तलाकशुदा हूँ बेचारी नहीं..!!
तलाकशुदा हूँ बेचारी नहीं..!!
"सोना-सोना,बड़ी मामी का फोन आया है,परसों तुम्हें लड़के वाले देखने आएंगे,अब फिर कोई बहाना बनाकर कहीं चली मत जाना"आंगन में स्कूटी धोती सोनालिका से उसकी मां ने कहा।
रिश्ते की बात सुनकर सोनालिका का मन खट्टा हो गया और ब़ेमन से वह अपना स्कूटर धोने लगी। स्कूटर धोने के बाद अंदर आई और माँँ से बोली-"माँ,आप क्यों मेरी शादी के पीछे पड़ गयी हैं, मुझे नहीं करनी दूसरी शादी। जब एक से ही सुख नहीं मिला तो दूसरे से क्या मिलेगा ?"
सोनालिका की मां ने कड़क आवाज़ में बोला-"क्या मतलब हुआ;एक से सुख नहीं मिला तो दूसरे से क्यों नहीं ? माना पहला रिश्ता खराब था,लड़का सही नहीं था तो इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरा भी खराब ही हो, अरे कम से कम अपने बारे में छोड़ के बेटे के बारे में सोचो। अभी छोटा है कल को बड़ा होगा तो लोग उससे पूछेंगे,पापा कहां है ?तब क्या जबाब दोगी। वैसे भी हमारा क्या है,आज हैंं कल नहीं, तुम्हारी तो पूरी जिंदगी पड़ी है,अकेली जिंदगी काटना बहुत ही मुश्किल होता है, कब तक यहां पर बैठे रहोगी। अभी भाई हैं तब तक ठीक है, भाभी के आते ही मायके मेंं रहना बहुत मुश्किल हो जाता है माँँ ने समझाते हुए सोनालिका से कहा।
सोनालिका सिंगल मदर थी। उसकी शादी 7 साल पहले राजीव नाम के लड़के से हुई थी। शुरू-शुरू में सब ठीक रहा पर उसके बाद उन लोगों ने डिमांड शुरू कर दी और डिमांड पूरी न करने पर उसे मारने लगे। शुरू-शुरू में सोनालिका सब सहती रही पर ज्यादती होने पर उसने तलाक लेना ही बेहतर समझा और अपने बेटे के साथ मायके रहने लगी।
तय दिन बाद लड़के वाले आए और सोनालिका को दिखाया गया। लड़का अच्छी कंपनी में कार्यरत था। लड़का विधुर था और उसके २ साल की बेटी थी। लड़के वालों ने सोनालिका से काफी प्रश्न किये। लड़के की मां ने कहा-"दोनों लड़का-लड़की आपस में बात कर ले,आखिर रहना इन्हें है। हमें कोई दहेज नहीं चाहिए। "अनुज ने औपचारिक तौर पर पूछा,"आपने अपने पहले पति को क्यों छोड़ा ?"सोनालिका ने अपनी सब आप बीती बताई। अनुज ने पूछा-"आप स्कूल टीचर हैं, मैं समझ सकता हूँ बिना पिता के बच्चे को पालना आसान नहीं,पर मेरी एक शर्त है मेरी बेटी को आप कुछ नहीं कहेंगी और आपका बेटा भी मेरे साथ नहीं रहेगा। इससे ज्यादा कुछ उम्मीद मत कीजिएगा....बीच मेंं ही बात काटते हुए सोनालिका ने कहा-"मतलब ?"
मतलब ये कि मैं नहीं चाहता मेरी बेटी को उसकी माँ का प्यार बाँटना पडे़। उसकी बेटे को अपने पास नहीं रखेगा। यह सुनते ही सोनालिका ने पैरों तले जमीन खिसक गयी । सोनालिका ने दो टूक शब्दों में कहा-"आप शादी करना चाहते हैं या एहसान दिखा रहे हैं,आपकी बेटी के प्रति तो मेरी काफी जिम्मेदारियां बताई हैं पर आपकी मेरे बेटे के लिए क्या जिम्मेदारी है ?आप तो चाहते हैं कि आपकी बेटी को मां का प्यार मिले पर मेरे बेटे के प्रति... ?
सोनालिका को सब समझ आते ही वह बाहर आ गई।
"मैं यह शादी नहीं कर सकती,जो बंदा अभी साथ नहीं दे रहा है वह बाद में क्या साथ निभाएगा ?मेरा बच्चा जिसकी दुहाई देकर दूसरी शादी करने को कहा जा रहा है। मैंने 5 साल तक अपने बेटे को पाला है,उसको सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए;अपनी शादी के लिए किसके सहारे छोड़ दूँ ? जिसको भी मुझसे शादी करनी है उसे मुझे और मेरे बच्चे के साथ भी ईमानदारी से रिश्ता निभाना होगा,मुझे ऐसी शादी नहीं करनी है मुझे अकेले रहकर बेटे की परवरिश करने में कोई गुरेज़ नहीं। हाँ,मैं सिंगल पैरैंट हूं। मैं अपने बेटे को अकेले पाल लूँगी,मुझे किसी के रहमों करम की भीख नहीं चाहिए। प्लीज, आप जहां से आए थे वहीं चले जाइए। सोनालिका ने एक साँस में सब कह दिया।
आज माँ-पापा और भाई को आज अपनी बहन पर गर्व हो रहा था। उन लोगों को समझ में आ गया था जो रिश्ता शर्तों पर टिका होता है वह रिश्ता लंबे समय तक नहीं चलता है और उसमें भावनाओं का अभाव होता है।
आज हमारे समाज काफी बदलाव हो रहे हैंं,उनमें सिंगल पेरेंट्स की बढ़ोतरी हो रही है। पूर्व के दशकों में अकेली महिला को विचित्र नजरों से देखा जाता था। कहा जाता था कि बिना पुरुष के महिला का जीवन अधूरा है। बचपन में एक औरत अपने पिता के साए में रहती है, जवानी में अपने पति के और बुढ़ापे में अपने बच्चे के साए में रहती है आज सिंगल पेरेंट्स अपने बच्चे की अच्छी परवरिश कर रहे हैं। एक औरत बिना पुरुष के भी अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा-दीक्षा दे सकती है।