तुम सरकार से कम थोड़े ही हो...
तुम सरकार से कम थोड़े ही हो...


अरे आप यहां छत पर अकेले घूम रहे हो.. "
हम्म .."
मुझे बुला लेते.. मैं तो ऐसे ही आ गयी थी, काम खत्म करके.... "
हम्म.. "
क्या हुआ.. इतने बेचैन और अनमने से क्यूँ हो..?
क्या बताऊं यार.. ये पान मसाला खाने की ऐसी लत लगी है कि, आज तो रहा ही नहीं जा रहा और इधर सरकार ने सब बंद कर रखा है, जरूरी समान के लिए तो दुकानें खुली हैं लेकिन गुटखा और पान मसाला पर तो प्रतिबंध ही लगा दिया.. "
लो ये सौंफ खाओ जरा.. "
क्या यार.. तुम मेरी बात सुन ही नहीं रही हो.. मैं तुम्हें अपनी परेशानी बता रहा हूं और तुम.. "
अरे लो.. तो सौंफ तो चबाओ .."
लाओ.. अब चारा भी क्या.. कहते हुए, सचिन ने सौंफ मुंह में डाल ली और चबाने लगा..फिर अनु ने बोलना शुरू किया..!
देखो सरकार ने जो किया, उचित किया... ये तो तुम जानते ही हो, महामारी ही ऐसी फैला है.. कि आदमी से आदमी को खतरा.. तो फिर अलग रहने के लिए ये जरूरी ही है.. "
अरे ये सब तो मैं भी जानता हूं.. क्यों बोर कर रही हो.. "
हां.. "
तो हां, आपको तलब लग
रही हैं.. उस गंदे से पान मसाले की, जो मुझे बिलकुल पसंद नही, घंटो चबाते रहते हो.....फिर .."
"मुझे तो कभी अच्छा ना लगता था.. अच्छा हुआ जो बंद कर दिया.. "
हां.. तुम तो ऐसे ही बोलोगी.. "
हां.. ना बोलूं.. फिर.. "
तंग मत करो.. तुम, मुझे.. जाओ यहां से.. "
अच्छा चली जाऊंगी ये तो बताओ.. अब कैसा लग रहा.. "
कैसा क्या..?
क्या अभी भी कुछ चबाने का मन कर रहा है..?
हूं... नहीं .. "
मतलब... "
नहीं यार.. अब तो नहीं लग रहा.. "
तो अब तय रहा, जब भी तुम्हारा पान मसाला चबाने का मन करें तो उस वक्त, सौंफ, इलायची, लौंग, अलसी, कुछ भी चबाकर खाने वाली चीज़े मुंह में डाल लेना.. "
कुछ दिन ..में आपकी आदत छूट जायेगी.. "
हां तुम तो चाहती यही हो.. "
तुम नही चाहते..?
चाहता तो हूं.. "
"तो फिर... आज से ये तय रहा.. इन इक्कीस दिन में.. इस बुरी आदत से छुटकारा.. "
हां ..तुम क्या सरकार से कम हो.. "
और दोनों पति पत्नी हंसते हंसते छत से नीचे आ गये..।