Ashok Patel

Inspirational

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उदारता की मिशाल "आशु"

उदारता की मिशाल "आशु"

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अंशुमान जी जैसे ही एक कपड़े के मॉल में प्रवेश करते हैं,सारे सेल्समेन की नजरें उन पर टिक जाती है।सारे सेल्समेन उनको अपनी-अपनी जगह से ही अभिवादन करते हैं।अंशुमान जी अक्सर इस मॉल में कपड़े लेने के लिए आते-जाते रहते हैं,और अपनी मन-पसन्द के कपड़े बिना मोल-भाव के खरीद कर ले जाते हैं।और अंशुमान सारे सेल्समेन से कुशल-मंगल पूछते।ये बहुत खुश हो जाते।

एक दिन कपड़े खरीदने के सिलसिले में अंशुमान पुनःमॉल पहुचते हैं,सभी सेल्समेन शिष्टाचार करते हैं।तभी एक सेल्समेन नयन उनके करीब आकर उनसे अपनी दुख भरी दास्तान सुनाकर कुछ रुपये सहयोग करने की बात करता है।और कहता है-"साहब कुछ महीनों से हमारा सेठ हम लोगों को पगार नही दिया है,इस कारण मैं आपसे सहयोग की प्रार्थना कर रहा हूँ।" यदि सहयोग मिल जाता तो बड़ी कृपा होगी। इन सारे दृश्यों को दुकान का मालिक सेठ देख रहा था।यह सेठ बाहर से खुश तो लगता था पर मन ही मन अंशुमान से कुढ़ता रहता।

आखिर में वह सेठ अंशुमान के करीब आकर पूछ ही लिया-

"साहब जब भी आप मेरे मॉल में आते हैं सारे सेल्समेन बहुत प्रसन्न नजर आते हैं, आपको अभिवादन करते हैं, पर मैं जब भी आता हूं,मुझसे न कोई अभिवादन करता है और न ही कोई मुझसे परसन्न होता है।जबकि मैं मालिक हूँ।

"आखिर इसका क्या कारण है ?"

जबकि ओ सब मेरे यहाँ नॉकरी करते हैं मेरे कारण उनकी रोजी-रोटी चलती है।"

असल मे वह मॉल का मालिक अपने सेल्समेन से उदारता से कभी पेश नही आता था।हमेशा उन लोगों से रूखा व्यवहार करता था,समय पर पगार नही देता था,इसीलिए ये सेल्समेन अपने मालिक से हमेशा रुष्ट रहते।

उस मॉल के मालिक के प्रश्न करने पर अंशुमान कहता है-"

आपके मॉल का असली मालिक तो आपके सेल्समेन ही हैं,उन्ही के बदौलत आपका मॉल चल रहा है।कामगारों के बिना यह संसार का संचालन और विकास रुक जाएगा।वो खूब काम करते हैं,उनके ही कारण तो हम अपना जीवन सुख शांति से बिता पाते हैं।वो खूब काम करते हैं,पसीना बहाते हैं,उनसे हम उदारता से पेश आये।उनसे हम मित्रवत व्यवहार करें,उनके सुख- दुख का ख्याल करते हुए समय पर उन्हें पगार देवे।और मैं आपकी तरह पगार तो नही दे सकता,पर हाँ!इतना जरूर है कि मैं उनके सुख-दुख में शामिल होने की कोशिश जरूर करता हुँ।उनके कुशल-क्षेम पूछता हुँ जब भी ओ सहयोग की अपेक्षा करते हैं,मैं ईश्वर का आशीर्वाद समझ रंच मात्र सहयोग कर देता हूँ।बस यही कारण है कि ओ मेरी उदारता से परसन्न रहते हैं।हम किसी के दिलों में राज करें न कि उसके तन में।

इतना सुनने के बाद मॉल का मालिक सन्न सा रह जाता है।और फिर उस मॉल के मालिक ने अंसुमान से कहा कि-

"साहब जी तुमने तो मेरी आँखें खोल दी।अब मैं समझ गया कि मालिक और नॉकर का सम्बंध कैसा होना चाहिए।

 आपको धन्यवाद ! धन्यवाद !

और फिर अंशुमान और मालिक सहित सभी सेल्समेन परसन्न हो जाते हैं और मन के सारे मैंल धूल जाते हैं।


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