गोलू की सीख
गोलू की सीख


मोंटी बड़ा ही नटखट व शरारती बच्चा था। घर में उसे सब बहुत प्यार करते थे पर उसके मम्मी पापा शहर की दौड़ भाग भरी जिंदगी में पर्याप्त समय नहीं निकाल पा रहे थे। मोंटी अपनी नौकरानी के साथ ज्यादा समय रहता। वो अपने काम में लगी रहती और मोंटी अपनी नई नई शरारतों में लगा रहता।
आजकल मोंटी को एक नई मस्ती करने में ज्यादा मजा आता । वो कभी चिड़ियाँ का घोसला बिगाड़ देता, कभी गिलहरी को दौड़ा देता तो कभी कुत्ते के पिल्लों को परेशान करता। फल खाता तो बीज पुरे घर में बिखेर देता या फिर यदि पौधों में कली या फूल खिले हैं तो उनको तोड़ कर पंखुड़ियाँ बिखेर देता।
उसकी यह शरारत उसका पड़ोस में घर में काम करने वाला गोलू अक्सर देखा करता। उसे मोंटी पर गुस्सा तो नहीं आता पर वो प्रकृति प्रेमी था। वो उसे उसके थोड़े से आनंद के लिए इस नुकसान के बारे में समझाना चाहता था।
एक दिन गोलू को मौका मिल गया। मोंटी अपनी धुन में स्कूल बस से उतरकर घर की ओर जा रहा था। इतने में गोलू ने उससे थोड़ी बात
चीत की और उसे बगल के बगीचे में ले गया। मोंटी ने देखा वहाँ सुंदर सुंदर रंग बिरंगे खुशबू वाले फूल खिले थे। एक और अमरूद के पेड़ तो कही अनार तो आम के वृक्ष की बड़ी बड़ी डालियाँ......
गोलू उसे हर पेड़ की जानकारी दे रहा था। मोंटी ने आम की छाया में बैठ कर मीठे अमरूद खाये और माली ने जो फूल तोड़कर रखे थे उन फूलों को लाकर अपने घर के फूलदान में सजा दिया। उसने चिड़ियाँ के लिए दाना पानी और गिलहर के लिए मूंगफली के दाने रखे । कुत्ते के छोटे पिल्लों के लिए अपना पुराना पड़ा हुआ टेंट हाउस लगा कर उसमें पानी व रोटी के टुकड़े रख दिया । यह सब उसके दोस्त गोलू के सीख देने का परिणाम था।
इतना मजा तो उसे शरारतों में भी नहीं आता था। उसकी आदतों में सुधार देखकर उसके मम्मी पापा भी बहुत खुश हुए। उन्होंने उसे छुट्टी में नानी के गाँव ले जाने का प्लान बनाया।
मोंटी इस नई सीख और नई खुशियों से बहुत खुश था। आखिर उसकी प्रकृति से दोस्ती जो हो गई थी.....