स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
जब से विवाह हुआ निधी का ससुराल में चलती आ रही प्रथा को निभाते हुए साड़ी ही पहनी और न ही समीर ने बोला कोई दूसरी ड्रेस पहनने को। धीरे-धीरे वक्त बीतने के साथ बेटी समझदार हुई, तो उसने देखा बुआ तो फैशन के हिसाब से ड्रेस पहन रही, दादी माँ को ही क्यों टोकती ?
एक दिन उसने माँ से अपनी मिडी पहनने की ज़िद की, "मुझे इस ड्रेस में देखना है" इतने में दादी आ गई, तो निधी अलमारी के पिछे छिपी, तुम्हें छिपने की जरूरत नहीं माँ, दादी भेदभाव मत करो, माँ को भी स्वतंत्रता दो।