Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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स्वांत:-सुखाय कलात्मक कार्य

स्वांत:-सुखाय कलात्मक कार्य

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पिछले दिनों की तरह आज भी सभी बच्चे आभासी बैठक ( वर्चुअल मीटिंग ) में गूगल के माध्यम से समय से जुड़ गए थे। सभी ने एक दूसरे से औपचारिक रूप से अभिवादन किया। मैंने आकांक्षा को उसके द्वारा बनाए गए सुंदर चित्र के लिए उसे हार्दिक बधाई दी। इसके बाद लगभग सभी बच्चों ने भी आकांक्षा को चित्रकला के क्षेत्र में उसके उत्कृष्ट कार्य के लिए उसकी भूरि- भूरि प्रशंसा की और उसे हार्दिक बधाई दी । कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध प्रारंभ होने से पहले भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन के मोह को दूर करने के लिए गीता का उपदेश देते हुए इस अत्यंत सुंदर जीवंत चित्र को उसने कक्षा के व्हाट्सएप ग्रुप में साझा किया था। आकांक्षा ने भी सभी को उनकी बधाइयों के लिए सब का हार्दिक आभार और धन्यवाद प्रकट किया।

श्रवण ने कहा कि हम लोगों की कक्षा में तो चित्रकला पढ़ाई नहीं जाती हमारी कक्षा में तो सभी बच्चों के पास संगीत विषय है तो जब हमारे पास चित्रकला विषय ही नहीं तो चित्र बनाने से क्या लाभ ?

 ओमप्रकाश ने अपने विचार व्यक्त करने के लिए"हाथ उठाने " का संकेत देकर अनुमति प्राप्त की। उसने बताया कि यूं हमारी कक्षा में तो गृह विज्ञान भी नहीं पढ़ाया जाता लेकिन हममें से बहुत सारे विद्यार्थी अपने घर पर रसोई में मम्मी की मदद करते हैं तो उसमें गृह विज्ञान के ज्ञान का भी हमारे परिवार को लाभ होता है । दूसरे सेक्शन के सभी बच्चे गृह विज्ञान पढ़ते हैं उनकी पुस्तकों से पढ़कर गृह विज्ञान के अंतर्गत सुझाए तरीकों को अपनाकर लाभान्वित होते हैं। गृह विज्ञान पढ़ाए जाने वाले इस से सेक्शन के भी कई बच्चों की चित्रकला बहुत ही अच्छी है । हमारी साधना बहन हारमोनियम कितना अच्छा बजाती हैं तो उस कक्षा के रितम भैया बहुत अच्छा तबला बजाते हैं। दोनों ही हमारे विद्यालय की प्रार्थना सभा में अपनी इस विद्या से प्रार्थना सभा की शोभा में चार चांद लगा देते हैं। हमारी कक्षा से भी लगभग सभी विद्यार्थियों ने अपने अपने घरों की छत पर बहुत सारे गमलों मैं बहुत सारे फूलों और यहां तक कि कुछ लोगों ने तो सब्जियों तक के पौधे भी लगाए हुए हैं। यहां महत्वपूर्ण यह नहीं है कि तुम लोगों से निकलने वाली सब्जी से उनके घर में सब्जी आवश्यक सब्जी की सारी आपूर्ति हो जाती है लेकिन अपने घर में जरा सी सब्जी भी निकलती है वह हमें कितना आनंद प्रदान करती है इस बात का एहसास भी उन विद्यार्थियों को है जिन्होंने अपने घर में सब्जियों के पौधे लगाए हुए हैं। जिन्होंने नहीं भी लगाए हैं तो इस कल्पना मात्र से ही उनका मन एक बार हर्ष के अतिरेक से भर उठेगा। हमारे घरों में फूलों के पौधों से निकलने वाले फूल जब हम अपने घर के मंदिर में पूजा के लिए प्रयोग करते हैं तो हमारा मन प्रसन्नता और उल्लास से भर जाता है। हमारे घरों में निकलने वाले कूड़े कचरे से हम लोग अपने घरों की छत पर ही प्लास्टिक के डिब्बों में उसे उससे अपघटित ( सड़ाकर) करके कंपोस्ट खाद बना लेते हैं और उसे अपने गमलों में प्रयोग करते हैं। इससे हमारे घरों से निकलने वाले कूड़े में भी कमी आती है ।उस कूड़े का एक बेहतर तरीके से निपटान भी होता है ।उसे बनी खाद से गमलों के पेड़ पौधे अच्छे तरीके से बढ़ते फलते और फूलते हैं । पर्यावरण को शुद्ध करने की प्रक्रिया भी इन पौधों के माध्यम से भले ही थोड़ा-बहुत कम मगर कुछ ना कुछ तो योगदान होता ही है । घर में इन पौधों से सुंदरता में अच्छी खासी वृद्धि होती है। हमें भी अपने वनस्पति विज्ञान विषय से संबंधित बहुत सी जानकारियां इन पेड़ पौधों के माध्यम से मिलती है और यह पौधे भी वायुमंडल से कुछ न कुछ कार्बन डाइऑक्साइड सोखने और वातावरण में ऑक्सीजन बढ़ाने में योगदान करते हैं। हमारा भी बागवानी का शौक पूरा होता है और हमारे अतिरिक्त समय का सदुपयोग होता है जिसमें हम ज्ञानार्जन के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण में भी कुछ न कुछ योगदान करते हैं।मैं तो यही कहूंगा कि हम जो कुछ सीखते हैं ।इस क्रम में हम अधिक से अधिक सीखने का प्रयोग प्रयास करें और जो भी सीखते हैं उसका व्यावहारिक रुप से सदुपयोग करें ।कुछ चीजें व्यवहारिक रूप में सीख कर हम उनके बारे में अपने पाठ्यक्रम में प्राप्त ज्ञान से अतिरिक्त ज्ञान भी प्राप्त करते हैं।


