सूप-चलनी
सूप-चलनी
"अरे सुनती हो !! चलो वकील साहब के यहाँ बेटे की शादी की मिठाई दे कर आते हैं। बहू के घर वालों ने इतने अच्छे से स्टील के डब्बे में बैना पैक करके दिया है तो सबको देना भी जरूरी ताकि सब को पता भी तो चले हमें इतना कुछ मिला है शादी में......." किशोर ने अपनी पत्नी को आवाज देते हुए कहा।
"हाँ ठीक है मैं अभी तैयार हो कर आई और सुनिए नई वाली गाड़ी ही ले कर चलेंगे।"
किशोर के बेटे को सरकारी नौकरी मिल गई थी, ऊंचे पद पर होने के कारण बहुत मोटी रकम दहेज के नाम पर देने वाले रिश्ते आ रहे थे और पिछले दिनों उन्होंने अपने बेटे की शादी कर दी। अब उन्हें शादी में मिली चमचमाती स्विफ्ट कार सबको दिखाने का शौक चढ़ा हुआ है।
लडक़ी वालो के घर से आया एक बड़ा सा मिठाई का डब्बा लेकर वकील साहब के घर पहुंच गए वकील दिनेश और अशोक बहुत पुराने परिचित हैं।
वकील साहब की श्रीमती जी ने दरवाजा खोला उनको देखते ही अशोक जी बोले, "नमस्कार भाभी जी! कैसे हैं आप लोग?"
"आइए-आइए भाई साहब हम सब ठीक हैं, मजे में हैं।" वकील साहब की पत्नी निशा बोली।
अशोक व आरती अंदर आ गए सोफे पर बैठते अशोक बोले, "वकील साहब दिखाई नहीं दे रहे क्या घर पर है नहीं?"
"अरे आप लोग आराम से बैठिए आज उनका एक बहुत महत्वपूर्ण केस था इसलिए उन्हें आने में देर होगी।"
निशा बस इतना बोल ही रही थी कि दिनेश घर आ गए
"आइए-आइए भाई साहब हम पहले से ही आपके घर मे आपका इंतजार कर रहे हैं।"- अशोक जी बोले।
बस मैं अभी आया कपड़े बदल कर कहते हुए दिनेश अंदर चले गए।
जब वकील दिनेश बाहर आए उनके चेहरे पर कुछ परेशानी जैसी दिख रही थी अशोक जी ने बोल दिया, "बहुत थक गए हैं; लगता कुछ परेशान लग रहे हैं।"
"अरे नहीं -नहीं थकान नहीं लेकिन एक दहेज का केस था बहू ने अपने ससुराल वालों पर केस कर दिया था मैं उन लोगो को अच्छे से जानता हूँ वो लोग ऐसे नहीं है। आज फैसला हो जाना था लेकिन हुआ नहीं अगली तारीख मिल गई तभी बस थोड़ा मूड ठीक नहीं है........."
वकील साहब की बात सुनते ही अशोक जी की पत्नी बोली, "पता नहीं हमारे समाज से यह कुरीति कब जाएगी?"
दिनेश और उनकी पत्नी ने एक दूसरे की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में कहा सूप बोले तो बोले चलनी क्या बोले।