उदय भाग १९
उदय भाग १९
सुबह जब उसकी आँख खुली तो सूरज आसमान में चढ़ चुका था। वह चारपाई में बैठे हुए सोचने लगा की कैसा विचित्र स्वप्न देखा वह किसी और दुनिया में पहुंच गया था। बहार बारिश थम चुकी थी। उतने में रामा कमरे में आया और पूछा क्या हुआ नटु इतनी देर कैसे हो गई उठने में तबियत ठीक नहीं है क्या ? और ये तुम्हारे हाथो को क्या हुआ है सूजे हुए लग रहे है। नटु का ध्यान अपनी बाजु पर गया तो उसे एहसास हुआ चौथे परिमाण में गया था वह स्वप्न नहीं है उसने रामा से कहा लगता है नींद में किसी कीड़े ने काट लिया है उसने तुरंत अपने शरीर पर कुरता डाल लिया और कहा ठीक है मैं तैयार हो जाता हु। दोपहर तक उसने खेत में काम किया और चौथे परिमाण में हुई घटना के बारे में सोच रहा था और मन ही मन है दिया की एक रात में चौथे परिमाण में ढाई साल बिताके आ रहा है। जब वह और रामा खाना खा रहे थे तो तो रामा ने बताया की हरिकाका का बेटा रोनक आ रहा है दो दिन बाद। एक पल के लिए वह चौक गया उसकी परीक्षा की घडी निकट आ रही है। क्या सही में उसके पास रावण का वह हथियार होगा ? क्या मैं उससे वह हथियार ले पाउँगा ? थोड़ी देर के लिए वह सकते में आ गया लेकिन फिर उसने ली हुई तालीम याद आयी उसने एक दीर्घ श्वास लिया और खुद को नियंत्रित किया और सोचने लगा की उसके आने के बाद देखूंगा क्या करना है। रामा ने उसकी तरफ देखते हुए कहा क्या हुआ भाई सुबह से तुम्हारी तबियत कुछ ठीक नहीं दिखाई दे रही है डॉक्टर के पास जाना है क्या ?
उदय ने कहा के ऐसा कुछ नहीं मैं तो यह सोच रहा था की कितना बड़ा आदमी होगा यह रोनक भाई पता नहीं मैं उससे बात भी कर पाउँगा की नहीं ? रामा ने कहा की तुम सोच रहे हो वैसा कुछ भी नहीं है एक दम हसमुख इंसान है रोनक बाबू जरा भी घमंड नहीं एक बार तो मेरे साथ बैठकर बीड़ी भी पी थी हर बार आते है तो मेरे बेटे के लिए कुछ- कुछ लेके आते हैं। अगर हरिकाका ने उन्हें तुम्हारे बारे बताया होगा तो तुम्हारे लिए भी कुछ लेके आएंगे।
खाना खाने के बाद दोनों फिर से काम में लग गए फिर शाम को रामा चला या तो उदय अपने कमरे में आया और फिर अपनी योगाभ्यास में लगा गया।फिर उसने योग के चारो प्रकार हठयोग , राजयोग मंत्रयोग और लययोग क्रमबद्ध तरीके से दोहराये जो की किसी महायोगी के लिए भी करना कठिन था फिर एक खाली खेत में लाठिड़ाव का अभ्यास किया फिर जब अँधेरा गहरा हो गया तो कमरे में आया और खाना खाकर सो गया। दूसरा दिन किसी उल्लेखनीय घटना के बगैर ख़त्म हुआ अब वह दिन उगा जब रोनक आने वाला था। वह सोचने लगा की इतने साल बाद रोनक मुझे पहचानेगा क्या और मुझे पहचानने के बाद सब को बताएगा या मेरी पहचान गुप्त रखेगा ?
तीसरे दिन खेत में कुछ काम नहीं था तो उदय रामा के साथ गांव में गया था तो एक अजीब घटना हुई। बारिश की वजह से भरे हुए तालाब में कही से एक मगर आ गया और कपड़े धोती हुई लड़की का पाँव पकड़ लिया और पानी में खींचा उस वक़्त उदय और रामा तालाब के पास वाले टीले पर बैठ हुए थे रामा डर के मरे अपनी जगह पर स्थिर हो गया और उदय ने दौड़ कर तालाब में छलांग लगा दी और मगर के पास पहुंच गया। उदय ने आसानी से मगर का मुँह खोल दिया और लड़की का पाँव निकल लिया और उदय ने हलके से एक मुक्का मगर के सर पे जड़ दिया लेकिन वह मगर पर भारी पड़ा। मगर को समझ में आ गया की यह कोई ताकतवर इंसान है इसलिए वह से खिसक लिया। तब तक रामा दौड़कर तालाब के किनारे आ गया था। उदय के नसीब से रामा ने या उस लड़की ने मगर को मुक्का मरनेवाला या मगर के भागनेवाला दृश्य देखा नहीं था उन्हें लगा की की मगर ऐसे ही निकल गया।
बाहर आने के बाद उदय ने ऐसा नाटक किया मनो बहुत थक गया हो और थोड़ा बेहोश होने का नाटक किया फिर जब उसके चेहरे पर पानी के कुछ छींटे पड़े तो जागने का नाटक किया और रामा से पूछा की क्या हुआ था रामा ? रामा के चेहरे पर गहन आश्चर्य के भाव थे उसने कहा अरे नटु तुमने इस लड़की को मगर से बचाया है क्या तुम्हे याद नहीं।
उदय ने कहा मुझे सिर्फ इतना याद है की मैंने मगर को देखा लेकिन बाद में कुछ याद नहीं।
रामा ने कहा तो फिर जरूर कोई देवी ने तुम्हरे शरीर में प्रवेश किया होगा नहीं तुम और मगर से लड़ोगे ? उदय ने रहत की सांस ली उसने कहा हा क्योकि मुझे याद नहीं की क्या हुआ मुझे तो मगर देखने के बाद अभी होश आया है।
दूसरे दिन पुरे गांव में यही चर्चा थी की नटु को कोई देवी प्रसन्न है वो बहुत बड़ा देवीभक्त है।
हरिकाका उससे मिलने आये और बोले की कल मेरा बेटा रोनक और उसकी पत्नी और साथ में नैना और देवांशीबहन भी आ रही है तुम रामा के साथ सुबह घर पे आ जाना घर पर काफी काम रहेगा।
देवांशी का नाम सुनकर उदय का दिल धड़कना चूक गया।