स्वीपर संजीवनी
स्वीपर संजीवनी
"स्वच्छ शहर, स्वस्थ समाज" कहने में कितना अच्छा लगता है, लेकिन इसे साकार कौन करता है? क्या कभी इस पर विचार किया?
आइए जिनका योगदान है उनके बारे में जानें !
सरकारी आंकड़ों के हिसाब से भारत देश में छोटे-बड़े कुल मिलाकर 4000 शहर हैं और 69 हजार अस्पताल, इनमें से ज्यादातर शहर और अस्पताल हर वक्त साफ-सुथरे नजर आते हैं लगता है जैसे कि स्वर्ग में आ गए। इन्हीं सब शहरों और अस्पतालों से सुबह-सुबह हजार टन कचरा निकलता है, निकले भी क्यों ना ? क्योंकि इन्हीं शहरों में गंदगी फैलाने वालों की संख्या अधिक है लेकिन इस गंदगी को हटाने वाले एक निश्चित संख्या में हैं। अस्पतालों में तो ड्रेसिंग और ऑपरेशन होने के कारण प्रतिदिन हर घंटे में गंदगी से भरे बैग गार्बेज बिन में डालने के लिए तैयार हो जाते हैं, लेकिन मजाल है कि कहीं पर भी किसी प्रकार की गंदगी नजर आ जाए।
क्योंकि यह सब संभव होता है उन शहरों और अस्पतालों में सेवा देने वाले महान स्वीपरों की वजह से।
कल्पना कीजिए अगर किसी शहर के लोग गंदगी फैलाते रहे और कई दिनों तक गली मोहल्ले की सफाई ना की जाए तब इस स्थिति में चारों तरफ क्या नजारा होगा। हर तरफ बदबू ही बदबू होगी और संक्रमण होने लगेगा इसी संक्रमण के कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होंगी। लोगों का जीना दुश्वार हो जाएगा, हर ओर त्राहि त्राहि होने लगेगी और इसी त्राहि त्राहि से बचाती है एक संजीवनी ।
और उस संजीवनी का नाम है स्वीपर संजीवनी। यह वही स्वीपर जन हैं जिनके द्वारा की गई साफ-सफाई की वजह से हम सब लोग और यह समाज स्वस्थ रहते हैं ।
