उड़ान

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"नौकरी तो गई भैया, अब क्या करोगे?", मोहन ने अपने बड़े भाई दीपक से पूछा।

"एक ऑटो के मालिक से बात हुई है ५०० रोज के किराये पर देने को तैयार है, तेल और दूसरे खर्च निकाल कर जो बचेगा वही आमदनी होगी।" -दीपक ने जवाब दिया।

"लेकिन एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर ये काम करेगा?" -मोहन ने आश्चर्य के साथ पूछा।

"देख मोहन ऑटोमोबाइल सैक्टर में जॉब मिलना मुश्किल है इस मंदी के दौर में, हमारे छोटे शहर में मुझे किसी ऑटोमोबाइल वर्कशाप में मेकैनिक तक का जॉब नहीं मिल पा रहा है। अभी ये ऑटो वाला काम कर लेता हूँ, पास में कुछ पैसा है उससे कुछ और भी करने का सोचा है। तू परेशान न हो तेरी और अदिति की पढाई में कोई दिक्कत नहीं आएगी, माँ, बाबूजी को भी कोई परेशानी नहीं होने दूंगा।" -दीपक ने मुस्कुरा कर कहा।

"आप बड़े हो भैया जो उचित लगे वो करो।" -कह कर मोहन चला गया।

शहर के ऑटोमोबाइल सर्विस सेक्टर को समझने में दीपक को छह महीने का समय लगा। ज्यादातर ऑटोमोबाइल सर्विस वर्कशाप काम के लोड से हमेशा पैक रहती थी और खराब सर्विस से असंतुष्ट ग्राहकों की कमी नहीं थी। छोटे मेकैनिक कार के मालिक की शक्ल देख कर बिल बना रहे थे। उसे अब इस अव्यवस्थित सेक्टर में अपने लिए जगह बनानी थी, अपनी क़ाबिलीयत दिखानी थी।

शहर से दूर कम दाम में वर्कशाप के लायक जगह लेकर उसने अपनी जमा पूंजी से एक वर्कशाप का निर्माण किया। एक सेकंड हैंड मध्यम आकार के पिक अप ट्रक को लेकर उसे मोबाइल वर्कशाप का रूप दिया और एक वेबसाइट बनवाकर ‘एट द स्पॉट सर्विस’ का ऑप्शन दिया। पहला आर्डर मिलने तक वो ऑटो चलाता रहा और पहला आर्डर मिलने के बाद उसे लगभग रोज ‘एट द स्पॉट सर्विस’ के आर्डर मिलने लगे। मामूली सर्विस चार्ज पर काम करने पर आर्डर्स में वृद्धि हुई और दीपक ने अपने जैसे बेरोजगार इंजीनियर्स को अपने साथ जोड़ा। एक साल गुजरते-गुजरते ‘एट द स्पॉट सर्विस’ का शहर में नाम हो चूका था। छोटी वर्कशाप अब पहले से बड़ी बन चुकी थी। एक के स्थान पर पाँच मोबाइल सर्विस वैन काम करने लगी थी।

"भैया आपकी मेहनत रंग लायी, आज सब और खुशहाली है, कितने ही बेरोजगार आपके साथ जुड़कर अपनी रोजी रोटी कमा रहे है।" -मोहन शाम के समय वर्कशाप में काम पर जुटे दीपक से बोला।

"ये तो शुरुवात है अभी इस सर्विस को और विस्तार देना है, अभी आस-पास के शहरों में ये प्रयोग करके देखेंगे। इसके लिए मैंने टीम बना ली है, अगर कामयाब रहे तो और ज्यादा विस्तार करेंगे। अभी तो ये छोटी सी उड़ान है अभी तो पूरा आसमान बाकी है। चल तू क्यों टाइम बर्बाद कर रहा है जा जाकर पढ़ाई कर।" -दीपक बोला।

"भैया मुझे भी ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग करके आपके साथ जुड़ना है।" -मोहन बोला।

"तो पढ़ और अच्छे इंजीनियरिंग कालेज में एडमिशन ले, फिर देखते है..." -कहकर दीपक अपने काम में लग गया।


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