स्वर्ग नरक
स्वर्ग नरक
कालोनी के सेठ गोपाल दास का निधन हो गया था।बगीचे में उनके निमित्त श्रद्धांजलि सभा अयोजित थी।बड़े बड़े प्रोफेसर, डॉक्टर, राजनेता उसमे अपना संबोधन दे,गोपालदास जी को स्वर्ग मिले इसके लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे।सभी के अंत मे कालोनी के एक बुजुर्ग, जिन्हें सब काकाजी कह कर बुलाते थे।उन्होंने अपने संबोधन में बड़ी बेबाकी से ,अपनी बात रखते हुए कहा " गोपालदास एक अच्छे व्यक्ति थे।पर उन्हें स्वर्ग मिलेगा या नर्क यह तो उनके द्वारा किये कर्म ही निर्धारित करेंगे।यह हमारे हस्तक्षेप का विषय नही है, हाँ पर जो जीवित है उनके लिये कहता हूँ।कि वो जरूर समय रहते अपने कर्म सुधार कर अच्छे लोक को जा सकते हैं।" काकाजी की बात सुन वहां उपस्थित सभी लोगो की नजरें झुक गई ,और चहरे के भाव गंभीर हो गए।
