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राहुल अपनी किसी पैतृक जमीन के कागजात ढूँढ रहा था कि पुरानी तस्वीरों का एक छोटा सा अल्बम हाथ लग गया । उस अल्बम में उसके कॉलेज के दिनों की बहुत सी तस्वीरें लगी थी।
कालेज के दिनों में एन.सी.सी. की तरफ से जब सभी मनाली गए थे। राकेश के साथ वो अपनी यादगार तस्वीरे देख कर बेहद भावुक हो गया तुरंत अपनी पत्नी नीता को फोटो दिखाते हुए उसे बताने लगा कि कैसे बर्फ से ढके पहाड़ो पर भी वो तेजी से चढ़ने की कोशिश करता था, जब सब ठंड से कांपने लगते वो मजबूती से खड़ा रहता था जैसे ठंड उसको छू भी नही रही हो। हर कठिन परिस्थिति का सामना कर लेने के जज्बे के कारण ही शायद उस ने सेना में जाने का फैसला किया।
पर्यटकों की भीड़ में एक आदमी को अचानक से सांस लेने में तकलीफ होने लगी तब भी राकेश ने सूझ-बूझ दिखाई उसकी मदद कर उसकी जान बचाई थी। अचानक राहुल चुप हो गया और एल्बम बन्द कर उठ खड़ा हुआ तभी नीता ने सवाल किया, "अरे क्या हुआ; अब अचानक कहा चल दिये?"
"अपने शहीद मित्र राकेश के बच्चों से मिलने जा रहा हूँ; मुझे उनको एक बार फिर से अहसास दिलाना है वो अकेले नही है, मैं हर दुःख-सुख में उनके साथ हूँ। उनके पिता की जीवन यात्रा शानदार थी वो कारगिल युद्ध में देश के दुश्मनो से लड़ते हुए देश के लिए शहीद हुए ये बात शोक करने की नही बल्कि गर्व करने की है।"