टापुओं पर पिकनिक- 6
टापुओं पर पिकनिक- 6
सब ने ख़ूब ठूंस- ठूंस कर खाना खाया। खाना स्वादिष्ट तो था ही, बहुत सारा भी था। और सब कुछ बच्चों का मनपसंद।
स्कूल में रोज- रोज टिफिन ले जाने वाले बच्चे इतना तो जान ही जाते हैं कि उनके कौन से दोस्त को क्या पसंद है और समय- समय पर वो इसकी चर्चा अपनी मम्मियों से भी करते रहते हैं, जिससे मम्मियां भी अपने बच्चों के फास्ट फ्रेंड्स की पसंद अच्छी तरह जान जाती हैं।
सोने की बात करने के कारण अभी थोड़ी देर पहले मनन की मज़ाक उड़ी थी, इसलिए सोने का ज़िक्र तो अभी किसी ने नहीं किया पर डकार लेता हुआ सिद्धांत बोल पड़ा- अब हमें घर से बाहर तो कहीं जाना नहीं है तो कपड़े चेंज कर लें?
-अब बाहर कहां जाएंगे, मालूम भी है रात के पौने बारह बजे हैं। साजिद ने कहा।
बच्चे रात को पहनने के लिए एक - एक टी शर्ट और शॉर्ट्स अपने साथ लेकर आए थे। अगले दिन सुबह तो छुट्टी ही थी तो सीधे अपने- अपने घर ही जाना था। सुबह देर तक सोने के आदी बच्चे नहाने- धोने के लिए भी साथ में और कोई सामान नहीं लाए थे क्योंकि ड्राइवर अंकल सुबह आकर सबको अपने - अपने घर छोड़ ही आने वाले थे।
लिविंग रूम के एक किनारे तरतीब से रखी हुई शू रैक के बावजूद बच्चों के जूते आधे से ज्यादा कमरे को घेरते हुए फैले- बिखरे हुए पड़े थे। साजिद के तो सॉक्स तक कमरे के बीचों- बीच पड़े लहरा रहे थे।
आर्यन और आगोश को कपड़े बदलते देख मनन भी शर्ट उतारने लगा। सिद्धांत ने तो पैंट खोल कर दीवार पर अलमारी के दरवाजे के कुंदे में टांग भी दी थी।
साजिद शॉर्ट्स हाथ में लेकर इधर- उधर देख रहा था मानो कुछ ढूंढ रहा हो। शायद वो पैंट खोल कर शॉर्ट्स पहनने के लिए कोई टॉवल लपेटने के लिए ढूंढ रहा था।
सिद्धांत ने उसका संकोच भांप लिया, बोला- क्या देख रहा है? चड्डी नहीं पहनी क्या? फिर शरमा क्यों रहा है?
साजिद हंस पड़ा पर कुछ नहीं बोला। वह शॉर्ट्स हाथ में लेकर पास वाले दूसरे कमरे की ओर जाने लगा ताकि बदल कर आ सके।
आगोश और आर्यन भी हंसते हुए उसे देखते रह गए।
इस कमरे में एक बड़ा सा डबलबेड पड़ा था। कपड़े बदल कर सब उसी पर बैठने लगे।
मनन ने एक बार फिर धीरे से पूछा- हम सब इस पर कैसे सो पाएंगे?
सिद्धांत ने हंसते हुए एक धौल उसकी पीठ पर जमाया और बोला- चिंता मत कर, इन सब को नीचे फर्श पर गिरा देंगे। यहां बेड पर तो केवल मैं और तू सोएंगे।
आगोश ने कहा- तुझे सोने की इतनी जल्दी क्या पड़ी है? घर पर रोज कितने बजे सोता है?
बेचारे को इसकी मम्मी रात को नौ बजे ही सुला देती होगी। आर्यन बोला।
- फ़िर तू होमवर्क कब करता है रे? आगोश ने पूछा।
- होमवर्क करता ही कहां है, तभी तो रोज डांट खाता है स्कूल में। आर्यन कहने लगा।
सब हंसने लगे।
सिद्धांत बोल पड़ा- ओए, कोई मनन का मज़ाक नहीं उड़ाएगा, ये मेरा बेस्ट फ्रेंड है।
- अरे जा - जा, इसकी बेस्ट फ्रेंड तो दिविषा है! है न मनन? आगोश बोला।
- दिविषा तो गर्लफ्रेंड है। इसका बेस्ट बॉयफ्रेंड तो सिद्धांत ही है। आर्यन ने कुछ ज़ोर देकर कहा।
चारों के बीच इसी तरह हंसी- मज़ाक चल ही रहा था कि अचानक बदहवास सा दौड़ता हुआ साजिद वापस कमरे में लौट कर आया।
उसकी सांस उखड़ी सी थी और बाल बिखरे हुए थे। चेहरा डर से लाल पड़ा था। शॉर्ट्स उसने हाथ में वैसे ही पकड़े हुए थे।
सब चौंक कर उसे देखने लगे।
