तीज का चाँद "बैरी "
तीज का चाँद "बैरी "
तीज का त्योहार आने से महिना भर पहले ही सुहागिनों और कुँआरी कन्याओं में हल-चल मच जाती है। तीज तो सौभाग्य का त्योहार है, इस बार तो सोना ने भी व्रत रखा है, पीयूष के लिए। सोना उससे बहुत प्यार करती है, उसके सिवा किसी और के बारे में सोचना तो पाप है उसके लिए। पीयूष भी हमेशा कहता रहता है, उसके बिना तो वो साँस भी नहीं ले सकता है। पीयूष कहता था कि सोना मेरी जिन्दगी में पहले भी कोई आयी थी मगर प्यार की गहराई क्या होती हैं , किस हद तक किसी को चाहा जा सकता है, ये तुमसे मिलकर जाना है। तुम मेरा आखरी प्यार हो तुम मेरी सब कुछ हो तुम्हारे लिए जान भी देनी पड़े तो दे दूँगा। सोना खुद को खुशनसीब समझती हैं जो उसे पीयूष मिला।
तीन साल पहले की बातें ज्यों की त्यों याद है उसे, आज पीयूष के लिये व्रत रखा है लेकिन वो पास नहीं है तो उसे बता भी नही कर सकती , उपर से फोन किए भी महीना बीत गया सोना फोन करती हैं तो काट दिया जाता है और जब सोना कुछ ज्यादा ही चिंतित थी तब इतने फोन किये की पीयूष को नंबर ब्लाक करने पड़े । लेकिन सोना ने आज फिर कोशिश की दूसरे के फोन से फोन किया , फोन उठा लिया गया सोना गुस्से में डांट लगाने लगी फिर बोली आज मेरा व्रत है तीज का पीयूष की कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखी तो सोना ने बोला लगे रहो अपने काम में मैंने किसी और के लिए व्रत रखा है, अगले साल शादी भी कर लूँगी। ऐसा कह फोन रख दिया, ये सोच कर की पीयूष उसे वापस फोन करेगा, लेकिन कोई फोन नहीं आया।
सोना खुद को तसल्ली देती है, कोई काम होगा हर वक़्त फोन नहीं कर सकता, चाँद निकलेगा तब करेगा हाँ, तब जरूर करेगा ! सोना मंद-मंद मुस्काती है, और शाम की तैयारी में लग जाती हैं ।
शाम को सारी औरते पूजा के लिए जाती है, चाँद निकल आया सोना ने मैसेज कर पीयूष को बताया पर उसका जवाब नहीं आया। काफी देर इंतजार के बाद पूजा करने चली गयी । चाँद को देख मुस्करा रही थी कि हमेशा हमारा रिश्ता बना रहे ये चाँद हमेशा चाँदनी बिखेरता रहे। चलो पूजा तो हो गयी सब व्रत खोल लो।
सब खाना खाने बैठ गए सोना नहीं आयी उसे बुला लाओ सोना की माँ ने कहा, उधर सोना के होश उड़ गये पीयूष के मैसेज देख, सोना तुम हमेशा मुझे परेशान करती रहती हो तुमसे बस एक काम बोला तुमसे वो नहीं हुआ तो आगे तुम क्या कर पाओगी मेरे लिए, तुम्हें कब से कह रहा हूं कमजोर लगती है बहुत पतली है तू अपने आप को ठीक कर , लेकिन तेरे अलग ही नाटक मैं जैसी हूँ वैसे ही अपनाओ, अपने प्यार में थोड़े बदलाव हर कोई चाहता है लेकिन तुम नहीं बदल सकती, मुझे ही देख लो मैने खुद को कितना बदला अपने प्यार के लिए तुझे मैने कभी बताया नहीं जब रानो मेरी जिन्दगी में थी तो उसने मुझसे कहा था की उसे मोटे लोग पसन्द है दाड़ी मूंछ वाले पसन्द है इसलिए देख आज मैं उसकी वजह से ऐसा हूँ। ये लगन की बात है तू नहीं समझेगी, तुमने और मम्मी पापा सबने बोला दाड़ी न रखने को पर मैंने नहीं मानी क्यों कि रानो ने मना किया था। उसकी बातें गूँजती रहती हैं कानों में ।
सोना बस रोये जा रहीं थीं उसे समझ नहीं आया कि ये प्यार है तो मेरे साथ 3 साल से क्या है, जो मुझे बदलने की बात कहे पर खुद किसी और के लिए.. सोना रोते हुए उससे कहती है आज तो पूरी तरह तोड़ दिया मुझे रोने के सिवा कुछ नहीं बचा, तभी पीयूष कहता है इसमें रोने वाली कौन सी बात है बीता हुआ तो बदल नहीं सकता ना उसे भूल सकता हूँ वो हमेशा मेरी रहेगी मेरे अन्दर, फिर मैं कहाँ रहूंगी, जब इतना प्यार था तो मुझसे झूठे वादे, कसमे क्यूँ, इतने मैं माँ की आवाज़ आ गयी सोना खाना खा ले , सोना का मन तो नहीं था पर घरवालों को क्या कहे , आँसू पोंछ झूठी मुस्कान के साथ खाना खाने बैठी पर गले से न उतार पायी 2 निवाले मुंह में रख उठ गयी, ये क्या बेटा सुबह से भूख लगी भूख लगी कर रही थी और अब । दिन भर कुछ नही खाया तो भूख मर गयी माँ ये व्रत बहुत मुश्किल होता है , आज के बाद कभी नहीं रखूंगी ऐसा कह अपनी भावनाओं को दबा कर चली गई, रात भर रोती रही, मगर सुबह उठकर सोचा की पीयूष ने मज़ाक किया है, लेकिन दोबारा वो बातें दोहरा कर पीयूष ने यकीन दिला दिया साथ ही रानो और अपनी एक साथ की पुरानी फोटो दिखा दी, सोना तो जैसे बर्बाद ही हो गयी। अब तक अनजान थी इस बात से एक ही पल में उसका प्यार पराया हो गया, पीयूष तुम मेरे साथ आगे बढ़ गये थे तो उसकी फोटो क्यूँ रखी है और उससे इतना प्यार था तो मुझसे किस प्यार की गहरायी की बात करते थे, मुझे धोखे में रखा की मुझसे सच्चा प्यार है पवित्र प्यार ऐसा होता है क्या पीयूष । खुद को सम्भालने और सब भूलने की बहुत कोशिश की भूली तो नही पर सम्भाल लिया खुद को , अगले दिन से ही उसने तय कर लिया की अब किसी का भरोसा नहीं करेगी और रोयेगी भी नहीं उसके बाद सोना कभी नही रोई भावनाओं के नाम पर अब उसमें शून्य रह गया अपनों और परायों किसी से कोई मतलब नहीं ना ही भरोसा करती हैं तीज का चाँद बैरी हो गया उसके लिये। उस प्यार को अंदर दबा कर खुद को मजबूत बताती है लेकिन वो पल याद आ ही जाते हैं और दोबारा उसे बिखेर देते हैं।