया करेंगे और वह भी आकर्षक मूल्यों पर।

(क्रमशः)



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