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Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

सुर।

सुर।

2 mins
362

उसकी आँखें बहुत खूबसूरत थी। मन को बांध लेने वाली इन बड़ी बड़ी आँखो में माधव ने अपना अक्स देखा तो देखता ही रह गया। उसके हाथों में एक सुर्ख लाल गुलाब हवा में अपनी महक छोड़ता हुआ माधव को अपनी ओर बुला रहा था। माधव धीरे धीरे उसकी ओर बढ़ा और अगले ही पल ठिठक कर रुक गया। उसकी आंखों की नमी से माधव का अक्स धुंधला पड़ गया था मानो उससे पूछ रहा हो- “क्या तुम अब भी मुझसे उतना ही प्यार कर पाओगे ?”

क्या जवाब दे माधव ? क्या कह दे कि नहीं मैं तुमसे अब उतना प्यार कर ही नहीं सकता। तुम्हारे साथ देखे गए सपनो का अब कोई वजूद नहीं है। मैं तुमसे सिर्फ हमदर्दी रख सकता हूँ, तुमसे प्यार नही कर सकता। तुम्हारी आवाज के साथ साथ तुम्हारे लिए मेरा प्यार भी दम तोड़ चुका है।

माधव और कृष्णा का प्यार संगीत के सुर में पिरोया हुआ गीत था जिसकी शुरुआत कृष्णा की मधुर आवाज में एक गीत से हुई थी। कृष्णा की मधुर आवाज सुनते हुए माधव ना जाने कब संगीत की सुरीली दुनिया में कदम रख चुका था। कृष्णा गीत के बोल अपने सुरों में पिरोया करती और माधव उनमें अपने प्यार के संगीत को बांध दिया करता। कृष्णा अपने साथ हमेशा एक लाल गुलाब रखती थी जो माधव के प्यार में एक अलग ही खुशबू बिखेरता था।

माधव को कृष्णा की आवाज इतनी पसंद थीं कि वह उसकी आवाज रिकार्ड कर दिन में ना जाने कितनी बार सुनता था। उन दोनों की जोड़ी आसमान में चमकता हुआ चांद और सितारा बन चुकी थीं लेकिन यह जोड़ी जल्द ही अलग होने वाली थी।

अपने प्यार को एक नयी पहचान देने जा रही थी कृष्णा। वह पूरी दुनिया के सामने कृष्णा से अपने प्यार का इजहार करने जा रही थी लेकिन जब उसकी आंख खुली तो उसकी पूरी दुनिया खामोश हो चुकी थी। अब उसके सुर हमेशा के लिए उससे विदा ले चुके थे और शायद माधव भी।

माधव आज उसके सामने तो था लेकिन उसका प्यार कृष्णा के साथ नहीं था। उसकी जिंदगी से प्यार का गीत हमेशा के लिए विदा ले चुका था।


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