तुम जो मिले-1
तुम जो मिले-1
Part:-1(सृस्टि राजपूत)
सृस्टि के गोर गालो पे मोती जैसे बूंदे, काजल के राह बिखरे हुए नम आँखे, छुपी होंठ जहा हमेसा से मुस्कान खिलता आया है; पर शायद आज वो छुट्टी पे है। क्या हो रहा है कुछ पता नहीं। अपने room में अकेली ही न जाने क्या सोच रही थी? राज़ (Raj) ही है ना। उसका प्यार और प्यार का नाम। सच्ची; ये प्यार भी न एक राज़ ही है_एक गहरी राज। एक जिंदगी क्या सच्चमें कम होता है इस प्यार की राज को समझने केलिए। और प्यार का नाम का मतलब_ राजवीर : कॉलेज का सबसे हैंडसम लड़का। लड़कियां तो मरती थी बस ...….....
सृस्टि राजपूत_ अपने पापा मम्मी की एक लौटी बेटी। बचपन से ही जिद्दी है। उसके पापा विजय राजपूत एक बिज़नेस मैन(business man)। मम्मी रागिनी राजपूत से arrange मैरिज होते हुए भी दोनों के बीच प्यार का एक बहुत गहरा समुन्दर है। जैसे कि ये प्यार की राज़ को कोई नही समझ पाता तो ये प्यार की गहराई को कौन नाप सकता था। विजय पैसेवाला होते हुए भी आलीशान से उन्हें बिल्कुल पंसद नही। हमेसा अपने काम का ध्यान देते और रागिनी उनका साथ।
सृस्टि भी अपने मम्मी पापा के तरहा आलीशान को पसंद नही करती थी। वो पढ़ाई को अपना जिद्द मानती थी। उसका जिद्द पूरा भी हो जाता था और धीरे धीरे उसका घमंड भी बढ़ रहा था।
हंसती थी तो इतनी प्यारी लगती थी कि कोई भी खो जाए। पर उसका आँसू best friend रोशनी के अलावा और कोई देखा ही नहीं। रागिनी भी नहीं देखी वरना इतनी प्यार बच्ची का आँसू देखे कोई भी माँ दुनिया को सर पे उठा लेती।पर आज की बात अलग है; ना उसके पास रागिनी है ना रोसनी, अकेले ही अपने रूम में रोते रोते न जाने कब उसकी आंखें लग गयी पता ही न चला।
आखिर सृस्टि क्यों रो री है, उसके जीवन मे ऐसा क्या हुआ ? पता चलेगा अगला chapter में..............