ओम प्रकाश की बात का समर्थन करते हुए रीतु ने भी अपने विचार रखे कि यह सब कलाएं होती हैं जो हमारे मन को प्रसन्नता देती हैं ।बहुत से ऐसे लोग होते हैं कि जो मुख्य रूप से तो एक काम करते हैं लेकिन उसके साथ ही वह कुछ दूसरे ऐसे कलात्मक कार्य करते हैं जिससे उनके मन को बहुत प्रसन्नता मिलती है । उनके आकर्षक इस कृतित्व को देखकर लोगों से उन्हें प्यार ,आदर, सम्मान और प्रसिद्धि भी मिलती है। उनके कार्य समाज के लिए भी बहुत ही उपयोगी सिद्ध होते हैं। हममें से भी कितने सारे विद्यार्थी ऐसे हैं जो सांस्कृतिक कार्यक्रम, शारीरिक -खेलकूद और अध्ययन हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं । हमारे कक्षा में ऐसे बहुत सारे बच्चों के उदाहरण हमारे समक्ष हैं । बहुत सारे ऐसे विद्यार्थी जो अपना अध्ययन पूरा करके हमारा विद्यालय छोड़ कर जा चुके हैं। प्रधानाचार्य जी उनको प्रार्थना सभा में भी बुलाते हैं और ऐसे विद्यार्थियों की उपलब्धि के बारे में बताते हुए उनसे भी प्रार्थना सभा में ही अपने विचार व्यक्त करने को कहते हैं ।इससे हमारे बहुत सारे विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलती है और वह भी हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होते हैं ।तो हमें अपने आप को एक सीमा में नहीं बांधना चाहिए बल्कि स्वान्त- सुखाय क्रियाओं द्वारा अपने को, अपनों को और हमें अपने साथियों को प्रेरणा देते हुए उनके लिए प्रेरणा स्रोत बनना चाहिए। तो मैं पुनः आप की आकांक्षा बहन को सुंदर चित्र के लिए और साधना बहन को बहुत ही सुंदर हारमोनियम बजाने के लिए पुनः हार्दिक बधाई देता हूं ।मैं आप सब से भी अनुरोध करूंगा कि हम सब लोग भी प्रयास करके अपने इन कलात्मक कार्यों में अपने आप को संलग्न करें जिससे कि हमारे मन को भी शांति मिलेगी और हमारी कक्षा का नाम भी सदैव की भांति विद्यालय की सर्वश्रेष्ठ कक्षा में ही रहेगा।


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