Prafulla Kumar Tripathi

Action Fantasy Inspirational

4.0  

Prafulla Kumar Tripathi

Action Fantasy Inspirational

उजड़ा हुआ दयार ..कहानी श्रृंखला ..(10)

उजड़ा हुआ दयार ..कहानी श्रृंखला ..(10)

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सैन फ्रांसिस्को अमेरिका के सबसे खूबसूरत शहरों में गिना जाता है। इसे सिटी बाय द बे भी कहते हैं। यह शहर अपने प्रमुख स्थलों ,सांस्कृतिक आकर्षण और अलंकृत घरों के साथ रेखांकित सड़कों के लिए मशहूर है। यह कैलीफोर्निया राज्य के अधीन है।  लगभग 11 डिग्री सेल्सियस इसका तापमान रहता है। यहाँ का गोल्डन गेट ब्रिज पूरे विश्व में मशहूर है। अल्केट्राज आइलैंड , म्यूजियम ऑफ़ माडर्न आर्ट , गोल्डन गेट पार्क ,विज्ञान संग्रहालय ,आदि जगहों पर पर्यटकों की भीड़ रहा करती है।  अँगरेज़ कवि जोर्ज स्टर्लिंग ने इसके बारे में कहा था - " प्यार का शांत ग्रे शहर। "यहाँ के होटल और क्लब आलीशान हैं। ओलम्पिक क्लब, बोहेमेनियम क्लब और पैसफिक यूनियन क्लब तो मानो रात में सोते ही नहीं हैं। समीर और पुष्पा का वीकेंड इन्हीं जगहों पर हिरन युगल के सामान  कुलांचे मार रहा था।

इधर नरेश श्रीवास्तव और मीरा एक दूसरे के निकट आने के लिए बेताब थे। यूनिवर्सिटी की मेल मुलाकातों से पेट नहीं भर रहा था इसलिए शर के बाज़ारों और माल्स में वे घूमते थे। समाज में अब युवा लड़के या लड़कियों के मेलजोल पर लगा प्रतिबन्ध ढीला पड़ता जा रहा था। हाँ कभी - कभार बजरंग दल जैसे संगठन अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए पार्कों और बाज़ारों में हुडदंगई किया करते थे।

मीरा एक तीर से दो निशाने लगाने में पारंगत थी। उसे पुरुष साहचर्य का भी कमोबेस सुख मिल रहा था और बी.एड की पढ़ाई में पूरा योगदान भी बात बात में मीरा को पता चल गया था कि। नरेश की पत्नी अनपढ़ और गंवार थी , बचपन में ही उनके गले में बाँध दी गई थी इसलिए वे उसका किसी तरह निर्वाह कर रहे थे।

युवाओं में उनके व्यक्तित्व में खूब परिवर्तन आ चुके थे। लड़का हो या लड़की तकनीकी सहयोग से एक से अधिक कार्य क्षेत्रों में बखूबी काम करने लगे थे। वर्किंग वूमेन अब पहले जैसी नहीं रह गई थीं। उनके हाथ में आधुनिक फोन, महंगे उपकरण ,नई से नई तकनालाजी थी।

यह दौर लम्बे दौर तक चलता रहा और शायद आगे भी चलता रहेगा। लेकिन जो पीछे छूटता जा रहा है उसकी भला किसी को चिंता थी ?क्या पारिवारिक संस्कार ,व्यवहार ,मान मर्यादाओं का पालन हो रहा था ? आधुनिक बनने के चक्कर में क्या नैतिकता की आबरू बच पाई ?नहीं ..कतई नहीं। और सेक्स ?..सेक्स तो अब आम बात हो चली थी। औरतों के पास वे सारे साधन आ चुके थे जिससे वे गर्भ धारण से बच जाएँ। ...और अगर किसी धोखे में कुछ गड़बड़ हो भी गया तो एबार्शन भी तो अब बाएं हाथ का खेल हो चला था !

अब मिसेज अग्रवाल को ही देख लीजिए। युवावस्था से जो आलतू फ़ालतू खान पान की लत पड गई वह आज तक नहीं छूटी। उनके घर में क्या क्या नहीं है। आरामतलबी के सभी साधन। फास्ट फूड अब आपके घर तक एक फोन काल पर पहुँचाने लगा था। जोमैटो जिंदाबाद !..लेकिन उनका हश्र यह है कि फूल कर कुप्पा हो गई हैं। उनका ही नहीं आगे चलकर यह हर उन लोगों का हश्र होना है जो फास्ट फूड और ड्रिंक का सेवन कर रहे हैं।


(क्रमशः)


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