तवायफ
तवायफ
कल वह तवायफ बहुत नाची बहुत नाची,
बहुत दिनों के बाद कोठे पर कोई आया था, अरे वही जमींदार आया था जिसने उसको जीते जी मार दिया था और यह तक पहुँचाया था, बड़े ही शरीफ घर की बेटी थी पर हालत कुछ ऐसे हो गये कि गरीब ना होते हुये भुखे पेट मरने की नौबत आ गयी,
तब तक युवा जमीमदार बाबू का दिल आ गया और नेहा भी कोई कंधा तलाश रही थी और ऐसे समय जमींदार बाबू ने संभाला और वादा निभाया, बस बात यहीं हुई थी कि वह तहजीब या कोटे की रिवायत तो सीखेगी पर जमींदार बाबू के सामने ही नाचेगी और जमींदार बाबू भी कभी उसके साथ सोयेंगे नहीं।
दोनों ने वादा निभाया लेकिन समाज की नजर में वह तवायफ थी। कैसी रिवायतें कैसे कैसे कायदें। 25 साल जमीदार, साहब आते पर उस दिन जब बहुत दिन बाद नेहा ने मेकअप का पिटारा और तैयार हुई और जब नाची जमींदार साहब जाते जाते बोल गये कि नेहा कोई लड़की तलाश करो।
तुम में दम नहीं है, नेहा का सिर घूम गया और माथा पकड़ कर और मन हुआ कह दे कि आप भी तो उम्रदार हो गये पर नहीं कह पायी।