उदय भाग ३६ अंतिम भाग

उदय भाग ३६ अंतिम भाग

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साल ; ४०१८

शहर ; ग्लोक्सिआ

देश ; usu ( युकु सरंज वॉल यूरोप )

 इस समय दुनिया की आबादी ; ३५ करोड़

देश ; ८

कुल भाषाए ; १५

ग्लोक्सिआ शहर के मध्य में एक बंगलो में एक दम्पति कुर्सियों में बैठा हूँआ है, उनके पास दो बच्चे बैठे हूँए है। पुरुष के हाथ में डायरी थी जिसमे से वो बच्चो को कहानी पढ़कर सुना रहा था। लड़के का नाम जिम और लड़की का नाम जिब्रा था।

जिम ने उस पुरुष को लासिया भाषा में पूछा " रूक्सम उसके बाद क्या हूँआ उदय और देवांशी वापस तीसरे परिमाण में आये या फिर उनको पाचवे परिमाण में रहना पड़ा। और महाशक्ति ने उनसे क्या कहा ? और फिर डायरी में देखते हूँए पूछा और ये भाषा कौनसी है ? रूक्सम ने जवाब दिया ये एक प्राचीन भाषा है हिंदी जिसे हजारो साल पहले इस्तेमाल किया जाता था। ये मुझे खुदाई के वक़्त मिली लगता है किसी तरह की फैंटसी स्टोरी है। जिम ने कहा ठीक है आगे क्या लिखा है डायरी में ?

रूक्सम ने आगे पढ़ना शुरू किया उदय और देवांशी एक खंड में गए जहा एक ज्योत जल रही थी उन्होंने ज्योत को प्रणाम किया और आव्हान मंत्र पढ़ना शुरू किया। मंत्र पूरा होते ही ज्योत में से आवाज आयी स्वागत है उदयशंकरनाथ।

उदय ने कहा मैं उदय ही ठीक हूँ मैं उदयशंकरनाथ नहीं बनाना चाहता। मैं आपसे विदा लेने आया हूँ, मैं तीसरे परिमाण में जाकर देवांशी के साथ शादी करके अपना घर बसना चाहता हूँ। महाशक्ति ने कहा ठीक है लेकिन अगर तीसरे परिमाण में चले गए तो तुम्हारे उम्र फिर तीसरे परिमाण जितनी ही रहेगी तुम दिव्यपुरुष जितना लम्बा नहीं जी पाओगे और शक्तिया भी चली जाएँगी। उदय ने कहा ठीक है मैं आम जिंदगी जीना चाहता हूँ।

महाशक्ति से विदा लेकर वे दोनों गांव में हरिकाका के पास पहूँंचे और कहा की हम दोनों असीमानंद के साथ हिमालय गए थे वह उन्होंने समाधी ले ली और हमें गांव वापस आने कहा। हरिकाका ने कहा ठीक है फिर कल से काम पर आ जाना। देवांशी ने हरिकाका से कहा की मैं नटु से शादी करना चाहती हूँ। हरिकाका ने कहा अगर तुम नटु से शादी करना चाहती हो तो भभूतनाथ के आश्रम वाला खेत मैं नटु की नाम करता हूँ और हां मेरी बाकि जमीन पे भी खेती वही करेगा। फिर उदय और देवांशी की शादी बड़ी धूमधाम से हूँई।

इतना कहकर रूक्सम ने डायरी बंद की और कहा बस इतना ही लिखा है डायरी में, और अब तुम दोनों घर जाओ तुम्हारे माता पिता तुम्हारा इंतजार कर रहे होंगे। जिम ने कहा अभी घर पे कोई नहीं होगा मेरे मातापिता ब्लूम ( मंदिर ) में गए होंगे वह एक संत आनेवाले है प्रवचन के लिए, आप दोनों नहीं जा रहे ? रूक्सम ने कहा हम थोड़ा लेट जायेंगे। फिर जिम और जिब्रा अपने घर चले गए।

रूक्सम और नीला एक दूसरे की तरफ देख रहे थे फिर नीला बोली की आखरी पन्ने पर तो ऐसा कुछ नहीं लिखा था। रूक्सम ने कहा ठीक है वो पन्ना मैं फिर से पढता हूँ।

उदय और देवांशी ज्योत के पास गए, फिर महाशक्ति का आव्हान किया। फिर उदय ने महाशक्ति से पूछा की देवांशी ने जब मेरा हाथ पकड़ा फिर क्या हूँआ था जिससे मैं उदयशंकरनाथ बन गया ? महाशक्ति ने जवाब दिया की वो तुम्हारी चेतना है उसके बगैर तुम अधूरे थे। जब उसने तुम्हारा हाथ पकड़ा तो तुम पूर्ण हो गए । असीमानंद को यह बात मालूम नहीं थी इसलिए अनजाने में ही वो देवांशी के मन में तुम्हारे लिए प्रेम जगा बैठा। देवांशी तुम्हारा ही भाग है इसलिए अब वो भी दिव्यस्त्री बन गयी है अब वो तुम्हारे जितना ही जियेगी और तुम दोनों का अंत एक साथ होगा। लेकिन इस आशीर्वाद के साथ एक श्राप भी जुड़ा हूँआ है तुम दोनों पतिपत्नी तो बन जाओगे लेकिन माता-पिता नहीं बन पाओगे।अब तुम दोनों तीसरे परिमाण में जाओ और वह रहकर पाप पुण्य का संतुलन बनाये रखने में अपना योगदान दो।मेरा आदेश तुम लोगो तक भभूतनाथ खुद या कटंकनाथ द्वारा पहुँचायेंगे। देवांशी याद रखना अब तुमने असीमनाथ की जगह ली है लेकिन उसकी तरह भ्रष्ट मत हो जाना।याद रहे तुम दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। इतना पढ़कर रूक्सम ने डायरी बंद की।

डायरी बंद करके उसने पास रखा हूँ। आ रिमोट उठाया और एक दीवार की तरफ करके दबाया जिससे दिवार रोशन हो गयी और उसमे चित्र देखने लगे। उसने जोर से कहा usu के समाचार जिससे usu के समाचार शुरू हो गए। पांच जगह बम विस्फोट के समाचार थे। समाचार में बताया गया की इस विस्फोट की जिम्मेदारी रुकसोद नाम के ग्रुप ने ली है उनका कहना है की हमारे धर्म रुकजार में न माननेवालो को जीने का अधिकार नहीं। फिर आगे दो जगह पर बर्फ़बारी के समाचार शुरू हूँए।

रूक्सम समाचार देख ही रहा था की उसके हाथ में से बीप बीप के आवाज आयी। उसने अपनी तीसरी ऊँगली हथेली के मध्य में दवाई तो हथेली पर सन्देश लिखा हूँआ आया रुकसोद नाम की ग्रुप का नेता पानाज़ार कालीशक्ति के अधीन होकर काम कर रहा है वो अभी ग्लोक्सिआ शहर के बहार जो पहाड़ी उसमे बैठा है उसे जाकर ख़तम करो ---- बी. बी . एन.

रूक्सम ने कहा चलो भभूतनाथ का सन्देश आ गया है। टीवी बंद करके छाता लेकर रूक्सम और नीला घर से बाहर निकले।

समाप्त


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