स्वस्थ रहने का राज
स्वस्थ रहने का राज
रोगों के उपचार की अपेक्षा रोगों से बचना अधिक श्रेयस्कर है। यदि हम रोज़ प्रयत्न करें और स्वास्थ्य सम्बन्धी कुछ आवश्यक नियमों की जानकारी प्राप्त करके उनका नियम पूर्वक पालन करें तो अनेक रोगों से बचकर प्रायः जीवनपर्यंत स्वस्थ रह सकते हैं।
"सर्वप्रथम यह जानना आवश्यक होता है कि स्वस्थ कौन है ?वास्तव में हम सभी के स्वस्थ रहने का अर्थ यह है कि उसके शरीर के सभी अंग अपने कार्य करने में समर्थ हों। शरीर न अधिक स्थूल हो न अधिक पतला तथा मन और मस्तिष्क पर पूर्ण अधिकार हो।
"स्वस्थ रहने के लिए शरीर और मन दोनो का स्वस्थ एवं हृष्ट-पुष्ट होना आवश्यक है।किंतु मन दुर्बल, अस्वस्थ एवं रोगी है तो ऐसी शारीरिक स्वस्थता किसी भी कार्य के लिए उपयोगी नही है।
"मन की प्रेरणा से ही शरीर को कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। अस्वस्थ मन द्वारा किया गया कार्य कभी भी सुचारू रूप से पूर्ण नहीं हो सकता।
"इसी प्रकार यदि मन स्वस्थ है और शरीर दुर्बल तो मन द्वारा प्रेरित कार्य को शरीर की दुर्बलता निष्क्रिय बना देगा। अतः पूर्ण स्वास्थ्य के लिए मन और तन इन दोनों का स्वस्थ होना बहुत ज्यादा जरूरी है।
"यह हम सभी की शरीर ईश्वर द्वारा बनाई एक ऐसा जटिल यन्त्र है, जिसमे एक ही समय में विभिन्न कार्यों का सम्पादन करते हैं। यदि इस शरीर रूपी यंत्र का जरा सा रख रखाव में लापरवाही करेंगे।
तो क्या होगा ? यह तो हम सभी को पता है। इस मशीन की कार्यक्षमता धीरे -धीरे समाप्त हो जायेगी। हम सभी का स्वस्थ शरीर अस्वस्थ होना शुरु हो जाएगा। निरोग रहने के लिए कई नियमों का नियमित रूप से पालन करना होता है। जैसे-
अपनी सामर्थ्य के अनुसार योग करें, भरपूर नींद लें, सामयिक वस्त्रों का चुनाव करें, बैठने उठने की उचित मुद्रा अपनाएं, अपनी शरीर को स्वच्छ रखें।
एक उचित मात्रा में पौष्टिक भोजन ग्रहण करें, मिथ्या व्यवहार से व स्वभाव से वंचित रहें, तनाव बिल्कुल भी न लें, शरीर पर थोड़ा सरसों का तेल मालिश रोज़ करें, हफ्ते में एक उपवास ज़रूर करें।
जब हम इतना प्रयास करेंगे। तो हम सभी खुद स्वस्थ रहेंगे। "योग करेंगे तो स्वस्थ रहेंगे।"
