टर्मिनेटर का आतंक
टर्मिनेटर का आतंक
दर्पण सिनेमा के सामने एक मरियल सा आदमी भागा जा रहा था और उसके पीछे पाँच-सात आदमी दौड़ रहे थे और चिल्ला रहे थे- पकड़ो-पकड़ो, जेबकतरा जेब काटकर भाग रहा है।
लेकिन जेबकतरा किसी के हाथ न आया और एक गली की दीवार कूद कर न जाने कहाँ भाग गया। जेबकतरा छगन दर्पण सिनेमा में लगी फिल्म टर्मिनेटर के मैटिनी शो की भीड़ को देख कर खुश तो बहुत हुआ था, एक टिकट खरीद कर फिल्म भी देखी थी और फिल्म खत्म होने के बाद एक मोटी महिला का पर्स भी छीन कर भाग निकला था। जब उसे पक्का यकीन हो गया कि अब उसके पीछे कोई नहीं है तो उसने पर्स खोल कर देखा। पर्स से दो सौ पचास रूपये और हजारों रूपये के मेक अप का सामान निकला जिसकी चोर बाजार में कीमत दो कोड़ी न थी। और साथ ही निकला टर्मिनेटर के हीरो अर्नोल्ड स्च्वार्जनेगर का एक फोटो जिसमे वो एक बड़ी सी गन लिए खड़ा था। जेबकतरा छगन उदास था, उसने फिल्म देखी ५०० रूपये का टिकट लेकर और पल्ले पड़े २५० रुपये।
ये तो बहुत घाटे का सौदा रहा, कहते हुए छगन देसी दारू के ठेके पर जा पहुँचा और २५० रूपये दारू और मुर्गे में उड़ाए।रात को जब वो धुत्त होकर अपने घर पहुँचा तो उसके घर में घुसते ही बिजलिया कड़कने लगी। पाँच मिनट के कड़कड़ाहट के बाद उसके घर के आँगन में धप्प की आवाज आई और बिजली और जोर से कड़की।
उसने बाहर जाकर देखा तो उसके आँगन में एक हट्टा-कट्टा नंगधड़ंग मुस्टंडा खड़ा था, बिजली की कड़कड़ाहट और प्रकाश में वो बिलकुल टर्मिनेटर फिल्म के हीरो अर्नोल्ड स्च्वार्जनेगर जिसे लग रहा था।
"क्यों बे क्या तू टर्मिनेटर है?" छगन ने नशे की पिनक में पूछा।
"हाँ मै तेरा बाप हूँ और इस दुनिया में तुझे मारने के लिए आया हूँ....." टर्मिनेटर ने अपने मजबूत पंजे से छगन की गर्दन दबोचते हुए कहा।
"क्यों......क्या बिगाड़ा है मैंने तेरा? छगन भड़कते हुए बोला।
"भड़कता है......अभी तुझे मजा चखाता हूँ........" कहकर टर्मिनेटर ने छगन को उठाकर जमीन पर पटक दिया और फिर उसे लतियाने लगा।
"मर गया मेरे बाप.......बख्स दे मुझे......" छगन रोते हुए बोला।
"चुप बे देशी दारू की बोतल के ढक्कन......अब मरने के लिए तैयार हो जा।" कहकर टर्मिनेटर ने एक डंडा उठा लिया और छगन को पीटने लगा।
"मर गया, छोड़ दे मेरे बाप; बता क्या लेगा मुझे जिन्दा छोड़ने का?" छगन ने दहाड़े मार कर रोते हुए पूछा।
"दारू मुर्गा। ......" टर्मिनेटर गुर्रा कर बोला।
"क्या.....?"
"हाँ बेटे; अब मेरे लिए दारू मुर्गे का इंतजाम कर......जब तक तू मुझे दारू मुर्गा खिलाता रहेगा तब तक तू जिंदा रहेगा, जिस दिन तूने मुझे दारू मुर्गा लाकर न दिया या तूने भागने की कोशिश की, वो दिन तेरी जिंदगी का आखिरी दिन होगा।" टर्मिनेटर ने छगन के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा।
इसके बाद छगन ने पूरे हफ्ते टर्मिनेटर को दारू मुर्गा खिलाया। उसकी जमा पूंजी अब खतम हो रही थी। उसे आश्चर्य था कि ये कैसा टर्मिनेटर है जो दारू मुर्गा खाता है? वो परेशान हाल में सड़को पर घूम रहा था; तभी उसकी निगाह एक ईश्तहार पर पड़ी जिस पर टर्मिनेटर की फोटो छपी थी। ईश्तहार में लिखा था-
"मेरा पति छंगा पहलवान को मैंने एक हफ्ते पहले एक हर्राफा औरत के साथ पार्क के तालाब में तैरते हुए पकड़ा था वो उस दिन भाग कर न जाने कहाँ चला गया है? अब मुझे उसकी तलाश है, जो शख्स मुझे उसका पता ठिकाना बताएगा उसे २५ हजार रूपये इनाम दिए जायेंगे।"
ईश्तहार को पढ़कर छगन की आँखे खुली की खुली रह गई। उसे पता लग चुका था कि उसके घर में दारू मुर्गा खाने वाला शख्स कोई टर्मिनेटर नहीं बल्कि छंगा पहलवान था जिसकी बीवी उसे ढूंढ रही थी।
छगन ने तत्काल अपने फटीचर मोबाइल से ईश्तहार दिए हुए छंगा पहलवान की बीवी का नंबर डायल करने लगा।