Ashok Patel

Inspirational

4.5  

Ashok Patel

Inspirational

"सहारा"

"सहारा"

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शरद ऋतु की कड़कड़ाती जाड़,कोहरे में लिपटी ओ सर्द साँझ,हाड़ को कँपा देने वाली वो ठरती हवाएँ,लहरों से मचलती वो सरोवर का किनारा।

मुझे आज भी याद है, जिसको याद करके मेरा तन मन सिहर सा जाता है। जब एक बुजुर्ग बेसहारा आँखों से रोशन हीन जब वह सरोवर में हाथ और पद प्रक्षालन हेतु लड़खड़ाते हुए किनारे पर उतरता है। जैसे ही वह अपना सहारा लाठी को छोड़ अपने हस्त को ठहरते जल में डाला, उसका एक मात्र सहारा लाठी छिटक कर गहरे सरोवर के लहरों में गोता लगाती दूर चली जाती है।

वह बुजुर्ग आँखों से अंधा लाठी को पाने अपने आस-पास को खूब टटोला,पर उसे वह लाठी उसे नही मिली। क्योकि वह लाठी तैरती हुई लहरों में दूर जा चुकी थी।

वह बुजुर्ग बेसहारा हो गया था,आने जाने वालों से खूब गिड़गिड़ाया पर उसकी किसी ने नही सुनी।

पास में उसके दो तीन मनचले छोकरे सहयोग करने के बजाए, उसका मख़ौल उड़ाने लगे।

और कहने लगे-

"अंधा है अंधा !"

"अब देखते हैं ये कैसे वापस अपने घर जाएगा। "

और खूब ठहाका लगाने लगे। "ह:ह:!

इस तरह से वह बुजुर्ग आस हीन होकर हाथ मलता और काँपता हुआ,दुखी होकर वहीं पर बैठ गया।

और फिर ऊपर वाले को याद करते हुए कहने लगा-

"हे भगवान!अब आप ही सहारा हो। "

अब आप ही मुझे सहारा दे सकते हो। "

वह बुजुर्ग ऐसा सोंच ही रहा था तभी मैं अचानक उस सरोवर के किनारे जा पहुँचा। मैं उस बुजुर्ग को देखकर झिझक गया।

और फिर पूछने लगा कि आप कौन हो बाबा ?

तब वह अपनी वस्तुस्थिति बेबसी और उपहास से अवगत कराता है।

तभी अचानक मेरी नजर में दूर लहरों में तैरती उसकी लाठी पर नजर पड़ जाती है। मुझे समंझ में आ गया। और मैने बिना देरी किए कड़कड़ाती ठंड की परवाह किये बिना गहरे सरोवर में छलांग लगा दी। और कुछ ही पल में मैंने उस लाठी को लाकर उस बुजुर्ग को दे दी। लाठी को पाकर वह बुजुर्ग फुला नही समाया। उसकी आँखों मे मानो रोशनी की चमक आ गई हो।

फिर वह बुजुर्ग मुझे दिल से आशीष देता है-

"जीते रहो बेटा!जीते रहो!!"

पास में खड़े यह सब नजारों को वह छोकरे दूर से देख रहे थे। फिर मैं उनके पास जाकर उनको खूब फटकारा!मैंने कहा-

"क्या यही मानवता है ?"

एक बेसहारा बुजुर्ग की सहायता करने के बजाय उसका उपहास उड़ा रहे हो,तुम्हारी सारी संवेदनाएँ मर चुकी है। तुम लोगों को शर्म आनी चाहिए। यह बुजुर्ग अंधा नही है तुम लोग ही अंधे हो गए हो। जिसकी बेबसी तुमको दिख नही रही। उन लड़कों का सारा छिछोडा पन दूर हो जाता है। और उन्हें अपनी गलतियों का अहसास हो जाता है। और फिर क्या था वो छोकरे शर्मिंदा होकर अपने किये का माफी मांग रहे थे।


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