सुपर शक्ति
सुपर शक्ति
एक बार वॉशिंगटन शहर मे एक सीधा साधा परिवार रहता था। उनका एक पंद्रह साल का बेटा था। उसका नाम था हेरी। दुबला पतला, दब्बू किस्म का साधारण सा लड़का हरदम ऐनक लगाए हुए, यदि किसी गाड़ी का हॉर्न भी जोर से बज जाए तो डर जाता। पढ़ाई में भी फिसड्डी था। इसलिए टीचर हमेशा उसे डांटती रहती और बच्चे भी उसका हरदम मखौल उड़ाते थे।
हैरी की अपनी सपनों की दुनिया थी। उसमें वो बहुत बलवान होता था। हर काम कर लेता। कमजोर की मदद करता। वो उसमें ही खुश रहता था। वह हमेशा सोचा करता कि आखिर जीवन में मैं तन और मन से मजबूत कैसे बनूँ?
एक रात वो एक सपना देखता है। उसमें सफेद वस्त्र में एक बूढ़े से व्यक्ति उसको गले में चमकती हुई रत्नों की माला पहनाते है। उसके सर पर जादुई छड़ी घुमाते हुए सुपर शक्ति का आशीष देते है कि जब भी तुम किसी मुसीबत में हो तो इस रत्न को छूकर ' शक्ति- शक्ति- शक्ति ' ऐसे तीन बार बोलना....उसका चमत्कार तुम खुद देखोगे। वो माला पहनकर हैरी स्वयं में अद्भुत परिवर्तन महसूस करता है।
सबेरे जब हैरी उठता है तो अपने गले में वही चैन व चमकता हुआ रत्न था। हैरी ने उसकी परीक्षा लेने के लिए अपने होम वर्क पर आजमाया। चमत्कार..... उसका पूरा गृहकार्य पलक झपकते हो गया। हैरी को तो मानो मन की मुराद पूरी हो गई।
एक बार विद्यालय में एक बच्चा उपर छत पर से फिसलकर मुंडेर पर लटक गया। सभी की साँसे अटकी पड़ी हुई थी। किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? अचानक दोस्तों ने देखा हैरी कही गायब हुआ। थोड़ी देर में एक सुपर हीरो उड़ता हुआ आया और उस बच्चे को दसवी मंज़िल से अपनी गोद में सुरक्षित नीचे लाया। सभी लोग तालियां बजा रहे थे। वो सुपर हीरो हैरी से हाथ मिलाकर मुस्कुराते हुए उड़ चला।
अब सभी लोग हैरी को बहुत ही सम्मान से देख रहे थे। उसके दोस्त के बारे में पूछ रहे थे। उस बच्चे के माता पिता ने हैरी और उसके सुपर हीरो दोस्त का बहुत बहुत धन्यवाद किया। हैरी के माता पिता को भी सभी लोग बधाई दे रहे थे।
हैरी तो बस अपने रत्न वाली शक्ति की चैन को दिल से धन्यवाद दे रहा था।
